प्रिय मित्रों, आज का यह महत्वपूर्ण लेख हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, कवि और उनकी रचनाएँ विद्यार्थी वर्ग के लिए उपयोगी सिद्ध तो होगा ही साथ ही साथ साहित्य प्रेमियों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा. यदि आप साहित्य से परिचित हैं तो आपको पता होगा ही कि साहित्य में दो प्रमुख शैलियाँ हैं : गद्य और कविता. (Hindi language poets and Writers)
गद्य और काव्य शैली का प्रयोग कब किया जाता है?
जब कोई अपने विचारों को विस्तारपूर्वक प्रमाण और तर्क के साथ व्याकरण सम्मत भाषा में प्रस्तुत करते हैं तो गद्य शैली का प्रयोग करते हैं और जब यदि अपने विचारों को कविता के रूप में प्रकट करना हो तो ताल, लय, छंद या स्वर में बांधकर प्रस्तुत करते हैं. वास्तव में जो साहित्य प्रेमी होते हैं उन्हें साहित्य पढ़कर मन में असीम आनंद की अनुभूति होती है.
आज के लेख में मैं उन महान साहित्यकारों और उनकी रचनाओं से आपको परिचित कराने जा रहा हूँ जिन्होंने हिंदी साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इनकी अनुपम कृतियों से न जाने कितने लोग उत्कृष्ट भाषा – शैली से परिचित हो चुके हैं.
आगे बढ़ने से पहले मैं छायावाद के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद की अनुपम रचना प्रयाण – गीत के चार लाइनों के साथ शुरुआत करना चाहूँगा जो इसप्रकार है –
हिमाद्री तुंग श्रिंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती –
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ – प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढे चलो, बढे चलो.’ – जयशंकर प्रसाद
Table of Contents
Hindi language poets and writers names in Hindi
(1) राष्ट्र कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’
इनका जन्म बिहार राज्य के मुंगेर जिला स्थित गाँव सिमरिया में सन 1908 में हुआ था. इनके पिता एक साधारण किसान थे जिनका देहांत जब दिनकर मात्र 2 वर्ष के थे तभी हो गया था. पिता के देहांत हो जाने के पश्चात उनका लालन – पालन उनकी माँ ने ही किया.
इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई. सन 1928 में इन्होने मेट्रिक की परीक्षा पास की इसके बाद पटना कॉलेज से 1932 में बी. ए. किया. इसके बाद वे एक हाई स्कूल के शिक्षक हो गये. उन्होंने बिहार सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए नौकरी भी की. सन 1952 में कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया तथा आगे वे भारत सरकार की ओर से हिंदी सलाहकार के पद पर नियुक्त किये गये और इस पद पर वे अंत तक बने रहे.
पुरस्कार से अलंकृत : साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण
प्रमुख रचना (गद्य) : संस्कृति के चार अध्याय, हमारी सांस्कृतिक एकता, रेती के फूल, अर्धनारीश्वर, धर्म – नैतिकता और विज्ञान आदि.
प्रमुख रचना (पद्य) : हुंकार, उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, हारे को हरिनाम, सीपी के शंख, प्रणभंग आदि.
(2) विद्यानिवास मिश्र
सन 1926 में विद्यानिवास मिश्र का जन्म गोरखपुर जिले के पकड़डीहा गाँव में हुआ था. गाँव में ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई तथा इलाहबाद से संस्कृत में एम. ए. किया. उन्होंने गोरखपुर विश्वविदालय से पी-एच. डी. की उपाधि भी प्राप्त की.
उन्होंने अल्प – समय के लिए अध्यापन का कार्य किया इसके बाद कई उच्च – पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान की जैसे – कुलपति (कशी विद्यापीठ और सम्पुर्नानद संस्कृत विश्वविदालय) , शिक्षा के क्षेत्र में कार्य, बर्कले विश्वविदालय अमेरिका में अध्यापन.
प्रमुख रचना (गद्य) : मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, हिन्दू धर्म, तुम चन्दन हम पानी, संचारिणी आदि.
प्रमुख रचना (कविता संग्रह) : पानी की पुकार.
(3) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
फणीश्वरनाथ रेणु आंचलिक कथाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं जिनका जन्म सन 1921 में बिहार के पूर्णिया के औराही हिंगना नामक गाँव में हुआ था. विशेषकर इनकी रचनाओं में अभावग्रस्त जनता की बेबसी और लाचारी जैसी गहरी मानवीय संवेदना देखने को मिलती है.
प्रमुख रचनाएँ (उपन्यास) : मैला आँचल, कितने चौराहे, परती परीकथा.
