Gandhi Jayanti in Hindi : उस महात्मा का त्याग और तपस्या को देश कैसे भूल सकता है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए आजीवन संघर्ष किया. सत्य और अहिंसा जिनका धर्म था उस संत को हम मोहनदास करमचंद गांधी, बापू या महात्मा गाँधी के नाम से जानते हैं. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है. उनके विचारों में इतना बल है कि केवल देश में ही नहीं अपितु विश्वभर में उनके विचारों से आज भी प्रेरणा लिया जाता है.
महात्मा गाँधी भारतीय राष्ट्रिय आंदोलन के ऐसे शक्तिशाली नेता थे जिन्होंने अहिंसा के सिद्धांतो पर चलते हुए भारत देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका अहिंसक विरोध ही अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार आवाज बनकर गुंजी. वे अपने “अहिंसा के सिद्धांत” के लिए जगत प्रसिद्ध हुए.
देश इस महान राजनितिक और आध्यात्मिक नेता को श्रद्धासुमन अर्पित करने के उद्देश्य से उनके जन्मदिन को गाँधी जयंती के रूप में मनाता है. ज्ञात हो कि भारत में प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है. जिस प्रकार हमारे राष्ट्रीय त्यौहार गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) हैं उसी प्रकार गाँधी जयंती को भी राष्ट्रीय त्यौहार का दर्जा प्राप्त है.
यदि आप गाँधी जयंती से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों और इसके महत्व को विस्तारपूर्वक समझना चाहते हैं को कृपया इस आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें.
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महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम है जो सादगी के मूरत थे वे अपनी तपस्वी जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं.
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गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है?
जैसा कि हम सभी को ज्ञात है कि हमारे देश भारत में “2 अक्टूबर” का दिन हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है. यह वही दिन है जिस दिन संसार को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके अद्वितीय योगदान को देश कैसे भूल सकता है? इसलिए हम गाँधी जयंती के रूप में महात्मा गाँधी के जन्म दिवस को मनाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. इस दिन देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है.
भारत में 2 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष महात्मा गाँधी के जन्मदिन को “गाँधी जयंती‘ के रूप में मनाता है. महात्मा गाँधी अहिंसा के सिद्धांतो पर सदैव चलते रहे. इनके जन्म दिन को अर्थात गाँधी जयंती को पूरे विश्व में “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 जून 2007 को गाँधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में चुना गया. वास्तव में गाँधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाना समस्त संसार में इनके अहिंसावादी सिद्धांत का प्रसार करना है.
महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम है जो किसी धर्म, जाति, राष्ट्र की सीमा से परे है. इन्हे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाता है. और इसी सम्मान की अभिव्यक्ति के रूप में इनके जन्म दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में चुना गया.
दुनियाभर में अहिंसक आंदोलनों के प्रेरणाश्रोत महात्मा गांधी आजीवन अहिंसा के सिद्धांतो पर अडिग रहे चाहे उनको कितना भी दमनकारी परिस्तिथियाँ या दुर्गम चुनौतियों का क्यों न सामना करना पड़ा हो. उपनिवेशवाद से आजादी के लिए अपनी लड़ाई में वे हमेशा हिंसा या नफरत के इस्तेमाल से परहेज करते रहे.
भारत को गुलामी के बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया. आजादी के लड़ाई लड़ने के लिए सबके अपने – अपने सिद्धांत और आदर्श थे किन्तु महात्मा गाँधी सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चलते हुए देश को आजाद कराने में अपना अहम् योगदान दिया. इनका पूरा जीवन देश के लिए ही समर्पित रहा.
महात्मा गाँधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता और एक समाज सुधारक थे. इन्हे राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है.
गांधी जयंती कब और कैसे मनाई जाती है?
गाँधी जयंती प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. इनका जन्म दो अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था. इन्ही के जन्म दिवस को हम गाँधी जयंती के रूप में मनाते हैं. गाँधी जयंती एक राष्ट्रिय कार्यक्रम है जिसे देशभर में पुरे उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल आदि बंद रहते हैं.
गाँधी जयंती के दिन देशभर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे नाटक, प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन, भाषण, नृत्य-संगीत आदि. भारत के लोग उनके जन्म दिवस के मौके पर उन्हें ह्रदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. नयी दिल्ली में महात्मा गाँधी की समाधी (राजघाट) पर ख़ास तैयारियां की जाती है. इसे फूलों से सजाया जाता है तथा यहाँ पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन होता है. इसदिन कुछ गणमान्य लोगों द्वारा राजघाट में गाँधी जी के प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित किया जाता है.
गाँधी जयंती के पावन अवसर पर कई लोग गुजरात में स्थित साबरमती आश्रम जाते हैं. साबरमती आश्रम में कई वर्षों तक रहकर गाँधी जी ने सादा जीवन व्यतीत किया था. गाँधी जी का चरखा जिसके बारे में हम सभी ने सुन रखा है यह इसी आश्रम में है. इनके कई सामान यहाँ मौजूद हैं जिसे देखने के लिए अक्सर लोग यहाँ आते रहते हैं.
गाँधी जयंती के बारे में अब तक आप बहुत कुछ समझ चुके हैं, आइए इनके जीवन परिचय के बारे में भी संक्षेप में समझ लेते हैं –
महात्मा गाँधी अपने समय के महान शख्सियतों में से एक थे. उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए कई आंदलोनो का नेतृत्व किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सामूहिक अवज्ञा और अहिंसक प्रतिरोध की नीति को अपनाया.
महात्मा गांधी की संक्षिप्त जीवनी
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था व् माता का नाम पुतलीबाई था. उनकी माता एक धार्मिक महिला थी जिसका काफी प्रभाव मोहनदास करमचंद गाँधी के जीवन में आजीवन रहा. उनके पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे. उनका विवाह काफी कम उम्र में कस्तूरबा नामक कन्या से कर दिया गया. अपनी विवाह के समय गाँधी जी मात्र लगभग 13 वर्ष के थे और उस समय कस्तूरबा की आयु मात्र 14 वर्ष थी.
कहते हैं कि गाँधी जी का पालन पोषण उस परिवार में हुआ जो वैष्णव मत को माननेवाले थे. जैन धर्म का भी काफी असर इनके जीवन में देखा गया जिसके प्रभाव के कारण ही उन्होंने सत्य और अहिंसा का दामन आजीवन थामे रखा.
महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा की यदि बात करें तो उन्होंने मिडिल स्कूल तक पोरबंदर में पढाई की. वर्ष 1887 में राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किया. इसके बाद इनका दाखिला आगे की पढाई के लिए भावनगर के शामलदास कॉलेज में हुआ. वहां वे अपना मन पढाई में पूरी तरह नहीं लगा सके. गृह वियोग, अस्वस्थता आदि कारणों से वे पोरबंदर वापस चले आये.
पढाई-लिखाई में गाँधी जी एक औसत छात्र ही रहे.
गाँधी जी की विदेश शिक्षा पर प्रकाश डालें तो वे कानून की पढाई करने के लिए 4 सितंबर 1888 को इंग्लैंड गए और वहां रहते हुए उन्होंने लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज से कानून की पढाई पूरी की और इसके पश्चात वर्ष 1891 में वे भारत वापस लौट आये. इसके बाद किसी केस के सिलसिले में गाँधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका का भी यात्रा किया गया. वास्तव में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा इनके जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया. इस यात्रा के दौरान अपने और भारतियों पर किये गए भेदभाव का सामना करना पड़ा. यह यात्रा इनके लिए अनेक कठिनाइयों से भरा, उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा.
दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गाँधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. यह वह दौर था जब भारत अंग्रेजो की गुलामी का मार झेल रहा था. ज्ञात हो कि मुट्ठीभर अंग्रेजों ने भारत जैसे प्राचीन देश के ऊपर लगभग 200 वर्षों तक शासन किया. यहाँ के लोगों के ऊपर अंग्रेजों का अत्याचार जारी था, गरीबी और भूखमरी थी. गाँधी जी भारतियों के ऊपर हो रहे अत्याचारों को सहन न कर सके और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया.
महात्मा गाँधी अंग्रेजों का अत्याचार के खिलाफ “सत्य और अहिंसा” को अपना हथियार बनाया. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए गाँधी जी द्वारा कई आंदोलन किये गए और इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. वह अपने अहिंसा विरोध के लिए विख्यात थे और स्वतंत्रता आंदोलनों के एक प्रमुख व्यक्ति थे जिनके अथक प्रयासों से आखिरकार भारत को औपनिवेशिक शासन से आजादी मिल पायी.
नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी किन्तु आज भी उनके महान विचार हमें राह दिखाते हैं. भले ही उनका भौतिक शरीर नष्ट हो गया है किन्तु अपने महान कृत्य के बल पर वे सदा – सदा के लिए अमर और पूजनीय हो गये.
स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, पीटा गया, कई बार गिरफ्तार किया गया किन्तु वे कभी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे.
महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलन
- खिलाफत आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन/दांडी मार्च
- भारत छोड़ो आंदोलन
दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकार आंदोलन में भी उन्होंने उन्हें न्याय और समानता का अधिकार दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसतरह से हम कह सकते हैं कि उनका संघर्ष केवल भारत देश तक ही सीमित नहीं था. वास्तव में वे युगपुरुष थे.
अन्य महत्वपूर्ण बातें
महात्मा गाँधी द्वारा कई रहनात्मक तथा महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया जैसे हिंदू-मुस्लिम एकता, खादी तथा कताई, मद्य-निषेध, ग्रामीण सुधार आदि. गाँधी जी का सत्याग्रह सत्य और अहिंसा पर आधारित था जहाँ सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ सत्य को पकड़ना था. यह तकनीक पूरी तरह से अहिंसा पर आधारित थी जो जनमानस को अपनी ओर आसानी से आकर्षित किया.
महात्मा गाँधी के अनुसार हरेक सभ्य मनुष्य का कर्तव्य है कि वह गलत करनेवालों के साथ असहयोग करे. आइये इस गाँधी जयंती के अवसर पर हम सभी महात्मा गाँधी के विचारों को आत्मसात कर विश्व शांति के प्रयासों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें.