Insolvency meaning in Hindi-इंसोल्वंसी क्या होता है?– हमें कई जगह सुनने को मिलता है कि कोई कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है, लेकिन ये दिवालियापन होता क्या है? दिवालियापन तब होता है जब कोई व्यक्ति और कंपनी दोनों अपने वित्तीय दायित्वों को समय पर पूरा करने या चुकाने में असमर्थ होती है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
कई बार ऐसा होता है कि खराब cash management, अत्यधिक खर्चों, व्यावसायिक ज्ञान का अभाव आदि व्यावसायिक दिवालियेपन (Business insolvency) के सामान्य कारक हो सकते हैं. किन्तु क्या आप जानते हैं कि वास्तव में insolvency क्या होता है? Insolvency कब होता है? कम्पनियाँ insolvent क्यों हो जाती है?
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Insolvency क्या होता है?
Insolvency या दिवालियापन किसी भी व्यक्ति या कंपनी के लिए एक गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति है. दिवालिया होने का सामान्य सा अर्थ होता है कि वह व्यक्ति या कंपनी अपना कर्ज चूका पाने की स्तिथि में नहीं है.
जब कोई व्यक्ति या कंपनी अपने बकाया ऋण का भुगतान करने में समर्थ नहीं होती है तो उसकी दिवालिया होने की स्तिथि उत्पन्न हो सकती है और जब कोई कंपनी या व्यक्ति दिवालिया घोषित हो जाती है तो पूरी प्रक्रिया दिवालियापन या Insolvency कहलाती है. इसके कुछ दुष्परिणाम होते हैं जो मैं आपको आगे बताऊंगा.
Insolvent या दिवालिया होना अर्थात किसी व्यक्ति या कंपनी की assets से ज्यादा उसकी liabilities हैं.
इसतरह से हम कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति या कंपनी के लिए Insolvent होने का अर्थ होता है कि –
- वह अपना कर्ज चुकाने में असमर्थ है
- उसकी assets उसकी liabilities से कम है
दिवालिया होने के दुष्परिणाम
जैसा कि मैं आपको पहले ही बताया है कि इसके कुछ दुष्परिणाम होते हैं जो निम्न हैं –
- क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ना
- व्यक्ति या कंपनी की प्रतिष्ठा या साख पर बुरा प्रभाव पड़ना
- Shareholders पर प्रभाव
Insolvency के सामान्य कारक
व्यवसायिक दिवालिया होने के कई कारक हो सकते हैं किन्तु कुछ सामान्य होते हैं जिसे समझना जरुरी है ताकि किसी को इस स्तिथि का सामना न करना पड़े. इसके कुछ सामान्य कारक निम्न हैं
- बिना सोंचे समझे लिया गया निर्णय
- उचित वित्तीय प्रबंधन नहीं कर पाना
- व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के कारण विफलता
- अत्यधिक खर्चे
- व्यापारिक ज्ञान का आभाव
- संसाधन का अभाव फलस्वरूप लागत में वृद्धि होना
अन्य महत्वपूर्ण बात
जैसा कि आप समझ चुके हैं कि दिवालिया होना अर्थात कोई व्यक्ति या कंपनी जो कर्ज लिया है उसे चुकाने में असमर्थ होती है. व्यापारिक गतिविधियों का संचालन करने के लिए कर्ज लेना एक आम प्रक्रिया है किन्तु कुछ कम्पनियाँ खुद के गलत नीतियों के कारण व्यवसाय को सुचारु रूप से नहीं चला पाते हैं.
जो कर्ज लिया है उसका ब्याज आदि का भी भुगतान नहीं कर पाते है. उनकी देनदारी बढ़ती जाती है फलस्वरूप वह insolvency की कगार पर पहुंच सकती है. यह एक ऐसा वक़्त होता है जब वह अपनी दायित्व को चूका सकने की स्तिथि में हो.