होली क्यों मनाया जाता है? Holi 2023 Date : सबसे पहले आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें. हम सभी जानते हैं कि भारत त्योहारों का देश है, इस देश में विभिन्न प्रकार के त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसी श्रृंखला में होली भी इस देश का एक अत्यंत ही लोकप्रिय त्योहार है.
यूँ तो यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है किन्तु जाति के बंधनों को तोड़कर यह रंगबिरंगा पर्व अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी पूरी मस्ती और उत्साह के साथ मनाया जाता है. अनेकता में एकता के मंत्र को चरितार्थ करता हुआ यह पर्व भाईचारे का सन्देश देता है.
रंगों का त्योहार होली भारत देश के साथ नेपाल और अन्य देशों में भी मनाया जाता है. आज हिन्दू धर्मं को माननेवाले लोग पुरे विश्व में फैले हुए हैं इसी कारण होली पुरे विश्व में मनाया जानेवाला पर्व बन गया है. होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है. धार्मिक मान्यताओं से जुडी हुई है यह पर्व.
आइये विस्तार से जानते हैं कि होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है? इस पर्व के पीछे की कहानी क्या है? होली क्यों मनाया जाता है? 2023 में होली कब है? होलाष्टक क्या होता है? होलिका दहन क्यों किया जाता है? होली में क्या करें और क्या न करें?
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2023 में होली कब है? Holi 2023 Date
इस साल 2023 में होलिका दहन 7 मार्च को है। अगले दिन 8 मार्च 2023 को रंगों की होली खेली जाएगी. आमतौर पर होली पूरे भारत में 2 दिनों तक मनाई जाती है. पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है, जिसे होलिका दहन के नाम से भी जाना जाता है. दूसरे दिन को रंगों का त्योहार कहा जाता है और रंग वाली होली खेली जाती है.
होली कब मनाया जाता है?
पारम्परिक रूप से दो दिन मनाया जाने वाला यह पर्व वसंत ऋतू में मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार रंगों का यह पर्व फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. पहला दिन होलिका दहन होता है अर्थात होलिका जलायी जाती है. होलिका दहन होली की पूर्व संध्या में किया जाता है और इसी के साथ ही होली का त्योहार प्रारंभ होता है.
होलिका दहन के बाद दुसरे दिन रंगों वाली होली आती है जिसे धुलेंडी या धूलिवंदन के नामों से भी जाना जाता है. होली को फाल्गुनी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह त्योहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है.
वास्तव में यह पर्व मस्ती भरा होता है. ऋतुराज बसंत के आते ही मनुष्य ही क्यों मानो पूरा प्राणी जगत ही हर्ष और उल्लास से झूम उठता है. प्रमुख रूप से इस दिन लोग एक दुसरे को रंग – गुलाल लगाते हैं, होली के गीत गाये जाते हैं, तरह – तरह के संगीत बजाकर लोग नृत्य करते हैं. इस दिन लोग आपसी वैर भूलकर एक दुसरे से गले मिलते हैं और तरह – तरह के पकवानों का आनंद लेते हैं इत्यादि.
होलाष्टक क्या होता है?
शास्त्रों के अनुसार होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और यह होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाता है. इन आठ दिनों (होलाष्टक) के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. होली से पहले ये आठ दिन अशुभ माने जाते है.
होलाष्टक की तिथि फाल्गुन शुल्क अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक होती है. होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को ही किया जाता है और अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग खेला जाता है. मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान किये गये कोई भी शुभ कार्य नुकसानदायक होता है.
होली क्यों मनाया जाता है?
होली क्यों मनाया जाता है तो होली के त्योहार से जुड़ी कई कहानियां हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद की कहानी है. इसकी कहानी भगवान् विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद से जुडी हुई है जो विष्णुपुराण में वर्णित है. कथा इसप्रकार प्रारंभ होती है:
प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नामक एक अत्यंत ही शक्तिशाली और अत्याचारी असुर था. कठोर तप करके उसने भगवान् ब्रम्हा से वरदान प्राप्त कर लिया कि संसार में उसे कोई देवी या देवता, जीव या जंतु, राक्षस या मनुष्य नहीं मार सकता है.
