Bank reconciliation statement क्या है? – Bank reconciliation statement क्यों बनाया जाता है? – यह कैसे बनाया जाता है? – Basic Concept of Bank reconciliation statement – इसके उदाहरण – विशेषताएं – Cash Book और Passbook/Bank statement में अंतर
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आज का जो हमारा विषय है वह है Bank reconciliation statement in Hindi : बैंक समाधान विवरण क्या है? हम सभी जानते हैं की कोई भी business organisations (व्यवसायिक संगठन) cash book (रोकड़ बही) में cash या bank से सम्बंधित transactions को record करती है.
Cash book अवधि के अंत में (at the end of the period) Cash account और Bank account दोनों खातों का शेष (balance) प्रदर्शित करती है.
सामान्यतः यह अनुभव किया गया है कि जब bank balance की तुलना जैसा कि firm की cash book में दिखाया गया है से की जाती है तो दोनों में अंतर पाया जाता है. इसलिए हमें अंतर के इन कारणों का निर्धारण करना पड़ता है जिसके लिए एक विवरण तैयार किया जाता है और उसी विवरण को बैंक समाधान विवरण (Bank reconciliation statement) कहा जाता है.
आइये विस्तारपूर्वक जानते हैं कि बैंक समाधान विवरण (Bank reconciliation statement) क्या है?
Table of Contents
Bank reconciliation statement क्या है?
यदि सरल भाषा में Bank reconciliation statement को परिभाषित किया जाए तो इसका अर्थ होता है – Cash book एवं Passbook के शेष में होनेवाले अंतर को मिलाने के लिए जो विवरण तैयार किया जाता है उसे Bank reconciliation statement कहा जाता है.
वास्तव में Bank reconciliation statement cash book एवं passbook के शेष में हुए अंतर को मिलाने के लिए तैयार किया जाता है.
जब हम बैंक से जुड़ा reconciliation बना रहे हैं तो सबसे पहले हमें cash book की जानकारी जरुर होना चाहिए. हमें ये पता होना चाहिए की cash book के bank column में transactions कैसे होते हैं? Bank reconciliation statement bank से जुडी हुई statement है. यदि आपको cash book की जानकारी है तो आप ये जरुर जानते होंगे कि cash book कई प्रकार की होती है.
एक simple cash book होता है जिसमें सिर्फ cash-cash के transactions को record किया जाता है. एक होता है two column cash book जिसके अन्दर cash के साथ – साथ हम bank का भी सारा का सारा हिसाब रखते हैं.
जब हम bank में पैसा जमा करते हैं तो cash book में जो bank account होता है उसके अन्दर balance increase करते हैं और जब पैसा withdraw करते हैं तो उसके अन्दर balance decrease करते हैं.
Bank reconciliation statement क्यों बनाया जाता है?
Bank reconciliation statement का मतलब होता है “वह bank balance जो हमारी cash book प्रदर्शित कर रही है और वह bank balance जो passbook show कर रही है” ये दोनों balances आपस में tally नहीं कर रहे हैं.
इन दोनों में जो differences आ गया है उसका कारण क्या हो सकता है? इन्ही कारणों को एक जगह पर note-down करना ही Bank reconciliation statement कहलाता है. अतः Cash book एवं Passbook के शेष में होनेवाले अंतर को मिलाने के लिए यह विवरण बनाया जाता है.
Bank reconciliation statement कैसे बनाया जाता है?
Bank reconciliation statement बनाने के लिए हमें cash book की जरुरत होगी किन्तु cash book की दोनों column cash और bank इसके लिए आवश्यक नहीं है. चूँकि हम बैंक से जुडे statement बना रहे हैं इसलिए हमें इसके अन्दर सिर्फ bank column की जरुरत पड़ेगी.
ये बात हम जानते ही हैं कि two column cash book के अन्दर दो column होते हैं एक cash की और दूसरी bank की column. जब हम Bank reconciliation statement बना रहे हैं तो हम cash वाली column की बात नहीं करेंगे. हमें information होनी चाहिए कि bank की balance पर कब असर पड़ता है.
Bank reconciliation statement बनाने के लिए हमारे पास क्या – क्या होना चाहिए–
- Cash book की entries और
- Passbook की entries
हम उन्ही कारणों को ढूंढकर इस statement में लिखते हैं जो differences create कर रहे हैं. कभी – कभी हमें ऐसी differences भी देखने को मिल सकते हैं जिसमें value का अंतर हो. जैसे जो entry bank passbook में 8000 show कर रही है same वही entry cash book में 9000 show कर रही है.
Cash book में debit होने पर plus (+) और credit होने पर minus (-) किया जाता है लेकिन passbook में plus minus होने पर reverse form में चला जायेगा यानि plus (+) होने पर credit और minus (-) होने पर debit. ऐसा क्यों होता है इस concept को हम आगे clear करेंगे.
Basic Concept of Bank reconciliation statement
Bank हमारी assets होती है और जब assets increase होती है तब हम उसे debit side में entry करते हैं ठीक इसी तरह जब bank का balance decrease हो जाता है तो हम उसे credit side में entry करते हैं. इसतरह हम अपना balance निकालते हैं कि bank balance कितना होना चाहिए.
- हम debit करेंगे – cash book बढ़ाने के लिए
- हम credit करेंगे – cash book घटाने के लिए
चलिए इस concept को एक छोटा सा उदहारण के द्वारा clear करते हैं–
Bank reconciliation statement के उदाहरण
Example: मान लेते हैं कि हमने इस महीने में कूल 1,00,000/- (एक लाख) रुपया जमा कराया जो cash book के अन्दर show कर रही है. बहुत सारे transactions होने के पश्चात उसमें से total 70,000/- (सत्तर हज़ार) रुपया निकाल लिए गये.
अब balance कितना बचा – (100000 – 70000) 30,000/ (तीस हज़ार) – रुपया. अब सवाल उत्पन्न होता है कि ये balance, bank के balance से tally करना चाहिए या नहीं करना चाहिए? जवाब होगा tally करना चाहिए.
इसके लिए हम bank से statement/passbook मंगाते हैं. Bank statement मंगाने के पश्चात वहां पर balance show हो रहा है 20,000/- (बीस हज़ार) रुपया. अब हम सोंच में पड़ जाते हैं की ऐसा कैसे हो गया?
यहाँ पर cash book 30,000/ (तीस हज़ार) रुपया balance show कर रही है और bank statement show कर रहा है 20,000/- (बीस हज़ार) रुपया. आखिर 10,000/- का अंतर कैसे हो गया?
अब हम क्या करेंगे? अब हम tally करने की कोशिश करेंगे कि आखिर गड़बड़ कहाँ हुई है और इस कार्य के लिए हम bank statement के प्रत्येक entry से अपने cash book के entry को tally करेंगे. इस दौरान हमें कई कारण प्राप्त हो सकते हैं जिसके कारण mismatch हुआ है.
Bank reconciliation statement की विशेषताएं
Bank reconciliation statement की कुछ विशेषताएं होती है जो इस प्रकार है–
- Cash book शेष और Passbook शेष को मिलाने के लिए Bank reconciliation statement तैयार किया जाता है.
- इस विवरण को तैयार करने का काम ग्राहक करते हैं bank के द्वारा Bank reconciliation statement नहीं बनाया जाता है.
- इसके जरिये त्रुटियों के कारणों का पता लगाया जाता है.
- छल – कपट की जानकारी प्राप्त करना.
- अपने records को update रखने में यह सहायक होता है.
Cash Book और Passbook/Bank statement में अंतर
Cash book में हम क्या करते हैं cash book बढ़ाने के लिए debit और cash book घटाने के लिए credit करते हैं. Bank वाले ठीक इसका उल्टा करेंगे अर्थात bank बढ़ाने के लिए credit करेगा और घटाने के लिए debit करेगा.
- Cash book (बढ़ाने के लिए) – Debit
- Bank वाले (बढाने के लिए ) – Credit
- Cash book (घटाने के लिए) – Credit
- Bank वाले (घटाने के लिए) – Debit
अब आपके मन में यह सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि जिसे हम cash book में debit करते हैं बैंकवाले उसे credit क्यों करते हैं? और जिसे हम cash book में credit करते हैं बैंकवाले उसे debit क्यों करते हैं?
ऐसा इसलिए होता है जब हम किसी bank में पैसा जमा करते हैं तो वह पैसा हमारा assets होता है और वही पैसा बैंक वालों के ऊपर liability बन जाती है. जैस ही कोई ग्राहक बैंक में पैसा जमा करता है तो बैंकवालों के ऊपर उस पैसे को वापस करने की liability बन जाती है.
कोई ग्राहक बैंक में पैसा जमा करता है इसका अर्थ यह होता है कि वह व्यक्ति बैंक को कर्ज दे रहा है. यानि जो हमारे लिए assets है वही बैंकवालों के लिए liability होती है. बस यही कारण है जिसे हम cash book में debit करते हैं बैंकवाले उसे credit करते हैं और जिसे हम credit करते हैं बैंकवाले उसे debit करते हैं.
जब हम Bank reconciliation statement बनायेंगे तो bank statement या passbook को tally करने के लिए हमारा debit bank statement या passbook में credit में tally होगा और हमारा credit bank statement या passbook में debit में tally होगा.
Bank reconciliation statement विश्लेषण
इस concept को और clear करने के लिए ऊपर दिए गये performa of bank reconciliation statement का थोड़ा विश्लेषण करते हैं.
- Balance at bank as per cash book : महीने के अंत में हमारे cash book के अन्दर balance है 9500 रुपया और इस balance को tally होना चाहिए passbook से.
- Cheque drawn but not presented : इसका मतलब हुआ कि हमने किसी को 2200 रूपये की cheque issue कर दिया और cash book में इस transaction की entry भी कर दी कि हमने payment through cheque कर दिया है. हमने cheque दिया और book में इसे show भी कर दिया किन्तु इसमें साफ़ लिखा है cheque not presented. इसका क्या अर्थ हुआ?
- इसका अर्थ साफ़ है कि जिस व्यक्ति को हमने 2200 रूपये का cheque दिया था वह व्यक्ति अभी तक cheque लेकर बैंक पहुंचा ही नहीं है. जब तक वह व्यक्ति cheque लेकर बैंक नहीं पहुंचेगा तब तक बैंक से पैसा निकलेगा नहीं. अर्थात हमने अपने cash book में 2200 रुपया कम कर दिया किन्तु bank passbook की entries में कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
- अब हमें ये identify करना है कि इस समय passbook में कितना balance होना चाहिए? चूँकि इस समय passbook में पैसा बढ़ा हुआ है क्योंकि वहां से पैसा नहीं निकला है. हमें अपने cash book को passbook से tally करना इसीलिए हम भी फिलहाल के लिए अपने cash book की entry में 2200 रुपया plus (+) के column में show करेंगे.
- Cheque paid into bank but not credited: इसका अर्थ यह है कि हमें 1600 रुपया का cheque प्राप्त हुआ और चूँकि हमने payment receive किया है इसलिए अपने cash book की entries में इस राशी को plus कर देंगे. अब आगे क्या हुआ कि हम बैंक गये और प्राप्त cheque को वहां dropbox में cheque डाल दिया.
- Dropbox में डाले गये cheque को clear होने में कम से कम दो तीन दिन लग ही जायेंगे किन्तु हम अपने cash book में तत्काल इस राशि की entry कर चुके हैं. अब बीच में यदि हम bank statement निकालेंगे तो passbook और cash book के बीच mismatch तो होगा ही क्योंकि cash book में entry हो चुकी है जबकि यह राशी bank में credit नहीं हुआ है. हमारा राशी ज्यादा है तो बैंक में कम होगा इसी कारण हम 1600 रुपया minus (-) करेंगे.
- Bank charges not entered in cash book : सदाहरणतः इसमें क्या होता है कि बैंक अपने ग्राहक के ऊपर service charges लगाता है और हमें पता तब चलता है जब हम bank की statement निकालते हैं. मान लेते हैं बैंक ने service charges के रूप में 85 रुपया हमारे खाता से minus कर दिया और हमें इस बात का पता नहीं था इसलिए हमारे cash book में entry नहीं है. इसीलिए हमे cash book से passbook को tally करने के लिए हमारे cash book में इस राशि को minus (-) करना होगा.
आशा करता हूँ कि आपको यह टॉपिक समझ में आ गया होगा. यदि आपके मन में इस विषय से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप हमें comment कर सकते हैं. यदि आपको लगता है कि आज का ये लेख Bank reconciliation statement in Hindi : बैंक समाधान विवरण क्या है? आपके लिए informative है तो इस लेख को social sites पर share जरूर करें.
THANKS FOR THIS
verry simple
THANK YOU SOO MUCH SIR FOR YOUR GREAT KNOWLEDGE TO EVERYONE.
Kya hume ye pura likhne se exam mein 16 marks mil jayenge ???