Definition of Money in Hindi : जानिये मुद्रा की परिभाषा हिंदी में

Definition of Money in Hindi – आज का लेख मुद्रा से सम्बंधित है, इसमें मैं विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिए गये मुद्रा की परिभाषाओं से आपको अवगत कराऊंगा. आपको बता दें की ‘मुद्रा’ की कोई एक परिभाषा नहीं है विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अपने – अपने हिसाब से इसके अर्थ को स्पष्ट किये हैं, इसके कार्यों की विवेचना की है, अलग – अलग परिभाषाएं दी है. 

आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि मुद्रा धन का वह रूप है जिसके द्वारा हम अपने रोजमर्रा की ज़िन्दगी में क्रय – विक्रय करते हैं. इसमें कागज के नोट और सिक्के प्रचलन में हैं. 

चलिए जानते हैं इसके परिभाषाओं को जो विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने दिए हैं.

Definition of Money in Hindi (मुद्रा की परिभाषा)

प्रो. रार्बटसन के अनुसार : मुद्रा वह वस्तु है जो अन्य वस्तुओं के भुगतान में या अन्य व्यवसायिक दायित्वों के लिए स्वीकार की जाय.” अर्थात कुछ भी या कोई भी वस्तु जो सामानों के भुगतान में या अन्य व्यवसायिक दायित्वों के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, मुद्रा कहलाता है.

वाकर के अनुसार : मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है.”

प्रो. क्राउथर के अनुसार : “मुद्रा वह वस्तु है जो सामान्य रूप से विनिमय के साधन के रूप में स्वीकार की जाती है और साथ ही मूल्य के माप और संचय के रूप में कार्य करती है.”

प्रो. केंट के अनुसार : “मुद्रा एक ऐसी चीज है जिसे आमतौर पर विनिमय के माध्यम या मूल्य के मानक (standard of value) के रूप में स्वीकार किया जाता है.”

जी. डी. एच. कोल के अनुसार : मुद्रा केवल क्रय-शक्ति है जिसके द्वारा वस्तुएं खरीदी जा सकती है. यह व्यापक रूप से भुगतान के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है और साधारणतः ऋण के भुगतान में स्वीकार्य होता है.”

सेलिगमैन के अनुसार : “जिसे सामान्य स्वीकार्यता प्राप्त हो (जो सामान्य स्वीकार्यता रखता हो), वह मुद्रा है.”

प्रो. मार्शल के अनुसार : वे सभी वस्तुएं मुद्रा में शामिल हैं जो कि किसी भी समय और स्थान पर बिना किसी संदेह या विशेष जांच के वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने तथा व्यय करने के साधन के रूप में स्वीकार्य है”

प्रो. एली के अनुसार : मुद्रा कुछ भी हो सकती है जो स्वतंत्र रूप से विनिमय के माध्यम के रूप में हस्तान्तरित होती है और जो सामान्यत ऋणों के भुगतान के रूप में ग्रहण की जाती है.”

प्रो. नैप के अनुसार : जो वस्तु राज्य द्वारा मुद्रा घोषित कर दी जाती है वह वस्तु मुद्रा बन जाती है.”

Final Words, 

ऊपर मैंने कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों द्वारा मुद्रा पर दिए गये परिभाषाओं का वर्णन किया है जो मुद्रा के बारे में आपकी समझ को बढाने में मददगार होगा. यदि मुद्रा के सभी गुणों को ध्यान में रखा जाए तो बैंक – नोटों, प्रतिभूतियों तथा साख – पत्रों को मुद्रा में सम्मिलित किया जा सकता है. आज के समय में मुद्रा के बिना आधुनिक अर्थव्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती है.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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