प्रमुख रचनाएँ (कहानी संग्रह) : अगिनखोर, ठुमरी, तीसरी कसम उर्फ़ मारे गये गुलफाम (इस कहानी पर फिल्म भी बन चुकी है) आदि.
(4) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य रामचंद्र शुक्ल को एक उच्चकोटि का निबंधकार और आलोचक माना जाता है. उनका जन्म सन 1884 में बस्ती जिला के अगौना नामक गाँव में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई. इन्होने ड्राइंग मास्टरी का डिप्लोमा भी पास किया था और एक स्कूल में ड्राइंग पढ़ाने भी लगे थे.
रामचंद्र शुक्ल ने सरस्वती और नागरी प्रचारिणी पत्रिका में लेखन कार्य किया. बाद में वे काशी हिन्दू विश्वविदालय में अध्यापक बने और इसके बाद में हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने और मृत्युपर्यंत वहीँ कार्य करते रहे.
प्रमुख रचना : तुलसीदास, रस मीमांसा, जायसी – ग्रंथावली की भूमिका, चिंतामणि आदि. (Hindi language poets and Writers)
(5) प्रभाकर द्विवेदी
इनका जन्म सन 1933 में मध्य भारत की रियासत धार में हुई. प्रारंभिक शिक्षा विभिन्न जगहों में हुई तथा उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविदालय में हुई. जीवन यापन के लिए इन्होने कई प्रकार की नौकरियां की. वे वाराणसी के ‘हिंदी विश्वकोश’ में सहायक संपादक के रूप में भी रहे. अंत में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् नयी दिल्ली के प्रकाशन विभाग में मुख्य संपादक रहे और वहीँ से अवकाश ग्रहण किया.
प्रमुख रचना : मेरी अंतिम कविता, किसको नमन करूँ, धुप में सोई नदी, शीतला बहु का प्रसंग आदि.
(6) नरेन्द्र शर्मा
नरेन्द्र शर्मा छोटी उम्र से ही गीत लिखने लगे थे. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सन 1913 में हुआ. यहीं पर इनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई और आगे इलाहाबाद विश्वविदालय से एम. ए. की डिग्री हासिल किया. अखिल भारतीय कमेटी कार्यालय में कुछ दिनों के लिए कार्य किया. बाद में वाराणसी के कशी विद्यापीठ में शिक्षक नियुक्त हुए.
वे फिल्म जगत की ओर आकर्षित होकर मुंबई चले गये और फिल्मों के लिए गीत लिखने लगे. इन्होने रेडियो में भी नौकरी की.
प्रमुख रचना : प्रवासी के गीत, सुवर्ण, प्रीति कथा, हंसमाला, मिटटी के फूल, कदली वन आदि.
(7) धर्मवीर भारती
इनका जन्म सन 1926 में उत्तरप्रदेश के इलाबाबाद में हुआ था. एक सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त और इलाहबाद विश्वविदालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर वहीं हिंदी विभाग में शिक्षक नियुक्त हुए. पत्रकारिता के क्षेत्र में अधिक आकर्षण होने के फलस्वरूप उन्होंने शिक्षण का कार्य छोड़कर संपादन कार्य करने मुंबई चले गये. वहां उन्होंने धर्मयुग के संपादक के रूप में यश कमाया.
प्रमुख रचना : सूरज का सातवाँ घोडा, गुनाहों का देवता, बंद गली का आखिरी मकान, ठेले पर हिमालय आदि.
(8) सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक अत्यंत ही प्रसिद्ध नाम है जिन्होंने बहुत ही कम उम्र से कविता लिखने लग गये थे. इन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है. इनका जन्म सन 1900 में उत्तरांचल प्रदेश के कुमाऊँ अंचल के ग्राम कौसानी में हुआ था. सुमित्रानंदन पंत के जन्म के कुछ ही घंटों बाद ही उसकी माँ की मृत्यु हो गयी थी. इनका लालन – पालन इनकी दादी ने किया था.
बचपन में उनका नाम गुसाईं दत्त रखा गया था जो उन्हें पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रख लिया. प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई और काशी के क्वींस कॉलेज से मेट्रिक की परीक्षा पास किया. आगे की पढाई के लिए उन्होंने इंटर में म्योर कॉलेज में दाखिला लिया किन्तु महात्मा गाँधी के आह्वान पर अगले वर्ष कॉलेज छोड़ दिया और घर पर ही रहते हुए हिंदी, संस्कृत, बंगला और अंग्रेजी का अध्ययन करने लगे.
पुरस्कार से अलंकृत : साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार.
प्रमुख रचना (काव्य) : कला और बूढा चाँद, चिदंबरा, युगांत, स्वर्णधूलि, ग्राम्या आदि
(9) जयशंकर प्रसाद
छायावाद के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 में वाराणसी में हुआ था. इनके पिता का नाम देवीप्रसाद साहु था. कहा जाता इनके यहाँ विद्वानों आदि का बड़ा सम्मान होता था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी. इसके बाद पढने के लिए वे काशी के क्वींस कॉलेज गये किन्तु किसी कारणवश आठवीं से आगे न पढ़ सके और घर पर ही विभिन्न भाषाओँ का अध्ययन किया. वे मूलतः प्रेम और सौंदर्य के कवि हैं.
प्रमुख रचना (काव्य) : प्रेमपथिक, करुणालय, कामायनी, झरना आदि.
प्रमुख रचना (गद्य) : तितली और कंकाल, स्कंदगुप्त, अजातशत्रु आदि. (Hindi language poets and Writers)
(10) मीराबाई
मीरा का जन्म सन 1498 में जोधपुर राजस्थान के कुड़की नामक गाँव में राव रतनसिंह राठौर के परिवार में हुआ था. इनके पितामह कृष्ण के परम भक्त थे. बचपन में ही माँ का निधन हो जाने के कारण मीरा को इनके साथ ही रहना पड़ा. कहते हैं अपने पितामह की कृष्ण भक्ति से प्रभावित होकर मीरा भी बचपन से ही भगवान् कृष्ण की भक्ति में रम गयी.
मेवाड़ के राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज के साथ मीरा का विवाह हुआ था. भोजराज की इच्छा थी की मीरा गृहस्थ जीवन में रूचि ले इसीलिए उन्हें मीरा की कृष्णा भक्ति अच्छी नहीं लगती थी किन्तु मीरा को कृष्णा भक्ति, साधू – संतों की सेवा में ही मन लगता था.
कृष्ण भक्ति के कारण समाज और ससुराल पक्ष में मीरा को कई तरह की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा किन्तु उनकी भक्ति ऐसी थी की किसी ने उसे इस मार्ग से हटा न सका.
पति की मृत्यु के बाद मीरा ने मेवाड़ छोड़कर वृन्दावन में रहने लगी और इसके बाद वृन्दावन को भी छोड़कर द्वारका में बस गयी और वहीँ उनकी मृत्यु हो गयी.
हम सभी जानते हैं की मीरा का स्थान एक उच्च कोटि की कवयित्रियों में से एक है.
प्रमुख रचना : ‘मीरा पदावली’ के नाम से मीरा के पदों का संग्रह मिलता है.
(11) प्रदीप पंत
प्रदीप पंत का जन्म सन 1941 में हल्द्वानी नगर में हुआ था जो उत्तरांचल के नैनीताल जिला में पड़ता है. उन्होंने एम. ए. की डीग्री लखनऊ विश्वविदालय से प्राप्त किया. उन्होंने कई वर्षों तक समाचारों का सम्पादन किया. इन्होने विदेशों की कई यात्राएँ की और इनके यात्रा संस्मरण पुस्तकों के रूप में प्रकाशित भी हो चुके हैं.
पुरस्कार से अलंकृत : दिल्ली की हिंदी अकादमी, उत्तर प्रदेश हन्दी संस्थान द्वारा प्राप्त पुरस्कार.
प्रमुख रचना : महामहिम, महादेश की दुनिया, सफ़र – हम – सफ़र, कुछ और सफ़र आदि.
(12) रसखान
सन 1548 में उनका जन्म पिहानी के एक संपन्न पठान परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम सैयद इब्राहीम था. कहा जाता है कि ब्रज में वास करते हुए वो रामचरित मानस का पाठ श्रवण करते रहे और संभवतः इससे प्रभावित होकर वे काव्य रचना की ओर अग्रसर हुए.
ब्रज में ही निवास करते हुए इन्होने कृष्ण भक्ति के पद लिखे. रसखान रचनावली के नाम से इनकी रचनाओं का संग्रह भी उपलब्ध है. इनकी कविता का मूलभाव भक्ति है और यही कारण है कि उन्होंने ब्रजभूमि में रहना तय किया.
प्रमुख रचना : प्रेम वाटिका, सुजान रसखान आदि. (Hindi language poets and Writers)
अंतिम बात
अंत में मैं अपने पाठकगण से यही आशा रखता हूँ कि आपको आज का यह लेख हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और उनकी रचनाएँ आपको जरुर पसंद आई होगी. आपसे यह भी नम्र निवेदन है कि इस लेख में यदि व्याकरण सम्बन्धी या कोई अन्य त्रुटी हो तो कृपया मेरा मार्गदर्शन करें ताकि मैं उस त्रुटी को सही कर सकूं.
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