इसके साथ ही उसने यह भी वरदान प्राप्त किया कि वह न दिन में मरेगा न रात में, न पृथ्वी पर न आकाश में, न घर में न बहार, न अस्त्र से न शस्त्र से उसकी मृत्यु होगी. इसप्रकार का वरदान प्राप्त करके वह खुद को अत्यंत ही बलशाली समझने लगा और अत्याचारी हो गया.
उसे अपने बल पर इतना घमंड हो गया कि उसने स्वयं को ईश्वर समझने लगा. उसने अपने राज्य में भगवान् के भक्तों को सताना शुरू कर दिया और अपने राज्य में इश्वर के नाम लेने पर भी पाबंदी लगा दी. भगवान् विष्णु से वह वैर भाव रखता था.
हिरण्यकश्यप का पुत्र का नाम प्रह्लाद था जो भगवान् विष्णु का परम भक्त था. अपने पुत्र प्रह्लाद की विष्णु भक्ति देखकर वह अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके सिवा अन्य किसी की भक्ति ना करे. उसकी बात न मानने के कारण वह अपने पुत्र को कई बार मारने की कोशिश की किन्तु हर बार भगवान् अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते रहे.
असुर राज हिरण्यकश्यप की एक बहन थी “होलिका” जिसे भगवान् द्वारा वरदान में एक ऐसी चादर प्राप्त हुई थी जो आग में नहीं जल सकती थी. प्रह्लाद को मारने के अनेकों यत्न करने के पश्चात भी जब हिरण्यकश्यप असफल रहा तो उसने अपनी बहन की सहायता से प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने की एक योजना बनाई.
योजना के अनुसार होलिका वरदान द्वारा प्राप्त चादर ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर प्रज्वलित अग्नि में जा बैठी. विष्णु कृपा से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गयी जिसके कारण प्रह्लाद बच गया और अग्नि में जलकर होलिका भस्म हो गयी.
इसतरह बुराई पर अच्छाई की जीत हुई और यही कारण है लोगों के द्वारा होलिका दहन का प्रचलन प्रारंभ हुआ. लकड़ियों, झाड़ियों को इकठ्ठा कर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता हैं.
इसके बाद भगवान् विष्णु नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया. इसतरह भगवान् द्वारा पापियों का अंत और भक्तों की रक्षा के आनंद के रूप में होली का जश्न मनाया जाने लगा.
होली कैसे मनाया जाता है?
जैसा कि आप समझ चुके हैं कि पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन लोग एक-दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल आदि फेंकते हैं, ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते हैं और घर-घर जाकर लोग रंगों में सराबोर होते हैं.
वैसे तो होली का त्योहार पुरे भारत में पुरे उत्साह और उमंग के साथ अलग – अलग तरीकों से मनाया जाता है किन्तु वृन्दावन और गोकुल की होली का अपना अलग ही रंग है. इन जगहों पर यह त्योहार कई दिनों तक मनाया जाता है.
यहाँ की होली विश्व प्रसिद्ध है जिसे देखने लोग दूर – दूर से आते हैं. बरसाने की लट्ठमार होली भी काफी प्रसिद्ध है जिसमे पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती है.
भारत विविधताओं वाला देश है जहाँ अलग – अलग जगहों पर होली के अलग – अलग रंग देखने को मिलते हैं. हरियाणा की धुलंडी, महाराष्ट्र की रंग – पंचमी, पंजाब के होला मोहल्ला, मणिपुर का याओसांग, छत्तीसगढ़ की होरी जिसमे लोक गीतों की अद्भूत परम्परा है, बिहार का फगुआ आदि न जाने होली के इस देश में कितने नाम हैं और इसे मनाने की अलग – अलग विधियाँ हैं.
होली में किन बातों का ख्याल रखें?
लाल, पीले, हरा, गुलाबी आदि रंगों से सजा या त्योहार खुशियों से भरा होता है. लोग एक दुसरे पर जमकर रंग गुलाल लगाते हैं किन्तु क्या आपको पता है कि बाजारों में रासायनिक रंगों का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है?
लोग प्राकृतिक रंगों को छोड़कर रासायनिक रंगों का प्रयोग करते हैं ये जानते हुए भी की रासायनिक रंगों का प्रयोग सेहत के लिए कितना नुकसानदायक होता है. खासकर बच्चों के लिए रासायनिक रंगों से ज्यादा नुकसान होने का खतरा होता है.
