Laghu Udyog (लघु उद्योग) क्या है? परिभाषा, महत्व और इसके फायदे

Laghu Udyog (लघु उद्योग) क्या है? : आप सभी ने लघु उद्योग के बारे में कभी न कभी जरुर सुना होगा किन्तु आज के लेख में हम विस्तारपूर्वक, गहराई से इसके बारे में जानेंगे. लघु उद्योग अर्थात small scale industries सम्पूर्ण औद्योगिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्पूर्ण है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर रोजगार क्षमता न्यूनतम पूँजी लागत पर है.

यह एक ऐसा उद्योग है जिसे कोई व्यक्ति छोटे पैमाने में शुरू करके आर्थिक रूप से सशक्त हो सकता है. छोटी – छोटी मशीनों, कम लागत, कम श्रमशक्ति की मदद से  सेवाओं और उत्पाद का निर्माण करना और उसे प्रस्तुत करना, इस उद्योग में सम्मिलित है.

हालाँकि बड़े पैमाने के उद्योगों से पूंजी मात्रा, रोजगार सृजन क्षमता, आयत और निर्यात का प्रवाह आदि में भिन्नता होती है, फिर भी एक लघु उद्योग को सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत आने चाहिए.

आपको बता दें की समय – समय पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की परिभाषा बदलती रहती है जिसके बारे में आपको आगे बताया जाएगा. आईये विस्तारपूर्वक सरल भाषा में इस विषय (Laghu Udyog) पर पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं :

Laghu Udyog (लघु उद्योग) क्या है?

लघु उद्योग अर्थात ऐसा उद्योग जहाँ विनिर्माण, उत्पादन या सेवाएं प्रदान छोटे या सूक्ष्म पैमाने पर किये जाते हैं, लघु उद्योग की श्रेणी में आते हैं. इसप्रकार के उद्योगों में one time investment (एकमुश्त निवेश) 1 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होते हैं. इन उद्योगों में कम पूँजी लागत, छोटी मशीनों और कम श्रमशक्ति की मदद से  वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है.

लघु उद्योग में तकनीक की अपेक्षा श्रमशक्ति का ज्यादा उपयोग किया जाता है फलस्वरूप यह उद्योग रोजगार के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. आर्थिक निर्धारण के आधार पर इस उद्योग को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है (इन उद्योगों को निर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में विभाजित किया जा सकता है) :

  1. सूक्ष्म उद्योग
  2. लघु उद्योग
  3. मध्यम उद्योग

निर्माण क्षेत्र (manufacturing enterprise) के MSME उद्यमों को plant और machinery (भूमि और भवनों को छोड़कर) में निवेश की गई राशि के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है जो निम्न प्रकार है:

  • सूक्ष्म उद्योग या अति लघु उद्योग : 25 लाख तक का निवेश
  • लघु उद्योग : 5 करोड़ रुपये तक का निवेश
  • मध्यम उद्योग : 10 करोड़ रुपये तक का निवेश

सेवा उद्यम (service enterprise) के लिए plant और machinery (भूमि और भवनों को छोड़कर) में निवेश की गई राशि के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है जो निम्न प्रकार है:

  • सूक्ष्म उद्योग या अति लघु उद्योग :10 लाख तक का निवेश
  • लघु उद्योग : 2 करोड़ रुपये तक का निवेश
  • मध्यम उद्योग : 5 करोड़ रुपये तक का निवेश

2020 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की नयी परिभाषा

आवश्यक जानकारी : 13 मई 2020 से आर्थिक पैकेज के चलते जो संसोधन हुआ उस संसोधन के तहत भारत में अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की परिभाषा अब बदल चुकी है. इस नए बदलाव में विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र दोनों के लिए निवेश एवं सालाना turnover तय किये गये हैं. (Laghu Udyog)

पहले जो केवल नेवेश करने के आधार पर ही लिमिट तय की गयी थी उसमें अब turnover भी देखा जायेगा. इस बार जो बदलाव हुए हैं उसमें ये भी देखने को मिल रहा है कि इसबार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को विभाजित नहीं किया गया है. अब दोनों क्षेत्रों के लिए निवेश के साथ – साथ वार्षिक turnover भी देखा जायेगा जो इसप्रकार है :

निर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र दोनों के लिए :

  • सुक्ष्म उद्योग : 1 करोड़ तक का निवेश और सालाना turnover 5 करोड़ तक 
  • लघु उद्योग : 10 करोड़ तक का निवेश और सालाना turnover 50 करोड़ तक 
  • मध्यम उद्योग : 20 करोड़ तक निवेश और सालाना turnover 100 करोड़ तक 

Update : संशोधित वर्गीकरण 01 जुलाई 2020 से प्रभावी

जैसा की मैंने आपको शुरुआत में ही बता दिया था कि समय – समय पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की परिभाषा बदलती रहती है. MSME मंत्रालय के अनुसार  देश में एमएसएमई को अब ‘उदयम’ के नाम से जाना जायेगा.

यदि आप एक व्यवसायी हैं तो जहाँ आप पहले उद्योग आधार पंजीकरण कराते थे वहीँ अब आपको उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना होगा क्योंकि Ministry Of MSME ने उद्योग आधार को उद्यम कर दिया है. 

आईये अब इस नयी परिभाषा के तहत देखते हैं कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है – 

प्लांट, मशीनरी या उपकरण में निवेश –

  • सुक्ष्म उद्यम  : 1 करोड़ रूपये निवेश से अधिक नहीं और सालाना turnover 5 करोड़ रूपये से अधिक नहीं.
  • लघु उद्यम : 10 करोड़ रूपये निवेश से अधिक नहीं और सालाना turnover 50 करोड़ रूपये से अधिक नहीं.
  • मध्यम उद्यम : 50 करोड़ रूपये निवेश से अधिक नहीं और सालाना turnover 250 करोड़ रूपये से अधिक नहीं.

लघु उद्योग के उदाहरण : Examples of Small Scale Industries

  • अगरबत्ती बनाना
  • मोमबत्ती बनाना
  • साबुन, तेल आदि हर्बल सामान बनाना
  • कपडे और चमड़े का बैग बनाना
  • मसाला बनाना
  • डिस्पोजेबल कप-प्लेट बनाना
  • एल्यूमीनियम से बने हुए सामग्री बनाना
  • वोल्ट मीटर बनाना
  • पेपर बैग बनाना

लघु उद्योग का महत्व

लघु उद्योग बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत जैसे विकासशील देश में यह उद्योग रोजगार का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है. इस क्षेत्र का सबसे ख़ास बात यह है कि यहाँ रोजगार क्षमता न्यूनतम पूंजी लागत पर है.

लघु उद्योग इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसके जरिये देश कि परम्परागत प्रतिभा और कला की भी रक्षा हो सके. इसके साथ ही निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और निर्यात के क्षेत्र में भी इसका अहम् भूमिका है. भारत से निर्यात होने वाले लगभग आधे माल इन उद्योगों द्वारा निर्मित या उत्पादित किए जाते हैं. अतः हम कह सकते हैं कि यह हमारे देश की सामाजिक वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

यह क्यों महत्वपूर्ण है :

  • आत्मनिर्भरता के लिए
  • क्षेत्रीय असंतुलन को संतुलित करने के लिए
  • रोजगार का अवसर प्रदान करना
  • कम विकसित क्षेत्रों को विकसित करने में मदद करना
  • कम लागत पर उत्पादन करना व नवीनतम तकनीक को अपनाना

लघु उद्योग के फायदे

कोई भी व्यक्ति इसे कम पूँजी में शुरू कर सकता है इसके साथ ही इस उद्योग के लिए सरकार द्वारा चलायी गयी योजनाओं का लाभ भी ले सकता है, जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना. इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध है. इसमें कम लागत में अच्छी कमाई की संभावना होती है. (Laghu Udyog)

सरकार के द्वारा प्रदान की जाने वाली कई योजनाओं, सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहनों का लाभ लेने के लिए SSI (small scale industries) registration कराना चाहिए. यह MSME मंत्रालय द्वारा प्रदान किया गया पंजीकरण है. इसे आप online भी प्राप्त कर सकते हैं.

इसके तहत उत्पाद शुल्क में छूट, कम दर में ब्याज, योजना कर सब्सिडी और अन्य कई तरह के लाभ उपलब्ध हो सकते हैं. चूँकि यह पंजीकरण वैकल्पिक है किन्तु आप छूट प्राप्त करना चाहते हैं तो यह पंजीकरण जरुरी है. इसके जरिये उन्हें ऋण लेने में भी आसानी होती है.

MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) उद्यम का पंजीकरण होने के पश्चात कई लाभ प्राप्त होते हैं जैसे : व्यवसाय के लिए ऋण की प्राप्ति कम ब्याज दर पर आसानी से उपलब्ध हो सकती है, कर लाभ, सरकारी लाईसेंस और प्रमाणीकरण आसानी से जल्दी प्राप्त होना आदि. 

Final Words,

MSME अर्थात Micro, Small and Medium Enterprises इसी को हम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के नाम से जानते हैं. यह क्षेत्र रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण प्रदान करने में भी इसकी अहम् भूमिका है. इस क्षेत्र में शामिल उद्यमों को नया व्यवसाय शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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