इस वर्ष 2021 में दिवाली 4 नवंबर दिन गुरूवार को मनाया जाएगा. दिवाली कहें या दीपावली, यह दश्हरा के बाद प्रत्येक वर्ष मनाया जानेवाला हिन्दुओं का एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है. शरद ऋतू में मनाया जानेवाला इस दीपोत्सव का अपना आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है साथ ही इस त्योहार के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.
देश के भिन्न – भिन्न हिस्सों में अलग – अलग तरीकों से मनाया जानेवाला यह प्राचीन हिन्दू त्योहार है, किन्तु देखा जाये तो सदियों से गैर-हिंदू समुदायों द्वारा भी इसे धूम – धाम से मनाया जाता है जैसे – जैन धर्म, सिख धर्म तथा बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा भी इस पर्व का आनंद लिया जाता है.
दीपों का यह त्योहार हमें यही सन्देश देता है कि – “अन्धकार पर प्रकाश का विजय.” या बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है . प्रकाशोत्सव के रूप में भी जाना जानेवाला त्योहार दीपावली का अर्थ “दीपों की श्रृंखला” होता है. आइए, विस्तारपूर्वक जानते हैं कि दिवाली क्यों और कब मनाया जाता है?
त्योहार कोई भी हो, हमें मौका देता है अपनों के साथ खुशियां बांटने का, बड़ों का आशीर्वाद पाने का. हम नाचते हैं गाते हैं, खूब मस्ती होती है, आपसी बैर भूलकर प्यार बांटते हैं. इस तनावपूर्ण जीवन में कुछ पल के लिए ही सही हम अपने अंदर नव – ऊर्जा का संचार कर पाते हैं.
आप सभी को हमारी ओर से दीवाली की हार्दिक – हार्दिक शुभकामनायें, Happy Diwali. कामना करता हूँ रौशनी का यह पावन त्यौहार आपके जीवन से अंधकार मिटाकर हर पल आपको एक नयी रौशनी दे ; आपके जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि लेकर आये.
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दिवाली क्यों मनाया जाता है?
दिवाली या दीपावली एक प्राचीन हिन्दू त्योहार है जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. दीपावली संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ और ‘आवली’ के मिश्रण से बना है जिसका अर्थ “दीपों की श्रृंखला” होता है. हमारे देश भारत के अधिकांश भागों में यह त्योहार पांच दिनों के लिए मनाया जाता है, आईए जानते हैं वो दिन कौन – कौन सा है –
- पहला दिन धनतेरस
- दूसरे दिन काली चौदस या नरक चतुर्दशी
- तीसरा दिन वास्तविक दिवाली या दीपावली
- चौथा दिन गोवर्धन पूजा (आमतौर पर भारत के उत्तरी राज्यों में, इस दिन को व्यापक रूप से मनाया जाता है.
- पांचवां दिन भाई दूज
दिवाली मनाने के पीछे वैसे तो कई मान्यतायें प्रचलित हैं किन्तु यहाँ पर मैं कुछ प्रसिद्ध मान्यताओं का वर्णन कर रहा हूँ कि आखिर दिवाली क्यों मनाया जाता है –
(1) भगवान् श्रीराम का अयोध्या लौटना
भगवान् श्रीराम का अयोध्या लौटना : कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान् राम माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ असुर राज रावण को हराकर, चौदह वर्षों के वनवास के पश्चात जब अयोध्या लौटे तो नगरवासियों का ख़ुशी का ठिकाना न रहा. मान्यता है कि इस दिन अयोध्या वासियों ने पूरे शहर को मिट्टी के दीयों से जगमगा दिया. इसतरह से भारतवर्ष में दिवाली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा. रावण को जीतकर और लंका पर विजय प्राप्त करके भगवन राम अयोध्या लौटे थे अर्थात बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी. दिवाली का त्योहार हम सब को यही सन्देश देता है.
(2) माता लक्ष्मी का अवतरण
पौराणिक कथाओं में एक कथा ये भी प्रचलित है कि कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन समुन्द्र मंथन के दौरान धन की देवी माता लक्ष्मी अवतरित हुई थी. हिन्दू माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी मानते हैं इसी कारण दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का भी विधान है.
(3) भगवान् कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध
दिवाली मानाने के पीछे एक प्रसिद्ध कथा भगवान् कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध भी प्रचलित है. कहा जाता है कि दिवाली से एक दिन पूर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षसराज नरकासुर का वध भगवान् कृष्ण द्वारा किया गया था. इसी ख़ुशी में अगले दिन अर्थात अमावस्या के दिन विजय पर्व के रूप में दीपावली मनाया गया.
इसके अतिरिक्त और भी कई कथाएं प्रचलित हैं जैसे – हिरण्यकश्यप वध, विक्रमादित्य का राज्याभिषेक आदि. जैन मतावलंबियों के लिए दिवाली महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन वे इस त्योहार को महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं हालाँकि उनका पूजन विधि अन्य समुदायों से भिन्न है.
दिवाली कब मनाया जाता है?
ये तो आप समझ गए कि दिवाली क्यों मनाया जाता है चलिए अब जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष दिवाली कब मनाया जाता है –
- त्योहार का नाम – दिवाली या दीपावली
- दीपावली का अर्थ – दीपों की श्रंखला
- कौन – कौन मनाते हैं – हिन्दू , सिख, जैन और बौद्ध
- दिवाली मनाने का तरीका – पूजा करना, दीप या दिया जलाना, आतिशबाजी करना, अपने – अपने घरों की साफ़ – सफाई और सजावट करना, नए कपडे पहनना, मिठाइयां और उपहार बांटना आदि.
- कब मनाया जाता है – कार्तिक मास की अमावस्या को आमतौर पर यह तिथि अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है.
- त्यौहार का महत्व – आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
- सन्देश – अन्धकार पर प्रकाश की विजय
दिवाली का सन्देश
भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दिवाली इस वर्ष आपके लिए सुख और समृद्धि लेकर आये. आप इस पर्व को अपनों के साथ उल्लास के साथ मनाएं किन्तु इसे केवल पटाखों का त्योहार न बनायें बल्कि इसके महत्त्व को समझें. पर्यावरण का भी ख्याल रखें. याद रखें आप जो प्रकृति को देते हैं प्रकृति बदले में उसे ही आपको लौटती है. वातावरण प्रदूषित होगा तो उसका असर हमपर जरूर पड़ेगा.
मैं ये नहीं कह सकता की आप आतिशबाजी नहीं करें किन्तु जरा सोंचें क्या पटाखे फोड़ने के आलावा भी हम कुछ अलग कर सकते हैं और समाज को नयी सन्देश दे सकते हैं? पटाखे कितना और कैसे छोड़ें ये आपके विवेक पर निर्भर है किन्तु ये बात सत्य है कि दिवाली के बाद वायु प्रदुषण काफी बढ़ जाता है, और इसके लिए किसी को तो ध्यान देना होगा.
अंत में आप
सभी को हमारी ओर से दीवाली की हार्दिक – हार्दिक शुभकामनायें, Happy Diwali. यदि आप इस त्योहार से सम्बंधित कोई बात रखना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं.