Microfinance companies interest rate in india in Hindi

Microfinance companies interest rate in india in Hindi : जब बात Microfinance institutions (MFIs) की होती है तब हमें यह समझना चाहिए कि पारम्परिक बैंकिंग प्रणाली से इसकी कार्यप्रणाली में भिन्नता पायी जाती है. माइक्रोफाइनेंस संस्थान जो होते हैं वे मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले निम्न आय वाले, जो समाज से वंचित लोग हैं, जिनकी पहुँच आमतौर पर आसानी से बैंकों तक नहीं हो पाती है वैसे लोगों को छोटी राशि के रूप में ऋण मुहैया कराने की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं.

माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों, महिलाओं, लघु व्यवसाय से जुड़े लोगों अथवा कृषि गतिविधियों में संलग्न लोगों को छोटे कर्ज के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए मदद करना है.

ज्ञात हो कि बीते कुछ वर्षों में भारतीय माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में काफी विस्तार देखने को आया है. इसका कारण है यह वैसे जरुरतमंदो के लिए सहायक साबित हुई है जिन्हे अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए तत्काल वित्तीय सहायता की आवश्यकता हो.

माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों के छोटे कारोबारियों, महिलाओं को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए ऋण देकर उनकी काफी मदद करते हैं. वास्तव में ऐसे लोगों को जब थोड़े समय के लिए तत्काल धन की आवश्यकता होती है तो उनकी क्रेडिट ज़रूरतों को पूरा करने में ऐसी संस्थाओं का काफी योगदान रहा है.

आज कई ऐसी महिलायें हैं जो माइक्रोफाइनेंस कंपनियां का साथ पाकर स्थानीय स्तर पर छोटे व्यवसाय जैसे कला और शिल्प की दुकानें आदि खोलकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने में सक्षम हो पायी हैं. किसी को डायरी के लिए तो किसी को कृषि के लिए, किसी को टेलरिंग के लिए जब ऋण के रूप में छोटी कर्ज की जरुरत होती है तो कई ऐसे लोग निजी उधारदाताओं की ओर रुख करते हैं.

ये निजी उधारदाता इन्हें कर्ज के रूप में पैसे तो दे देते हैं किन्तु बदले में मनमानी उच्च दरों में ब्याज वसूल करते हैं. माइक्रोफाइनेंस कंपनियां आज वैसे लोगों के लिए वरदान के रूप में साबित हुई है क्योंकि माइक्रोलोन की ब्याज दरें बाजार में निजी उधारदाताओं की तुलना में कम होती है.

माइक्रोफाइनेंस के तहत वास्तव में छोटी रकम के रूप में अल्पकालिक ऋण किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह को दिया जाता है. लोन प्राप्त करने की प्रसंस्करण भी सरलता से पूरी हो जाती है, कागजी कार्रवाई भी कम होती है और ऋण भी बिना किसी सुरक्षा के अथवा कोलेट्रल फ्री (Collateral-free) प्रदान किया जाता है.

माइक्रोफाइनेंस कंपनियां खासकर आर्थिक रूप से कमजोर लोग जो बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने में आज भी सक्षम नहीं हो सके हैं वैसे लोगों का जीवन को बदलने में काफी अहम् योगदान अदा कि है. इस क्षेत्र को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1950 में ही वैध कर दिया था और तब से लेकर आज तक लगातार ऐसी कम्पनियाँ ग्रामीण अथवा अर्ध – शहरी क्षेत्रों के लोगों के विकास के लिए कार्य कर रही है.

इस लेख के माध्यम से मैं आपके सामने “Microfinance companies interest rate in india “ से सबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में आपको बताने का प्रयास किया जा रहा है साथ ही यह लेख भारत में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की स्थिति, Top microfinance companies in india, माइक्रोफाइनेंस की प्रमुख विशेषता आदि से सम्बंधित है.

माइक्रो फाइनेंस कंपनी की ब्याज दर

ज्ञात हो कि माइक्रोफाइनेंस वह वित्तीय संस्था है जो लोगों को छोटे ऋण प्रदान करती हैं और यह ऋण वैसे लोगों को लाभान्वित करता है जिनकी आसान पहुँच बैंकों तक नहीं है. उन्हें अपनी वित्तीय स्तिथि संभालने के लिए तत्काल कर्ज की जरुरत पड़ती है. छोटे ऋण का अर्थ अलग – अलग देशों में अलग हो सकता है किन्तु इसे यदि भारतीय परिपेक्ष्य में परिभाषित किया जाये तो सामान्यतः यहाँ छोटे ऋण का मतलब होता है एक लाख रूपये से कम का ऋण.

आमतौर पर यहाँ निम्न आय वर्ग के लोगों को ऋणदाता द्वारा 25 से 35 हज़ार रूपये तक का ऋण उन्हें अपनी विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराया जाता है. औसतन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का ब्याज दर 18% से लेकर 26% तक की हो सकती है साथ ही ऋण राशि के लिए processing fee 1% – 2% तक हो सकती है. अलग – अलग संस्थाओं के ब्याज दरों और प्रसंस्करण शुल्क में भिन्नता पायी जा सकती है.

हम में से अधिकांश लोगों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि ये microfinance companies आखिर उच्च ब्याज दरों पर ऋण क्यों देते हैं? आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि यह बात सत्य है कि माइक्रोफाइनेंस कम्पनियाँ उच्च ब्याज लेते हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकी इन कंपनियों को व्यवसाय में बने रहने तथा अपनी लागत को कवर करने के लिए ऐसा करना जरुरी हो जाता है.

हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लिए आय का मुख्य स्रोत वास्तव में उनके द्वारा कर्जों पर लगाया गया ब्याज से ही प्राप्त होता है. यदि इनकी कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया जाए तो प्रतीत होता है कि इनका जो भी ऑपरेशन होता है वह उच्च लागत वाला होता है, साथ ही माइक्रोफाइनेंस संस्थान बैंकों से कर्ज भी लेते हैं, फलस्वरूप इनकी ब्याज दरें ऊँची होती है.

हालाँकि इनकी ब्याज दरें ऊँची होती है किन्तु यहाँ उपभोक्ताओं को कई सहूलियतें भी प्राप्त होती है. इनके द्वारा जो छोटी-छोटी वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती है उससे गरीब लोगों को काफी लाभ प्राप्त होता है.

ये कर्ज व्यक्तिगत जरूरतों की पूर्ति करने के साथ – साथ किसी व्यवसाय जैसे – डेयरी, पॉटरी, पॉल्ट्री के आलावा कृषि कार्यों के लिए भी दिया जाता है. आप प्राप्त ऋणों को साप्ताहिक या मासिक आधार पर वापस करने का भी विकल्प प्राप्त कर सकते हैं.

इसके तहत लोग अपनी उद्देश्यों और आवश्यकता के अनुसार Group Loans (समूह ऋण) या Individual Loans (व्यक्तिगत ऋण) प्राप्त करके अपनी सभी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करते हैं. इसमें आप Collateral-free loan प्राप्त कर सकते हैं साथ ही इसके द्वारा महिला कर्जदारों को भी लाभ प्राप्त हो रहा है.

भारत में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की स्थिति

देश में इस समय कई माइक्रोफाइनेंस कम्पनियाँ मौजूद हैं और अपने – अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. इस लेख के माध्यम से आगे मैं आपको कुछ अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का नाम बताये हैं, किन्तु यहाँ पर एक अहम् सवाल यह भी हमारे पास है कि देश में माइक्रोफाइनेंस की वर्तमान स्थिति क्या है?

सामान्यतौर पर माइक्रोफाइनेंस के तहत प्रदान किया जानेवाल ऋण बड़े नहीं होते हैं. औसतन व्यक्तिगत रूप से देखा जाये तो यह ऋण मात्र 35,000 रुपये के आसपास होता है फिर भी इसे निकालने वालों की एक बहुत बड़ी आबादी इस देश में बसती है.

माइक्रोफाइनेंस का क्षेत्र में तेजी से विस्तार देखा जा रहा है और एक अनुमान के मुताबिक आगामी वर्षों में इस क्षेत्र में और अधिक विस्तार होने की संभावना जतायी जा रही है. यह क्षेत्र ग्राहक सेवा को और बेहतर बनाने के लिए डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित कर अपनी सेवाओं को और भी सुव्यस्थित करने में लगा है.

आज भारत में कई छोटे ऋणदाता कार्य कर रहे हैं और इस क्षेत्र में बैंक और गैर-सरकारी संगठन भी माइक्रोफाइनेंस ऋण प्रदान करते हैं. यह उद्योग हमेशा से एक सामाजिक उद्यम रहा है जिसका काफी प्रभाव गरीब जनताओं पर पड़ा है.

इस क्षेत्र के पास दशकों का अनुभव है जो इसे स्थिरता प्रदान करने के लिए काफी है. हालाँकि ऐसी संस्थाएँ वित्त पोषण के लिए बाजार पर अत्यधिक निर्भर होते हैं इनके पास बैंकों जैसी सुनिश्चित जमा संरचना का आभाव होता है.

यह बात सत्य है कि गरीब लोगों को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह की सुरक्षा की जरुरत होती है और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु माइक्रोफाइनेंस एक साधन के रूप में आया था. इसकी शुरुआत तो अच्छी थी किन्तु यह भी सत्य है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि यह क्षेत्र भी लाभ कमाने की होड़ में कहीं न कहीं गरीब जनताओं को अनदेखा किया है.

Top microfinance companies in india

  • Ujjivan Small Finance Bank
  • Bandhan Financial Services Limited
  • Equitas Micro Finance India P Ltd
  • Annapurna Microfinance Pvt Ltd
  • Muthoot Microfin Limited
  • Cashpor Micro Credit
  • Rashtriya Gramin Vikas Nidhi
  • Asirvad Microfinance Limited
  • Fusion Microfinance Private Limited
  • Sonata Finance Pvt Ltd
  • Disha Microfin Pvt Ltd.
  • Spandana Sphoorty Financial Ltd.
  • Asmitha Microfin Ltd.

माइक्रोफाइनेंस कंपनी पर मुख्य आकर्षण

  • माइक्रोफाइनेंस संस्थानों को अपना व्यवसाय संचालन हेतु आरबीआई से लाइसेंस की जरुरत होती है.
  • ये collateral-free ऋण प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं.
  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कम आय वाले लोगों को ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं.
  • जिन लोगों के पास बैंकिंग सुविधाओं तक आसान पहुंच नहीं है वैसे लोग इससे लाभान्वित होते हैं.
  • आमतौर पर बैंक छोटे ऋणों पर ज्यादा फोकस नहीं करते हैं जिसकी पूर्ति माइक्रोफाइनेंस संस्थान करती है.
  • माइक्रोफाइनेंस की अवधारणा की शुरुआत मुहम्मद यूनुस द्वारा बांग्लादेश में किया गया था.
  • आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करने में microfinance के योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है.
  • सामान्यतः उधारकर्ता की कर्ज चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन करने के पश्चात सूक्ष्म ऋण स्वीकृत किया जाता है. यह मूल्यांकन अलग – अलग संस्थाओं में अलग अलग हो सकता है.

माइक्रोफाइनेंस की प्रमुख विशेषता

  • सूक्ष्म ऋण प्रदान किया जाता है.
  • यह ऋण collateral-free दिया जाता है.
  • आमतौर पर ऋण निम्न अथवा कम आय वाले लोग लेते हैं.
  • ऋण आय सृजन करने के उद्देश्य से दिये जाते हैं.
  • इससे महिलाएं भी लाभान्वित हो रही है.
  • इनका कार्य RBI की देखरेख में होती है.
  • कर्ज वापसी साप्ताहिक/मासिक आधार पर कर सकते हैं.
  • कर्ज चुकौती के बाद पुनः कर्ज ले सकते हैं.
  • बैंकों के लिए अयोग्य व्यक्ति इससे कर्ज ले सकता है.

माइक्रो फाइनेंस कंपनी की ब्याज दर पर हमारा निष्कर्ष

माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं को लेकर कई लोग कह सकते हैं कि ये संस्थाएं कर्ज पर इतना ब्याज क्यों लेती है? ये इतनी इतनी ऊंची दरें वसूल करते हैं तो इन्हें कोई नियंत्रित करनेवाला क्यों नहीं है? हालाँकि इसके विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के पश्चात हमें पता चलता है कि आखिर गरीब लोग माइक्रोफाइनेंस संस्थान से ऋण लेते समय इस बात का बहुत ज्यादा परवाह नहीं करता है कि हमसे इतना ब्याज क्यों लिया जा रहा है.

इसके कई कारण हो सकते हैं एक तो ऋण चुकौती चक्र का छोटा होना जिसके कारण ब्याज दरों का बोझ का पता नहीं चलता है. ग्रामीण साहूकारों की उच्च ब्याज दरों के मुकाबले यह ज्यादा उचित लगती है. वैसे लोग जिनकी पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है उनके लिए तो माइक्रोफाइनेंस अच्छा मददगार है.

ज्ञात हो कि माइक्रोफाइनेंस संस्थान बैंकों से कर्ज लेते हैं, अपनी विभिन्न कार्यप्रणालियों को संचालित करने के लिए भी बहुत खर्च होते हैं, ऐसे में यदि इनके द्वारा उचित दरों में कर्ज नहीं दिया जायेगा तो हो सकता है इनके अस्तित्व में ही संकट आ जाये. पारम्परिक बैंकों के मुकाबले इन्हे बचत जमा करने की अनुमति भी नहीं है.

वैसे माइक्रोफाइनेंस संस्थान जो केवल सामाजिक प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं, गरीब से गरीब व्यक्ति को वित्तीय सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं वे यदि सही पैमाना में लाभ नहीं कमायेंगे तो हो सकता है वे भविष्य में जीवित ही न रहें. इनके उच्च ब्याज दरों को सिर्फ नहीं देखना चाहिए बल्कि हमें इसके विभिन्न पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरुरत है.

आपको बता दें कि माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) से ऋण के लिए अधिकांश आवेदक ग्रामीण क्षेत्रों से ही होते हैं और छोटे ऋणों को संसाधित करना बैंकों के ऋणों के मुकाबले अधिक खर्चीला होता है.

यह लेख (Microfinance companies interest rate in india in Hindi) स्वतंत्र विचारों और विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है जिसका उद्देश्य केवल आप तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है. हो सकता है आप इस लेख से सहमत या असहमत हो सकते हैं. आप अपना महत्वपूर्ण विचार रखने के लिए हमें कमेंट कर सकते हैं.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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