पर्यावरण क्या है? : पर्यावरण और इसके संरक्षण के बारे में हम बचपन से ही सुनते – पढ़ते आ रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में यह सिर्फ पढ़ने – सुनने की ही चीज नहीं रह गयी है बल्कि इसके प्रति हमें स्वाभाविक लगाव पैदा करना होगा, इसके संरक्षण के प्रति खुद जागरूक होकर औरों को भी जागरूक करना होगा.
हमारे पूर्वज जो प्रकृति के निकट रहते थे क्या हमसे ज्यादा स्वस्थ और दीर्घायु नहीं होते थे? जैसे – जैसे हम प्राकृतिक पर्यावरण का दोहन कर उसके स्थान पर कृत्रिम वातावरण का तेजी से निर्माण करते जा रहे हैं वास्तव में हम अपने लिए ही कई प्रकार के पर्यावरणीय समस्याएं खड़ी करते जा रहे हैं.
आज का मानव, विकास के उस स्तर पर पहुँच चूका है जहाँ उसे ईमारतें, कम्प्लेक्स, वाहन, उद्योग, सड़कें, संचार आदि चाहिए किन्तु इस तकनीक के दौर में ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम प्रकृति तत्व के महत्व को ही भूल जायें! यदि हम इस मानव निर्मित पर्यावरण के साथ प्राकृतिक पर्यावरण का सामंजस्य नहीं बैठा पायें तो हमें विपरीत परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.
क्योंकि हम सभी को ये बातें अच्छे से पता होनी चाहिए कि ये नदियां, महासागर, झरने, वन, पशु, पक्षी, किट – पतंग, पर्वत, पेड़ – पौधे, आदि यूँ ही नहीं हैं, ये हमारे पर्यावरण के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. पर्यावरण के साथ हमारा सम्बन्ध अत्यंत गहरा है इसलिए इसका संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है.
आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हम जानेंगे कि – पर्यावरण क्या है? पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? पर्यावरण हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है? पर्यावरण प्रदुषण क्या है? पर्यावरण प्रदुषण के कारण क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं? पर्यावरण प्रदुषण को कैसे नियंत्रित करें? विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है? विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
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पर्यावरण क्या है?
परि और आवरण ये दोनों शब्द आपस में मिलकर ‘पर्यावरण’ शब्द का निर्माण करते हैं जहाँ परि का अर्थ जो कुछ हमारे चारों ओर विद्यमान है और आवरण अर्थात जो हमें चारों ओर से ढके या घेरे हुए हैं. अंग्रेजी में पर्यावरण को Environment कहते हैं.
इसतरह से हम कह सकते हैं कि हमारे चारों ओर जो कुछ भी मौजूद है जैसे जल, हवा, पर्वत, पशु – पक्षी, जीव – जंतु, पेड़ – पौधे, भवन, सड़क आदि सभी कुछ हमारे पर्यावरण का ही हिस्सा हैं. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यही पर्यावरण हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरी तरह प्रभावित करता है. यहाँ तक कि प्राणी का स्वभाव तथा व्यवहार उसके आसपास के परिवेश पर भी निर्भर करता है.
पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं?
पर्यावरण विभिन्न प्रकार के होते हैं जिसके बारे में कई पर्यावरणविदों ने अपने – अपने विचार व्यक्त किये हैं. वैसे मुख्य रूप से कहा जाये तो भौतिक पर्यावरण और जैविक पर्यावरण इसके दो प्रमुख अंग हैं. भौतिक पर्यावरण के अंतर्गत भूमि, जल, वायु, नदी, पर्वत, प्रकाश, खनिज, ध्वनि आदि आते हैं और जैविक पर्यावरण में समस्त छोटे – बड़े जीव जंतु, वनस्पति या पेड़ – पौधे आते हैं.
यहाँ, इस बात पर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए कि सिर्फ प्राकृतिक पर्यावरण के आधार पर ही इसे विभाजित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि दिनोदिन हमारे पर्यावरण पर मानव हस्तक्षेप बढ़ता ही जा रहा है और इस आधार पर हम पर्यावरण को दो महत्वपूर्ण भागों में विभाजित कर सकते हैं पहला प्राकृतिक पर्यावरण और दूसरा मानव निर्मित पर्यावरण.
पर्यावरण हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है?
पर्यावरण हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है? यह एक अहम् सवाल है जिसका उत्तर हम सभी को आना चाहिए क्योंकि जब तक हम पर्यावरण के महत्व को नहीं समझ पायेंगे तब तक इसके संरक्षण के प्रति हमारे अंदर जागरूगता नहीं आ पाएगी.
एक वाक्य में यदि कहा जाए तो हमारा अस्तित्व हमारे पर्यावरण पर ही निर्भर है. हम इससे अलग कभी भी नहीं हैं ; जीवन इसी से संभव है. हम अपनी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति इसी से करते हैं. पर्यावरण अर्थात हम चारों ओर से जिस वातावरण से घिरे हुए हैं और आप भी इस बात को समझ सकते हैं कि जिस वातावरण में हम जी रहे हैं यदि वही वातावरण दूषित हो तो हम पर क्या असर पड़ सकता है?
ज्ञात हो कि जलवायु को संतुलित बनाये रखने का काम पर्यावरण ही करता है. आज जलवायु परिवर्तन के साथ – साथ कई ऐसे विकट पर्यावरणीय समस्याएं मानव के सामने उपस्थित है. आये दिन बढ़ते प्रदुषण लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है. आज जरुरत है लोगों को पर्यावरण संकट के प्रति जागरूक होकर उसके बेहतर प्रबंधन हेतु कदम आगे बढ़ाने की. ध्यान रहे! मनुष्य की समस्त क्रियाएँ हमारे पर्यावरण को प्रभावित करते हैं.
पर्यावरण प्रदुषण क्या है?
बढ़ती जनसँख्या के कारण लोगों द्वारा संसाधनों के उपभोग में भी वृद्धि हुई है फलस्वरूप पर्यावरणीय समस्याएँ भी तेजी से बढ़ती जा रही है. विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आज मानव विकास के नाम पर प्रकृति को भूलकर उसके साथ व्यापक छेड़छाड़ कर रहा है परिणामस्वरूप प्रदुषण, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं और पर्यावरण प्रदुषण के निपटान में सहायक जैव – विविधता का भी क्षरण होता जा रहा है.
आज पर्यावरण व्यापक स्तर पर प्रदूषित हो चूका है जैसे जल, वायु, ध्वनि, मृदा सभी प्रदूषित हो चुके हैं. विज्ञान कितना भी प्रगति क्यों न कर ले वह प्रकृति पर कभी भी विजय प्राप्त नहीं कर सकता है इसलिए जरुरी है वैज्ञानिक उपलब्धि के साथ – साथ इस बात पर भी ध्यान दिया जाए कि प्रकृति का संतुलन न बिगड़े.
जैसे – जैसे पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है इसके घातक दुष्परिणाम हमें देखने को मिल रहे हैं. आज इस प्रदुषण का प्रसार व्यापक स्तर पर हो चूका है जैसे –
- वायु प्रदुषण
- मृदा प्रदुषण
- जल प्रदुषण
- वायुमंडल के तापमान में वृद्धि
- ओजोन परत की हानि
- ध्वनि प्रदुषण
- विकिरण से जनित प्रदुषण
पर्यावरण प्रदुषण के कारण क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं?
सच्चाई तो यही है कि पर्यावरण से हम पूरी तरह प्रभावित होते हैं और इसपर ही हम सभी का भविष्य निर्भर है. महानगरों को तो छोड़ ही दीजिये अभी के समय में गाँव भी प्रदूषित होते जा रहे हैं, हालाँकि यह प्रदुषण महानगरों की तुलना में कम हो सकती है.
पर्यावरण प्रदुषण के नियंत्रण पर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो इसके दूरगामी दुष्प्रभाव के लिए हमें तैयार रहना होगा, क्योंकि इसके प्रदुषण के कारण निम्न दुष्परिणाम होते हैं –
- हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है
- समय पर वर्षा नहीं होना
- कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि होती है
- कहीं बाढ़ आती है तो कहीं सूखा पड़ता है
- ऋतुचक्र में परिवर्तन आ जाता है
- मृदा प्रदुषण से उत्पादन क्षमता प्रभावित होता है
- ध्वनि प्रदुषण के कारण हमारे सुनने की शक्ति क्षीण होना
पर्यावरण प्रदुषण को कैसे नियंत्रित करें?
अब तक आप समझ ही चुके हैं कि प्रदूषित पर्यावरण किस हद तक हमारे जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. क्या आपने कभी सोंचा है कि प्रकृति प्रदत्त हमारा स्वच्छ वातावरण इतनी तेजी से कैसे परिवर्तित हो रहा है.
हम आये दिन विज्ञान की चकाचौंध को देख मानव विकास की माला जपते रहते हैं. आये दिन एक ओर जहाँ वैज्ञानिक उपलब्धियों के नए – नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं वहीँ लोग इस चकाचौंध के बीच प्रकृति को उपेक्षा करते नजर आ रहे हैं.
