Types of Company Registration in India in Hindi (भारत में कंपनी रजिस्ट्रेशन के प्रकार) : आइये दोस्तों, आज मैं आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहा हूँ कि आप भारत में कितने प्रकार से Company Registration कर सकते हैं .
बहुत सारे लोगों का सपना होता है कि वे दूसरों का काम करने के बजाय खुद का boss बनें और इस चाहत को पूरा करने के लिए ऐसे लोग खुद की company बनाकर कारोबार शुरू करना चाहते हैं. लेकिन अहम् बात यह है कि यदि आप खुद की company की शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको यह जानना आवश्यक है कि आप India में कितने तरह से कंपनी का रजिस्ट्रेशन (Company Registration) करा सकते हैं.
वास्तव में Company Registration कानूनी प्राधिकरण प्राप्त करने की प्रक्रिया है जिससे आप अपनी पसंदीदा क्षेत्रों के अन्दर व्यापार कर सकें. आप यदि business शुरू करना चाहते हैं तो आपको अपने व्यवसाय को एक अलग legal entity के रूप में register करना होगा.
तो चलिए देखते हैं Company Registration के प्रकारों के बारे में –
Table of Contents
Types of Company Registration in India in Hindi
Company Registration के प्रकार
- Private Limited (Pvt. Ltd.) Company
- One Person Company (OPC)
- Limited Liability Partnership (LLP)
- Sole Proprietorship
- Public Limited Company
- Section 8 Company
(1) Private Limited (Pvt. Ltd.) Company
हमारे देश भारत में Private Limited Company एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय व्यावसायिक संस्था है. यह कंपनी अधिनियम, 2013 द्वारा शासित है. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए कम से कम दो shareholders की आवश्यकता होती है. कोई भी इस प्रकार की कंपनी अपनी shares आम लोगों के बीच नहीं बेंच सकती है.
Private Limited Company स्वेच्छा से बनाया गया व्यक्तियों का संघ होता है. अर्थात एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी वास्तव में संयुक्त स्टॉक कंपनी होती है.
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की पात्रता:
- Directors (निदेशकों) की minimum संख्या 2 होनी चाहिए.
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सदस्यों की अधिकतम संख्या 200 तक सीमित है.
- कम से कम एक निदेशक के पास भारतीय नागरिकता होनी चाहिए.
- न्यूनतम प्राधिकृत शेयर पूंजी 100,000 (एक लाख) रुपया.
- कंपनी शुरू करने के लिए आवश्यक दस्तावेज.
(2) One Person Company (OPC)
One Person Company (OPC) की अवधारणा इसलिए अस्तित्व में आई क्योंकि छोटे व्यापारियों या उद्यमियों को प्रेरित किया जा सके. इसप्रकार की कंपनी उनके लिए है जो अपनी खुद की पहचान बनाकर व्यवसाय शुरू करने की क्षमता रखते हैं.
इसप्रकार की कंपनी की शुरुआत करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए केवल एक व्यक्ति की आवश्यकता होती है. Business का यह रूप कई यूरोपीय देशों में सफल रहा है और जहाँ तक भारत की बात की जाए तो इन देशों के मुकाबले यह यहाँ business का एक नया ट्रेंड है.
यह business start करने का एक आसान रास्ता है क्योंकि आपको ज्यादा लोगों के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़ता है साथ ही इसमें पेपरवर्क भी कम है. इस कंपनी को परिभाषित कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के उपधारा 62 में किया गया है. इसमें सिर्फ एक shareholder होगा जो कंपनी का director भी हो सकता है.
जो लोग छोटे व्यवसाय चलाना चाहते हैं उनके लिए यह फायदेमंद है इसमें किसी व्यवसायिक भागीदार की आवश्यकता नहीं होती है. इसे शुरू करने के लिए जरुरी है की वह व्यक्ति भारतीय नागरिक हो.
(3) Limited Liability Partnership (LLP)
Limited Liability Partnership (LLP) यह लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट, 2008 द्वारा शासित है और पंजीकृत होती है. हमारे देश भारत में LLP अक्सर छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए किया जाता है. इसमें कम से कम दो भागीदारों की आवश्यकता होती है जहां पूंजी निवेश की कोई न्यूनतम सीमा नहीं है.
LLP के गठन के लिए दो भागीदारों में से कोई एक को भारतीय नागरिक होना चाहिए. आप आसानी से और कम खर्च में इसमें रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. यह एक अलग क़ानूनी इकाई है. इसप्रकार की कंपनी की ख़ास बात यह है कि इसमें shareholding के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है अर्थात कंपनी के सभी भागीदारों की सिमित देयताएं होती है.
(4) Sole Proprietorship
Sole Proprietorship एकल स्वामित्व वाली व्यवसायिक इकाई है. यह एक ऐसा व्यवसाय है जो एकमात्र व्यक्ति द्वारा चलाया जाता है. इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि Proprietor और उसके व्यवसाय के बीच कोई कानूनी अंतर नहीं है. इसे स्थापित करने के लिए कानूनी औपचारिकताएं भी कम है.
इसमें किसी भी तरह के business registration करने की जरुरत नहीं है लेकिन कुछ जरुरी दस्तावेज आपके पास होना जरुरी है जैसे : बैंक खाता, फर्म के अस्तित्व का प्रमाण, दूकान स्थापना लाइसेंस, GST रजिस्ट्रेशन, व्यापार का पता, CA सर्टिफिकेट आदि.
एक ही व्यक्ति द्वारा जो proprietor है प्रबंधन और नियंत्रण का कार्य किया जाता है. वह अकेले ही पूंजी लगाता है और जोखिमों का वहन भी अकेले ही करता है. हानि और लाभ उसे अकेले ही उठाना पड़ता है. वास्तव में यह व्यापार का सबसे आसान प्रकार है.
(5) Public Limited Company
बहुत से लोग private limited और public limited कंपनी में अंतर नहीं कर पाते हैं, अक्सर भ्रमित हो जाते हैं किन्तु दोनों प्रकार की कंपनिया आपस में भिन्न हैं.
Public limited company के शेयर्स कोई भी ले सकता है अर्थात ऐसी कंपनी में शेयरों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है जबकि Private Limited Company अपनी shares आम लोगों के बीच नहीं बेंच सकती है. Public limited कंपनी सरकारी और प्राइवेट दोनों ही हो सकती है.
Public limited company और Private Limited Company के बीच अंतर जरुर है किन्तु दोनों ही कंपनियों की स्थापना भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के अनुसार ही होती है. समय – समय पर यह अधिनियम संसोधित होती रहती है जैसे Companies Act 2013 एवं Amendment Act 2015. Public limited company में न्यूनतम 7 सदस्य होने चाहिए.
(6) Section 8 Company
कई कम्पनियाँ ऐसी होती है जिसका उदेश्य मुख्य रूप से charitable और गैर लाभकारी होता है. ऐसी कंपनियों को Section 8 Company या धारा 8 कंपनी के रूप में संदर्भित किया जाता है. ऐसी कंपनियों को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत मान्यता प्राप्त होती है या पंजीकृत की जाती है.
इसका उद्देश्य कला, वाणिज्य, विज्ञान, दान, खेल, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, धर्म, सामाजिक कल्याण आदि क्षेत्रों को बढ़ावा देना है. ऐसी कम्पनियाँ अपने सदस्यों को कोई लाभांश नहीं देती है. यहाँ किसी भी प्रकार के आय या लाभ का उपयोग सामान्यतः कंपनी के promotion के लिए किया जाता है.
अन्य कंपनियों से अलग इसे आरम्भ करने के लिए केंद्र सरकार से एक विशेष लाइसेंस प्राप्त करना जरुरी है.
धारा 8 कंपनी को गैर लाभकारी संगठन या NPO (Non-Profit organization) के नाम से भी जाना जाता है. ट्रस्ट और सोसाइटी की तुलना में धारा 8 कंपनियों का संचालन और पंजीकृत (company registration) करना आसान है. भारत में अक्सर किसी गैर लाभकारी संगठन को NGO के रूप में जाना जाता है.
thanks bro