Mudra kya hai in hindi : मुद्रा का इतिहास, कार्य, परिभाषा

Mudra kya hai in hindi : आज के इस रोचक लेख में आपका स्वागत है. मुद्रा क्या है- इस प्रश्न से हम सभी परिचित हैं क्योंकि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हम सभी मुद्रा का प्रयोग प्रतिदिन करते हैं.

इसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता है. हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू विनिमय (exchange) करते हैं जो मुद्रा के माध्यम से ही किया जाता है.

दुनिया में जितने भी देश हैं उन देशों की सरकारी व्यव्स्थाओं द्वारा मुद्रा बनाई जाती है. हमारा देश भारत की मुद्रा रुपया व पैसा के नाम से जाना जाता है. मुद्रा की परिभाषा क्या है?

इसकी चर्चा हम आगे करेंगे किन्तु एक बात मैं यहाँ निश्चित कर देना चाहता हूँ की इसकी कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं है. विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा भिन्न – भिन्न परिभाषाओं से मुद्रा को परिभाषित किया गया है.

Mudra kya hai in hindi

प्रारंभ में जब सभ्यता इतनी विकसित नहीं थी, छोटे – छोटे राज्य हुआ करते थे तब विनिमय का माध्यम एक वस्तु के बदले दूसरा वस्तु हुआ करता था. किसी भी प्रकार का मुद्रा का उपयोग नहीं किया जाता था.

आप कोई एक वस्तु दीजिये और बदले में जरुरत की कोई दूसरी वस्तु ले लीजिये.

कालांतर में जब सभ्यताएं विकसित हुई, जरूरतें बढ़ने लगी तो वस्तु के बदले वस्तु वाला विनिमय प्रणाली के कारण मुश्किलें बढ़ने लगी. कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है फलस्वरूप इस मुश्किल के हल हेतू मुद्रा का जन्म हुआ.

इतिहासकारों को यह बता पाना कठिन है की प्रारंभ में मुद्रा का जन्म किसके द्वारा किया गया था. अनुमान यह लगाया जाता है की व्यापारियों के द्वारा सर्वप्रथम आदान – प्रदान की सुविधा हेतु सिक्कों का निर्माण किया गया था. धीरे – धीरे मुद्रा प्रचलन में आया और राज्यों के पूर्ण नियंत्रण में हो गया.

संभवतः परवर्ती काल में मुद्रा राज्यों के पूर्ण नियंत्रण में हो गया था. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी मुद्रा के बारे में विवरण प्राप्त होता है जिसके अनुसार मुद्रा के निर्माण पर राज्य का पूर्ण अधिकार था.

mudra kya hai in hindi
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मुद्रा के बारे में रोचक तथ्य

  • मुद्रा (Currency) केंद्र सरकार के द्वारा नोटों और सिक्कों के रूप में छापा जाता है.
  • वर्तमान समय में मुद्रा को हटाकर किसी भी अर्थव्यवस्था की कल्पना आप नहीं कर सकते हैं.
  • भारतीय रुपया का कोड – INR है.
  • आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार के द्वारा मुद्रा का प्रतिक चिन्ह (Indian Rupee symbol.svg) डिजाईन किया गया था.
  • सर्वप्रथम रुपया शब्द का प्रयोग शेर शाह सूरी ने भारत में अपने शासन के दौरान किया था.
  • अब 1, 2, 3, 5, 10, 20 और 25 पैसे के सिक्के वैध नहीं हैं क्योंकि इन मूल्यवर्ग के सिक्कों को 30 june 2011 से संचलन से वापस ले लिए गये हैं.
  • भारतीय नोटों पर उसकी कीमत 15 भाषाओं पर लिखी जाती है और अंग्रेजी और हिंदी को मिलाकर यह भाषा 17 हो जाती है.

मुद्रा की परिभाषा क्या है?

मुद्रा की सर्वव्यापक परिभाषा यह है की – “मुद्रा वो है जो मुद्रा का कार्य करे” . इस परिभाषा को पढ़कर यदि आप सोंच में पड़ गए हैं तो मैं आपको एक सुन्दर सा आसान शब्दों में समझाने का प्रयास करता हूँ. आपको मोदी सरकार के द्वारा किये गए नोटबंदी तो याद होगा.

उस समय जिन नोटों को बंद किया गया था वो भी एक मुद्रा था क्योंकि केंद्र सरकार के द्वारा जारी किया गया था लेकिन मुद्रा का कार्य नहीं कर रहा था. अब आपको समझ आ ही गया होगा की मुद्रा वो है जो मुद्रा का कार्य करे.

मुद्रा के कार्य

मुद्रा धन का वह रूप होता है जिससे हम अपने दैनिक जीवन में क्रय – विक्रय करते हैं, जो कागज और सिक्के दोनों रूपों में आते हैं. मुद्रा के कार्यों में यह विनियमन का माध्यम है जिसके द्वारा विनिमय (exchange) किया जाता है.

भविष्य के लिए धन का संचय करना जरुरी है जो हम सभी मुद्रा के रूप में संचय आसानी से करते हैं. अर्थात हम कह सकते हैं की मुद्रा धन संचय का कार्य करता है.

इसका उपयोग मूल्य के मापक के रूप में भी किया जाता है. ऋणों का भुगतान करने के लिए भी मुद्रा का उपयोग किया जाता है. अतः हम कह सकते हैं की कोई भी ऐसी वस्तु जो विनिमय का माध्यम, धन संचय, मूल्य का मापक तथा ऋणों के भूगतान के रूप में स्वीकार किये जाते हों मुद्रा कहलाता है.

भारतीय सिक्के/नोट कहाँ छापे जाते हैं?

कागज़ के नोट निम्नलिखित प्रिंटिंग प्रेस में छापे जाते हैं –

  1. देवास – मध्य प्रदेश
  2. नासिक – महाराष्ट्र
  3. मैसूर – कर्नाटक
  4. सल्बोनी – पश्चिम बंगाल

सिक्के निंम्नलिखित टकसालों में ढाले जाते हैं –

  1. कोलकाता
  2. मुंबई
  3. हैदराबाद
  4. नोएडा

भारतीय नोटों को कैसे बनाया जाता है?

भारतीय नोटों को बनाने के लिए जिस कागज का उपयोग किया जाता है वह कॉटन का बना होता है. कॉटन के बने होने के कारण यह बहुत ही मजबूत होता है. भारतीय नोटों के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है की महात्मा गाँधी के फोटो से पहले इसपर अशोक स्तम्भ छापा जाता था.

बाज़ार में कितनी करेंसी है इस बात को जानने के लिए नोटों पर सीरियल नंबर डाला जाता है. नोटों को ऐसे ही नहीं छापा जाता है बल्कि इस बात का निर्धारण रिज़र्व बैंक के स्टॉक, जीडीपी ग्रोथ, मुद्रा स्फीति तथा बैंक नोट के रिप्लेसमेंट के आधार पर किया जाता है.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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