बढ़ते औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण को तो बढ़ावा मिल रहा है किन्तु इसके कारण पर्यावरण भी तेजी से परिवर्तित हो रहा है. कल – कारखानों की संख्या भी बढ़ रही है किन्तु इससे निकलने वाले विषाक्त जल नदियों को बुरी तरह प्रदूषित कर रहा है, और कहा जाता है जल जीवन है इसतरह से तेजी से प्रदूषित हो रहे जल जीवन के लिए बहुत बड़ा संकट है.
नित्य पेड़ – पौधों या वनों की अत्यधिक कटाई के कारण हरियाली क्षीण हो रही है फलस्वरूप जिसका दुष्परिणाम कई प्रकार के जीव – जंतुओं को भुगतना पड़ रहा है. संक्षेप में यदि कहें तो जीवन का मुख्य आधार माना जानेवाला जल, वायु और मिटटी का प्रदूषित होना कोई साधारण बात नहीं है.
यदि हम अपने आनेवाले कल को स्वस्थ्य देखना चाहते हैं और अपने बच्चों को सुरक्षित भविष्य देना चाहते हैं तो आज से ही हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होकर इस प्रदुषण को नियंत्रिक करने के लिए अपने स्तर से हर संभव प्रयास करना चाहिए.
चलिए देखते हैं कि पर्यावरण प्रदुषण को हम किसप्रकार नियंत्रित कर सकते हैं –
- जनसँख्या नियंत्रण पर पर विचार करना होगा
- जितना ज्यादा संभव हो सके वृक्षारोपण करें
- पॉलीथिन का उपयोग करने से बचें
- कूड़ा कचरा जहाँ – तहाँ न फेकें
- पेय जल की कमी को दूर करने के लिए वर्षा जल का संचयन
- कभी भी जल के स्रोतों को प्रदूषित न करें
- बिना मतलब के बिजली चालित उपकरणों को ऑन न रखें
- यदि संभव हो तो सौर ऊर्जा प्रयोग में लायें
- व्यर्थ का जल बर्बाद न करें
- जिन चीजों को आप पुनः प्रयोग में ला सकते हैं उसका पुनःप्रयोग करना सीखें
- कम दूरी के लिए पैदल चलने की आदत डालें और संभव हो तो साइकिल का प्रयोग करें
- बिजली बचायें
- रासायनिक उर्वरक का कम उपयोग करें
- कीटनाशकों का उपयोग आवश्यकता अनुसार करें
- अपने आस – पास कूड़े – कचरे को सड़ने न दें और नालियों की सफाई पर ध्यान दें
- जल स्रोतों के पास न कपडे धोयें और न ही नहायें
- बिना मतलब का गाड़ी का हॉर्न न बजायें
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
क्या आपको पता है कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हुए ही पुरे विश्व में “विश्व पर्यावरण दिवस” के रूप में मनाया जाता है. यह प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य इसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए पर्यावरण के प्रति लोगों के बीच जागरूकता फैलायी जा सके.
विश्व पर्यावरण दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है. पर्यावरण समस्या किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक चिंता का विषय है जहाँ पूरा विश्व अपने – अपने तरीके से पर्यावरण प्रदुषण सम्बंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयासरत हैं. इसतरह से विश्व पर्यावरण दिवस एक महत्वपूर्ण दिवस है जिसका आयोजन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष एक नए थीम के साथ मनाया जाता है ताकि संसार प्रकृति के महत्व को समझते हुए इसके संरक्षण हेतु संकल्पित हो सके.
अंतिम शब्द : निष्कर्ष
क्या आप प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं, नहीं न! हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा सम्बन्ध प्रकृति के साथ अटूट है तो लगातार दूषित हो रहे पर्यावरण की रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है.
विश्व पर्यावरण दिवस मानने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब हम और आप अर्थात देश के प्रत्येक नागरिक प्रकृति के महत्व को समझेंगे. पर्यावरण के संरक्षण हेतु आज से ही हम सभी को संकल्पित होना होगा. यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है हम सब की है.
प्रकृति की रक्षा हेतु हमें खुद जागरूक होकर समाज में भी इसके प्रति जागरूकता फैलाना होगा. जैसा की आप समझ चुके हैं पर्यावरण प्रदुषण के दूरगामी परिणाम होते हैं और यदि आप एक खुशहाल भविष्य देखना तो इसके संरक्षण के प्रति आज से ही सचेत हो जायें.
आज के लेख (पर्यावरण क्या है?) में बस इतना ही, आप यदि इस विषय के सम्बन्ध में अपना महत्वपूर्ण पक्ष या राय देना चाहते हैं तो आप हमें comment कर सकते हैं और लेख पसंद आयी हो तो इसे like और share करना न भूलें.