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जैसे – जैसे लोग आधुनिक होते जा रहे हैं अपनी प्राचीन परम्पराओं को छोड़ते जा रहे हैं. प्राकृतिक रंगों की जगह पर रासायनिक रंगों का प्रयोग कर रहे हैं. लोक संगीत को तो लोग भूल ही चुके हैं और फ़िल्मी गानों की ओर ज्यादा आकर्षित होते जा रहे हैं. वास्तव में लोक संगीत किसी ख़ास क्षेत्र की पहचान होती है. होली में गाये बजाये जानेवाले लोक संगीतों की अपनी एक अलग ही पहचान होती है.
होली में क्या करें और क्या न करें?
रासायनिक रंगों के प्रयोग करने के स्थान पर प्राकृतिक रंगों का प्रयोग पर बल दें तथा इसके लिए दुसरे को भी जागरूक करें. आमतौर पर प्राकृतिक रंगों का निर्माण टेसू के फूलों, गुलाब जल, चन्दन आदि से होता है जो होली में रंगों का प्रयोग की एक प्राचीन परम्परा है. ख़ासकर सस्ते चाइनीज रंगों में chemicals का खतरा ज्यादा होता है.
किसी भी प्रकार का नशापान जैसे भांग, शराब से दूर रहें. हम सभी जानते हैं कि नशा समाज और देश को खोखला करता जा रहा है. इसके कारण झगडे होने का भी खतरा बना रहता है. पारिवारिक शांति भंग होती है और यह आपके सेहत के लिए भी हानिकारक है.
सावधानी के साथ एक दुसरे को रंग लगायें. यदि कोई न चाहे तो उसके साथ कभी जबरजस्ती ना करें और ना ही किसी व्यक्ति के आँख, नाक, कान में रंग डालें. होली भाईचारे का पर्व है, खुशियों का अवसर है इसलिए कोई भी ऐसा कार्य करने से बचे जिसके कारण किसी को नुकसान होने की संभावना हो.
कभी – कभी यह देखने को भी मिलता है की लोग खेल – खेल में एक दुसरे के कपड़े फाड़ने लगते हैं जो होली खेलने का असभ्य तरीका है. कभी किसी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए. इस प्रकार के कृत्य से किसी की भावनाओं को ठेस पहुँच सकती है.
बीमार व्यक्ति का ख्याल रखें और कभी भी उसके ऊपर रंग नहीं डालें. एक जिम्मेदार व्यक्ति बनें, पर्यावरण का ख्याल रखें, सभ्य तरीके से होली खेलें, भाईचारे का परिचय दें.
होली हमेशा अपने परिवार, दोस्तों या परिचितों के साथ ही खेलें किसी अनजान व्यक्ति पर रंग नहीं डालें. हो सकता है वह व्यक्ति आपके साथ किसी प्रकार का विवाद खड़ा कर दे. कभी – कभी ऐसा विवाद किसी बड़े झगडे का रूप ले लेता है. आप यदि नहीं जानते कि वह कौन है तो भूलकर भी उस अनजान व्यक्ति के ऊपर रंग न डालें.
होली में मिलावट का खतरा बना रहता है इसीलिए घर से बाहर कोई भी चीज खाने से पहले थोडा सावधान रहने की जरुरत है.
Final Words,
‘वसंत महोत्सव’ के रूप में मनाया जाने वाला होली, रंगबिरंगी पर्व हैं. यह त्योहार लोगो के जीवन में अपनेपन का एहसास लेकर आता है. इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी है कि यह पर्व अंतर्राष्ट्रीय रूप में विकसित होता जा रहा है.
अंत में मैं आपसे बस इतना कहना चाहूँगा कि जिसप्रकार यह पर्व होलिका नामक बुराई को हराकर प्रह्लाद नामक अच्छाई की जीत का प्रतिक के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार हम सब को इस होली अपने अन्दर की होलिका का दहन करके एक आदर्श व्यक्ति बनने की ओर कदम बढ़ाना है.
आप सभी को Happy Holi, खूब मस्ती करें, खुशियाँ मनाएं किन्तु सावधानी से! क्योंकि यह खुशियों का मौका होता है इसीलिए कोई भी ऐसा कदम ना उठायें जिसके कारण आपकी खुशियों पर ग्रहण लगने की संभावना हो. दूसरों का ख्याल रखें और अत्यधिक chemical युक्त रंगों का use न करें. आशा करता हूँ कि आपको यह लेख होली क्यों मनाया जाता है? पसंद आई होगी.