Buddha purnima 2023 में कब है? – बुद्ध पूर्णिमा बौध धर्मं के मानने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. हिन्दू धर्मं को मानने वाले लोगों के लिए भी यह एक पवित्र दिन माना जाता है. हिन्दू धर्मं में मान्यता है कि गौतम बुद्ध भगवान् विष्णु के नौवां अवतार हैं इसलिए इस दिन हिन्दू धर्मं को माननेवाले लोग भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा बैसाख माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इसीलिए इस त्योहार को बैसाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. यह बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है, और इस दिन अलग – अलग देशों में भिन्न – भिन्न रीति रिवाजों से कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
बिहार राज्य के गया जिला स्थित बोधगया बौद्ध और हिन्दू दोनों धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र स्थान है. मान्यता है कि बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ही भगवान् बुद्ध को ज्ञान (बुद्धत्व) की प्राप्ति हुई थी और वह दिन था वैशाख पूर्णिमा का.
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बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था. इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. इस तरह बुद्ध पूर्णिमा का संबंध न केवल बुद्ध से जन्म भर से है, बल्कि उनका जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों ही वैशाख पूर्णिमा के दिन हुए थे. इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा अथवा बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है.
यह दिन हिंदुओं के लिए भी पवित्र माना जाता है क्योंकि उनके अनुसार बुद्ध को विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। यह त्योहार दुनिया के कई देशों जैसे भारत, चीन, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, कंबोडिया, थाईलैंड, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि में मनाया जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे प्रमुख त्योहार है. इस दिन दुनिया भर में स्थित बौद्ध मंदिरों में विशेष आयोजन की जाती है. इस उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण बोधगया में देखने को मिलता है. इस दिन बोधगया में दुनिया भर से बुद्ध के अनुयायियों या बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का जमावड़ा लगता है.
भगवान बुद्ध ने वर्षों तक घोर तपस्या और ध्यान किया, और इसके बाद उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई, इसीलिए बिहार में स्थित बोधगया नामक स्थान बौद्धों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान के रूप में माना जाता है.
बैसाख पूर्णिमा का महत्व?
बैसाख पूर्णिमा वह शुभ तिथि है जिस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. कहा जाता है कि इसी दिन बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और देह त्याग तीनों बैसाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. बैसाख पूर्णिमा के इन्ही प्रमुख घटनाओं के कारण इस दिन का विशेष महत्व है.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई प्रकार के धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस पावन दिवस पर बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं. केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं. इस दिन दुनियाभर के लोग बोधगया आते हैं और प्रार्थनायें करते हैं.
इस दिन मंदिरों और घरों में फल, फुल, अगरबत्ती, मोमबत्ती/दीपक जलाकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस विशेष दिन में पितरों का तर्पण करने की भी मान्यता है साथ ही दान – पुण्य जैसे कार्य भी किये जाते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) 2023 में कब है?
इस वर्ष 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 05 मई 2023 शुक्रवार को मनाई जाएगी. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 04 मई 2023 गुरुवार को रात 11 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार 5 मई 2023 को 11 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी.
Final Words
गौतम बुद्ध अपनी निजी सुख सुविधाओं का त्याग करके इसलिए वन – वन भटकते रहे ताकि सभी नर – नारी का कल्याण हो सके. उन्हें अपनी मुक्ति की चिंता नहीं थी वो तो बस इस सत्य को जानना चाहते थे कि कैसे सभी का कल्याण हो सके.
उन्हें बोधि वृक्ष के निचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध कहलाये. उनके अनुसार मनुष्यों का सभी वेदनाओं का अंत का एकमात्र उपाय केवल निर्वाण प्राप्ति है.
आइये इस बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध को करीब से जाने और उनके जीवन चरित से कुछ सीख प्राप्त करें – पढ़िए About Gautam Buddha in Hindi ; गौतम बुद्ध का जीवन परिचय.
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