यदि आप journal entries समझ चुके हैं तो accounting terms के अंदर अगला पड़ाव ledger है. आपको बता दें कि accounting एक business language है और इसके अंदर जो मुख्य पड़ाव है वो है जर्नल एंट्रीज का जिसे पार करने के बाद आपको second पड़ाव में आना है जिसे हम कहते हैं – Ledger Account.
इसतरह से हम Ledger Account को secondary recordings के नाम से भी जानते हैं. Journal Entry हमारा primary record हो गया जिसके सहारे ही ledger account बनाया जाता है.
आज के article के हम सीखेंगे कि – What is a Ledger in Accounting in Hindi. चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं कि – Ledger Account क्या है?
What is a Ledger in Accounting in Hindi.
जैसा कि मैंने आपको ऊपर ही बताया है कि journal entry से ही ledger account बनाया जाता है अर्थात बिना journal entry के ledger posting नहीं हो सकती है.
यदि आपके दिमाग में ये बातें चल रही है कि ledger में posting करना कोई बहुत भारी काम है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बशर्ते आपका journal entries का concept clear होना चाहिए.
Ledger posting कैसे करते हैं?
ध्यान दीजियेगा, Journal entries के अंदर जो बातें आप लिखते है बस उन्ही बातों को हू -ब -हू independent account बना – बना के लिखना है.
जब आप journal entries करते हैं तो आपको हमेशा दो नाम एक साथ मिलते हैं एक Debit और दूसरा Credit का – (निचे उदाहरण देखें) –
किन्तु जब हम ledger में posting करते हैं तो – दोनों नामों को (Debit और Credit) को separate कर देते हैं अर्थात Debit वाला अपने घर जाता है और Credit वाला अपने घर. एक बात हमेशा याद रखियेगा जब भी हम ledger में posting करते हैं तो जितने भी journal entries बनाई है और उसमें जितने भी नाम use हुए हैं हमें उतने accounts बनाने पड़ते हैं.
जैसा कि आप ऊपर दिए गए journal entries के उदाहरण में देख सकते हैं वहां पर दो नाम use हुए हैं पहला Cash A/c का और दूसरा Capital A/c का तो यदि हमें ledger posting करना हो तो हमें दो account बनाना होगा (क्योंकि जर्नल में जितने भी नाम use होते हैं हमें उतने accounts बनाने पड़ते हैं) पहला Cash A/c और दूसरा Capital A/c का और यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि Cash A/c debit है इसीलिए वह ledger में Debit वाला घर में जाएगा और Capital A/c credit है तो वह अपने घर credit side में जाएगा – (निचे उदाहरण देखें) –
Note 1 : जैसा कि आप ऊपर के उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं कि journal entries में दो नाम एक साथ use हुए हैं एक Cash A/c का और दूसरा Capital A/c का किन्तु हमनें ledger में दोनों नामों के separate कर दिया cash account अलग और capital account अलग.
Note 2 : आप देख सकते हैं कि ऊपर journal entries में cash debit side में है इसीलिए rules के अनुसार मैंने उसे cash account के debit side में लिखा इसीतरह capital credit side में है तो उसे भी मैंने rules के अनुसार capital account के credit side में लिखा.
Note 3 : Debit side में नाम के पहले “To” लिखा गया है और Credit में कुछ भी लिखने से पहले “By” लिखा जाता है.
Note 4 : ध्यान दीजियेगा, मैंने जब cash account बनाया तो वहां पर “To Capital A/c” लिखा है और जब Capital A/c बनाया तो “By Cash A/c” लिखा. आपको ज्यादा confuse होने का जरुरत नहीं है क्योंकि ledger account में नाम लिखने का तरीका है जो बहुत सरल है. Ledger में नाम लिखने का तरीका इसप्रकार है –
ऊपर Journal entries में देखिये, cash का किसके साथ relation है? Cash का Capital के साथ relation है तो, बनाएंगे हम cash account लेकिन नाम लिखेंगे “To Capital A/c.” एक rule ये भी है कि जो नाम हम ऊपर लिखते हैं (जैसे heading cash account है) वो नाम दुबारा नहीं लिखा जायेगा.
इसीतरह capital का relation किसके साथ है? Capital का relation cash के साथ है और जब हम Capital account बनाएंगे तो वहां पर लिखेंगे “By Cash A/c” अर्थात हम जिसका account बनाते हैं उसका नाम न लिखकर उसका जिसके साथ relation है उसका नाम लिखते हैं.
Note 5 : यहाँ पर मैंने आपको समझाने के लिए केवल दो नाम (Cash और Capital) लिए हैं. याद रखियेगा journal entries में जितने नाम use होते हैं जैसे – Cash, Capital, Bank, Purchase, Sales, Drawings, Rent, Staff salaries आदि हम ledger posting करने के लिए उतने account बनायेंगे.
What is Ledger? खाताबही (Ledger) क्या है?
यह एक ऐसी पुस्तक है जिसमें सभी खाता-बही खातों और संबंधित मौद्रिक लेनदेन को वर्गीकृत रूप में रखा जाता है. यह journal entries की मदद से बनाया जाता है और यह trial balance के निर्माण में मददगार है.
Financial statements बनाने के लिए यह एक आधार के रूप में कार्य करता है इसप्रकार यह लेखांकन की एक अति महत्वपूर्ण पुष्तक है.
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं कि इसके प्रारूप को “T” format के 2 कॉलम में विभाजित किया गया है. बाएं हाथ की ओर डेबिट पक्ष होता है और दाएं हाथ की ओर क्रेडिट पक्ष होता है.
अंतिम बात
मैं अपनी ओर से आपको “Ledger” के बारे में सरल शब्दों में उदाहरण सहित समझाने का हर संभव प्रयत्न किया है फिर भी यदि आपको इस विषय के सम्बन्ध में कुछ कहना हो या कोई प्रश्न पूछना हो तो आप हमें comment कर सकते हैं.
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