Deflation meaning in Hindi : जानिये इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं

Deflation meaning in Hindi : मैंने अपनी पिछली लेख में आपको Inflation के बारे में बताया था और आज का हमारा टॉपिक है Deflation. चूँकि Deflation मुद्रास्फीति (inflation) के विपरीत की स्तिथि होती है इसलिए यदि आप inflation के बारे में अच्छी तरह से समझ जाते हैं तो आपको Deflation को समझने में और भी आसानी होगी.

यहाँ पर मैं संक्षेप में मुद्रास्फीति (inflation) के बारे में प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ ताकि आपको Deflation का कांसेप्ट क्लियर करने में परेशानी न हो.

सामान्य शब्दों में यदि कहा जाये तो अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति के बीच जब असंतुलन होती है तो ऐसी परिस्थिति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती है. वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ गयी अर्थात हम कह सकते हैं कि महंगाई बढ़ गयी. इसे ही हम मुद्रास्फीति (inflation) कहते हैं. ऐसी परिस्थिति में हो सकता है बाजार में जो सामान आपके लिए पहले 100 रूपये में उपलब्ध थी उसी को खरीदने के लिए आपको अब 150 रूपये खर्च करने पड़ सकते हैं.

मुद्रास्फीति (inflation) की स्तिथि में मुद्रा के मूल्य में गिरावट आती है. क्राउथर (Crowther) के अनुसार “मुद्रा-स्फीति वह स्तिथि है जिसमें मुद्रा का मूल्य गिर रहा हो अथवा वस्तुओं का मूल्य बढ़ रहा हो.” कई अर्थशास्त्रियों ने मुद्रास्फीति की अलग – अलग परिभाषा दी है जिनमें प्रमुख हैं – हाट्रे (Hawtrey), केमरर (Kemmerer), पीगू (Pigou) गोल्डनवाइज़र (Goldenweiser).

Meaning of Deflation in Hindi

जैसा कि आप समझ चुके हैं कि deflation मुद्रा-स्फीति के विपरीत की स्तिथि होती है. हिंदी में इसे अपस्फीति या मुद्रा-संकुचन कहते हैं. अपस्फीति एक ऐसी स्थिति है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें गिर रही होती हैं. ऐसी स्तिथि तब आती जब मुद्रास्फीति की दर शून्य फीसदी से भी निचे चली जाती है.

Deflation की स्तिथि में अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा में वृद्धि होती है जबकि इसके मुकाबले मुद्रा की मात्रा में कमी होती है. जब देश में मुद्रा की मात्रा में किसी प्रकार की वृद्धि न हो लेकिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन बढ़ जाय, ऐसी स्तिथि में मुद्रा – संकुचन की स्तिथि उत्पन्न हो सकती है.

वास्तव में, मुद्रा की मात्रा की तुलना में वस्तुओं और सेवाओं की अधिकता ही मुद्रा संकुचन का संकेत है. Deflation की स्तिथि में एक ओर जहाँ वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा में वृद्धि होती है वहीं मुद्रा की मात्रा में कमी होती है, फलस्वरूप मांग में कमी आती है और वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें गिर जाती है.

अपस्फीति या मुद्रा-संकुचन के कई कारण हो सकते हैं जैसे मुद्रा की मात्रा में कमी होना, उत्पादन में वृद्धि होना. यह व्यवसायियों एवं उत्पादकों को हानि उत्पन्न करता है. लोगों की आय एवं मांग में कमी हो जाती है और कीमतें गिरती है. ऐसी स्तिथि में जब उत्पादकों को लाभ होना कम हो जाता है तो वे भी मजदूरों की मजदूरी में कटौती करते हैं या उनकी छटनी करते हैं जिससे अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी में वृद्धि होती है.

अपस्फीति के प्रभाव (Effects of Deflation)

जैसा कि आप जानते हैं हमारे समाज में विभिन्न वर्ग के लोग रहते हैं. अपस्फीति के कारण समाज के विभिन्न वर्गों पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है. व्यापारियों और उत्पादकों के लिए यह हानिकारक है क्योंकि इस स्तिथि में लोगों की आय एवं मांग में कमी हो जाती है और मूल्यों में गिरावट आती है. जब उत्पादन लागत की अपेक्षा मूल्य अधिक तेजी से गिरते हैं तो उत्पादकों को लाभ होना समाप्त हो जाने की स्तिथि में वे मजदूरों की मजदूरी में कटौती करते हैं तथा उनकी छटनी भी करते हैं फलस्वरूप बेरोजगारी में इजाफा होती है.

कई मामलों में जानकारों को यह मानना है कि मुद्रा स्फीति की अपेक्षा मुद्रा संकुचन ज्यादा बुरी होती है. इसलिए तो प्रो. केन्स ने कहा है, “मुद्रास्फीति अन्यायपूर्ण है और अपस्फीति अनुपयुक्त है, दोनों में से, अपस्फीति ज्यादा बुरा है.”

अपस्फीति के कारण जब मांग में कमी आती है तो इस दौरान निवेश में भी गिरावट देखी जाती है. जब कभी अर्थव्यवस्था में अपस्फीति की स्तिथि आती है तो सरकार को ज्यादा रूपये छापने पड़ते हैं. क्योंकि जब सरकार कागजी-मुद्रा एवं धातु मुद्रा में कमी कर देती है किन्तु वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा में कोई कमी नहीं होती है तो deflation की स्तिथि उत्पन्न होती है.

अपस्फीति से निजात पाने के लिए रिज़र्व बैंक दरों में और भी कटौती कर सकती है. अंत में निष्कर्ष यही है कि deflation के कारण अर्थव्यवस्था में काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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