Hi friends, आज के लेख में हम सीखेंगे कि journal entries का format कैसा होता है. जर्नल एंट्री फॉर्मेट बही खाता पद्धती में उपयोग किया जानेवाला वह मानक प्रारूप है जहाँ कंपनी की सभी व्यावसायिक लेन-देन का रिकॉर्ड रखा जाता है.
यह लेखांकन की दोहरी प्रविष्टि बहीखाता पद्धति (double-entry bookkeeping system) है. इसमें डेबिट और क्रेडिट पक्ष हमेशा समान रहते हैं.
आईये विस्तारपूर्वक जानते हैं जर्नल एंट्रीज़ के format के बारे में –
Format of Journal Entries

जैसा कि आप ऊपर दिए गये figure में देख सकते हैं कि Journal Entry के standard format में 5 column होते हैं.
First Column : Date of Transaction (लेनदेन की तारीख)
पहले कॉलम में, लेन-देन की तारीख दर्ज की जाती है. इसमें वर्ष और महीना केवल एक बार लिखा जाता है, जब तक वे बदलते नहीं जाते हैं. जर्नल एंट्रीज़ बनाते समय तारीखों और महीनों के अनुक्रम को सख्ती से बनाए रखा जाना चाहिए.
Second Column : Particulars
इस कॉलम में प्रत्येक लेनदेन दो खातों को प्रभावित करता है. यहाँ एक खाता को डेबिट किया जाता है और दुसरे को क्रेडिट किया जाता है. यहाँ डेबिट किए जाने वाले खाते का नाम पहले लिखा जाता है और कॉलम के अंत में ‘Dr.’ शब्द लिखा जाता है.
Credit किए जाने वाले खाते का नाम ‘To’ के साथ शुरू होता है जिसे डेबिट खाता के निचे कुछ स्थान की दूरी पर लिखा जाता है.
प्रत्येक प्रविष्टि के बाद हम लेन-देन की व्याख्या दिखाते हैं जिसे हम ‘narration’ कहते हैं.
Third Column : Ledger Folio
जैस कि हम सभी जानते हैं कि जर्नल से सभी प्रविष्टि बाद में ledger account में पोस्ट की जाती हैं. वास्तव में folio number संबंधित ledger account में विशेष प्रविष्टि की पहचान करने के लिए उपयोग की जाने वाली reference संख्या को इंगित करता है.
Fourth Column : Amount Dr.
Amount Dr. : चौथे कॉलम में, डेबिट किए जा रहे खाते की राशि लिखी जाती है.
Fifth Column : Amount Cr.
Amount Cr. : पांचवें कॉलम में, क्रेडिट किए जा रहे खाते की राशि लिखी जाती है.
तो दोस्तों, आशा करता हूँ कि Format of Journal Entries आपको समझ में आ गयी होगी. यदि सम्बंधित विषय से आपके मन में कोई सवाल हो तो आप comment करके पूछ सकते हैं.
Journal Entries का format कैसा होता है मैंने इसके बारे में आपको विस्तारपूर्वक बताया यदि आप इसकी विशेषताएं और उदहारण को अच्छी तरह समझना चाहते हैं तो हमारा इस लेख को पढ़ें – Journal Entries Example: Journal की विशेषताएं जानिये हिंदी में.
अक्सर पूछा जानेवाला सवाल
- जर्नल एंट्री क्या है?
व्यापारिक लेन-देनों को तिथि के अनुसार लिखने को जर्नल एंट्री (Journal entry) कहते हैं. इस लेखा प्रणाली का उपयोग करके व्यापारिक लेनदेन को तिथिवार दर्ज किया जाता है. इसका उपयोग सदियों से वित्तीय रिकॉर्ड रखने के लिए किया जाता रहा है.
- जर्नल एंट्री को हिंदी में क्या कहते हैं?
जर्नल एंट्री को हिंदी में रोजनामचा कहते हैं और इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इसका मतलब प्रत्येक दिन का लेखा-जोखा रखना या लिखना होता है.
- जर्नल एंट्री के फॉर्मेट में कितने कॉलम होते हैं?
Journal Entry के standard format में 5 column होते हैं जैसे First Column: Date of Transaction, Second Column: Particulars, Third Column: Ledger Folio, Fourth Column: Amount Dr. और Fifth Column: Amount Cr.
- जर्नल एंट्री का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
जर्नल एंट्री का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के प्रत्येक लेन-देन को तिथिवार दर्ज करना है जिसे बाद में खाता बही में पोस्ट की जाती हैं. जर्नल प्रविष्टियाँ वर्ष के अंत में लेखापरीक्षा करने में लेखापरीक्षकों की सहायता करती हैं.