Compound Interest क्या होता है?-कंपाउंड इंटरेस्ट फॉर्मूला-उदाहरण-महत्त्व

Compound Interest क्या होता है? आज के इस लेख में हम compound interest के बारे में जानेंगे. Compound Interest को समझने से पहले आइए समझते हैं कि वास्तव में ब्याज (interest) क्या है. हममें से अधिकांश लोग ब्याज से परिचित हैं क्योंकि यह हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा विषय है.

ब्याज वह अतिरिक्त धन है जो बैंकों या डाकघरों जैसे संस्थानों द्वारा उनके पास हमारे जमा धन पर हमें भुगतान किया जाता है या जब हम किसी से पैसे उधार लेते हैं तो हम एक निश्चित अवधि के बाद उधार लिए गए धन पर ब्याज के रूप में अतिरिक्त धन का भुगतान करते हैं. ब्याज की गणना आमतौर पर सालाना की जाती है.

साधारण शब्दों में कहें तो जब हम उधारदाताओं से पैसा उधार लेते हैं, तो ब्याज का भुगतान करते हैं और जब हम कर्जदारों को पैसा उधार देते हैं, तो हमें ब्याज मिलता है.

आपको बता दें कि हम ब्याज की गणना दो तरीकों से कर सकते हैं पहला Simple Interest और दूसरा Compound Interest.

Compound Interest क्या होता है?

Compound Interest को हिंदी में हम चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं. चक्रवृद्धि ब्याज एक ऋण या जमा राशि पर लगाया जाने वाला ब्याज है. स्कूल के syllabus में भी इसके बारे में पढ़ाया जाता है. संक्षेप पे यदि कहें तो compound interest वह ब्याज है जो हम ब्याज पर कमाते हैं. अब आप सोंच रहे होंगे कि हम ब्याज पर ब्याज कैसे कमा सकते हैं.

इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है, मान लीजिये आपके पास 100 रुपया है जिसपर आपको प्रत्येक वर्ष 5% की दर से दो वर्ष तक चक्रवर्ती ब्याज प्राप्त होगा तो वर्ष के अंत में आपके पास 105 रुपया होंगे. अर्थात 100 रुपया आपके मूलधन और इसपर सालाना 5% की दर से पहले वर्ष पर कमाया गया 5 रुपया ब्याज. इसप्रकार आपके पास वर्ष के अंत में (मूलधन 100 रुपया + ब्याज 5 रुपया) 105 रुपया हो गया.

अब आगे समझते हैं, चूँकि यहाँ पर आपको चक्रवृद्धि ब्याज प्राप्त हो रहा है इसलिए दुसरे वर्ष में आपको 100 रुपया पर नहीं बल्कि 105 रूपये पर ब्याज प्राप्त होगा और इसके बारे में मैं आपको ऊपर बता चूका हूँ क़ि compound interest वह ब्याज है जो हम ब्याज पर कमाते हैं.

इसतरह से दुसरे वर्ष में आपके पास 105 रुपया और सालाना 5% की दर से इसपर दुसरे वर्ष में कमाया गया 5.25 रुपया ब्याज कुल 110.25 रुपया हो गया. यहाँ पर compound Interest की ताकत को समझा जा सकता है जहाँ आपको 5 रुपया के ब्याज पर भी 0.25 पैसे अर्जित किए. और यह समय के साथ बढ़ता चला जाता है.

इस प्रकार, आप समझ गए हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज की गणना प्रारंभिक मूल राशि और पिछली अवधि के संचित ब्याज दोनों के आधार पर की जाती है अर्थात यह मूलधन और ब्याज दोनों पर दिया जाने वाला ब्याज है, जो नियमित अंतराल पर संयोजित होता है.

एक निवेशक compound Interest की ताकत को समझते हैं और अगर आप भी कम्पाउंडिंग की ताकत को समझ लेते हैं तो आपको भी धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकेगा.

Compound interest formula

निम्न सूत्र को समझने का प्रयास करें –

formula of compound interest

यहाँ पर (ऊपर दर्शाये गए फॉर्मूला में) –

  • A = amount (Amount कुल राशि का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें चक्रवृद्धि ब्याज और मूलधन शामिल होता है अर्थात Amount = Principal + Compound Interest)
  • P = principal (यह मूल राशि है)
  • r = rate of interest (ब्याज दर)
  • n = Total number of interest cycles in a year (एक वर्ष में कुल ब्याज-चक्रों की संख्या)
  • t = time (कुल समय)

ऊपर दिए गए सूत्र का उपयोग करके हम समय अवधि के अंत में total amount निकालने के लिए करते हैं जिसमें चक्रवृद्धि ब्याज और मूलधन शामिल है. अब जब हमें amount मिल गया तो हम इस राशि से मूलधन (P) घटाकर चक्रवृद्धि ब्याज (CI) की गणना कर सकते हैं जिसे आप निम्न सूत्र का उपयोग करके निकाल सकते हैं –

Compound Interest = Amount – Principal (CI = A – P)

अब ऊपर दिए गए फॉर्मूला को एक उदाहरण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं –

Example of compound interest

48,000 रुपये मूल राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज ज्ञात कीजिए जहाँ 8 % प्रति वर्ष की दर से ब्याज अर्धवार्षिक रूप से जोड़ा जाता है. 1 वर्ष बाद कुल कितनी राशि होगी?

Solution:- ऊपर पूछे गए प्रश्न के अनुसार –

  • Principal (P) = Rs 48,000
  • Rate (R) = 8% p.a.
  • Time = 1 year
  • n = 2 (ब्याज अर्धवार्षिक रूप से संयोजित होता है)

अब हम प्रश्न से प्राप्त डाटा तो फार्मूला (A = P[1 + (r/n)]nt) में रखकर हल करते हैं तो 48000[1 + (8/200)]2(1) हमें Amount Rs 51,916.80 प्राप्त होता है. और जब हमें amount प्राप्त हो गया तो हम compound interest निकलने के लिए amount (51,916.80) में से principal (48,000) घटा देंगे अर्थात 519,16.80 – 48,000 = Rs 3,916.80.

इसतरह से compound interest 3,916.80 रुपया होगा.

ऊपर दिए गए उदाहरण में आपने देखा कि ब्याज अर्धवार्षिक रूप से जोड़ा गया है. आपको ध्यान देना है कि चक्रवृद्धि ब्याज की गणना वार्षिक, अर्धवार्षिक, त्रैमासिक आधार पर की जाती है.

यदि ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित किया जाता है, तो आप निचे दिए गए सूत्र का उपयोग करके परिणाम पा सकते हैं –

A = P[1 +(R/100)]t

यदि ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित किया जाता है तो आप चक्रवृद्धि ब्याज निकालने के लिए निम्न फार्मूला का उपयोग कर सकते हैं –

C.I = P(1+R⁄100)t– P

Compound interest का महत्त्व

Compound interest साधारण ब्याज (simple interest) की तुलना में आपके धन को तेजी से बढ़ाता है. अमीर बनने के लिए आपको कंपाउंडिंग के जादू को समझना होगा क्योंकि जितनी जल्दी आप इस प्रकार के ब्याज वाले खाते को खोलेंगे और पैसे जमा करना शुरू करेंगे, चक्रवृद्धि ब्याज आपको उतना ही अधिक कमाई देगा.

आपने वो कहावत तो सुनी होगी “Money makes money” अर्थात पैसे से पैसा बनता है और एक अच्छा निवेशक इस मंत्र को भलीभांति समझते हैं. चक्रवृद्धि ब्याज के जरिये हम अपनी बचत और निवेश के विकास को गति दे सकते हैं.

क्योंकि इसके जरिये हम न केवल अपने मूलधन पर ब्याज अर्जित कर रहे होते हैं बल्कि हमारा ब्याज भी ब्याज कमाता है. असल में इसकी ताकत को एक निवेशक ही समझ सकता है.

Top Ten Points on Compound Interest

  1. चक्रवृद्धि ब्याज के अंतर्गत हमारे अर्जित ब्याज को वापस अपने मूल धन में जोड़ दिया जाता है.
  2. ब्याज पर भी ब्याज, यही ताकत है इसकी.
  3. चक्रवृद्धि ब्याज आपके धन को तेजी से बढ़ने का कारण बनता है.
  4. इसे “दुनिया का आठवां आश्चर्य” के तौर पर जाना जाता है.
  5. चक्रवृद्धि अवधियों की संख्या जितनी अधिक होगी, ब्याज भी उतना ही ज्यादा प्राप्त होगा.
  6. यह धन-क्षरण कारकों को कम करने में मदद करता है.
  7. यदि आप इसे अच्छी तरह समझ गए तो आप अपने पैसे का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं.
  8. इसके लाभ हैं तो इसकी हानि भी है क्योंकि चक्रवृद्धि ब्याज का भुगतान करने से कर्ज नियंत्रण से बाहर हो जाता है.
  9. चक्रवृद्धि ब्याज के कारण ही बहुत से निवेशक इतने सफल होते हैं.
  10. चक्रवृद्धि ब्याज आपका निवेश को समय के साथ तेजी से बढ़ाता है किन्तु यदि आप किसी तरह का कर्ज चुका रहे हैं तो यह आपके खिलाफ होगा.
Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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