Raksha Bandhan 2024-रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है?-कथायें

Raksha Bandhan 2024 : रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? जानिये 2023 में रक्षाबंधन कब है? : कहा जाता है कि भारत त्यौहारों का देश है और ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि पुरे विश्व की तुलना में एक भारत ही ऐसा देश है जहाँ पर अधिक त्यौहार मनाये जाते हैं.

भारत देश में कई संस्कृतियों और धर्मों का समावेश है और यहाँ पर भिन्न – भिन्न मान्यताओं पर आधारित अलग – अलग त्यौहार मनाये जाते हैं. इस देश में विभिन्न धर्मों के लोग स्वतंत्रतापूर्वक अपना – अपना त्यौहार मना सकते हैं. यहाँ अनेकता में एकता पायी जाती है.

भारत देश में त्यौहारों की एक लम्बी सूचि है. यहाँ पर हर धर्म से जुड़े लोगों के अपने – अपने सांस्कृतिक और पारम्परिक त्यौहार हैं. अलग – अलग त्यौहार अलग – अलग रीती – रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं, विश्वासों, ऐतेहासिक महत्वों के साथ मनाये जाते हैं. कुछ त्यौहार राष्ट्रिय स्तर पर मनाये जाते हैं तो कुछ क्षेत्रीय स्तर पर भी मनाये जाते हैं.

यहाँ पर एक ऐसा भी पर्व मनाया जाता है जिस दिन बहनों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और उस पर्व को हम रक्षाबंधन के नाम से जानते हैं. यह भाई-बहनों के अटूट प्रेम और उल्लास का त्यौहार है जिसे हिन्दू धर्म के माननेवालों के बीच काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.

यह त्यौहार भारत के अलावा विश्व के अन्य हिस्सों में जहाँ हिन्दू धर्म के माननेवाले लोग निवास करते हैं वहां भी इस पर्व को भाई और बहनों के बीच पुरे उल्लास के साथ मनाया जाता है.

जैसा कि आप जानते ही हैं प्रत्येक त्यौहार के पीछे कुछ कहानियां, उसके ऐतेहासिक और धार्मिक महत्व होते हैं उसी प्रकार रक्षाबंधन से भी जुडी हुई कुछ ऐतेहासिक और धार्मिक कहानियाँ मौजूद हैं. यदि आप भी इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानना चाहते हैं तो कृपया इस लेख के साथ अंत तक जरूर बनें रहें.

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

भारत देश में मनाया जानेवाला प्रमुख पर्व – त्योहारों की सूचि में रक्षाबंधन का भी प्रमुख स्थान है. इस दिन रीति अनुसार बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है.

इस दिन बहनें अपने भाइयों के सुखी जीवन की कामना करती हैं और इस पावन मौके पर भाई भी अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए बहनों को उपहारस्वरूप कुछ भेंट प्रदान करता है साथ ही वह अपनी बहन को आजीवन किसी विपत्ति के समय रक्षा करने का वचन देता है.

वैसे तो रक्षाबंधन का त्यौहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है किन्तु आमतौर पर इस दिन बहनें प्रातः स्नान कर, नये कपडे पहनकर तैयार होती है. इसके बाद राखी, रोली, चन्दन, चावल, दीपक आदि से सजे थाल लेकर किसी उपयुक्त स्थान पर विधानपूर्वक अपने भाई के दाहिने हाथ के कलाई में राखी बांधती है.

राखी बाँधने की प्रक्रिया में बहनें पहले अपने भाई को टीका लगाकर उसके मस्तक में कुछ चावल के दाने छिड़कती है तत्पश्चात उसकी आरती उतार कर उसके कलाई में राखी बांधती है. इसके बदले में भाई पैसे, वस्त्र या अन्य कोई उपहार देता है.

वैसे यह जरुरी नहीं है कि रक्षाबंधन का पर्व केवल सगे भाई और बहनों के बीच ही मनायी जाये. एक बहन जिसे भी अपना भाई की तरह मानती है या दूर के रिश्ते के भाइयों को भी राखी बांधती है. यह एक ऐसा त्यौहार है जो भाई-बहनों के बीच प्यार को और भी मजबूती प्रदान करता है.

जैसा कि हममें से अधिकांश लोग जानते हैं कि रक्षा बंधन का त्यौहार भाई और बहनों के बीच मनाया जाता है किन्तु कुछ ऐसी भी कहानियां सुनने को मिलती है जिसमें भाई-बहनों के अलावा अन्य रिश्तों के बीच भी राखी बाँधने का प्रचलन का वर्णन मिलता है जैसे शिष्य अपने गुरु को या पत्नी अपने पति को रक्षा-सूत्र बांधते हैं.

इस पर्व से सम्बंधित कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथायें जुडी हुई है जो इसप्रकार है –

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? (रक्षाबंधन की कथायें)

रक्षाबंधन की शुरुआत कब हुई यह स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है किन्तु इस पर्व से सम्बंधित कई पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंगों का वर्णन हमें मिलता है.

कथायें तो कई हैं फिर भी कुछ ऐसे हैं जो ज्यादा प्रचलित हैं जिसमें से एक कथा रानी कर्णावती और हुमायूँ की है. रानी कर्णावती जो कि चित्तौड़ की रानी थी वह बहादुरशाह से अपनी साम्राज्य की रक्षा हेतु मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर इसके लिए याचना की थी और हुमायूँ ने बहादुरशाह की सेना से रानी कर्णावती के राज्य की रक्षा की थी.

इससे सम्बंधित एक प्रचलित और पौराणिक कथा का वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है जिसमें इंद्रदेव और उसकी पत्नी शची की कहानी है, जिसमें देवी शची द्वारा इंद्र की कलाई में रक्षासूत्र बांधे जाने का वर्णन मिलता है जिसके फलस्वरूप देवराज इंद्र असुर राज बलि को परास्त कर उसपर विजय प्राप्त कर सकने में समर्थ हो सके.

रक्षाबंधन से सम्बंधित और भी कई कथायें प्रचलित हैं जिनमें इस पर्व से सम्बंधित विस्तृत वर्णन मिलते हैं. खैर कथायें जो भी हों किन्तु इस त्यौहार का उद्देश्य नारी के प्रति रक्षा की भावना और सम्मान को बढ़ाना है.

वर्तमान परिदृश्य में यह और भी आवश्यक है जब आये दिन नारियों के प्रति अत्याचार के मामले सुनने को मिलते रहते हैं. किसी भी समाज के लिए यह अति आवश्यक है कि वहां नारियों को उचित सम्मान मिले.

जिस प्रकार बहनें अपने भाई को राखी बांधकर उसके सुखमय जीवन की कामना करती है तो भाई भी अपने बहन की रक्षा का वचन देता है. यह भाई-बहनो के बीच स्नेह का पर्व है जो सदियों से चला आ रहा है.

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?

श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार प्रत्येक वर्ष हर्सोल्लाष के साथ मनाया जाता है. अधिकांश यह महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त महीने में आता है. आइये अब जानते हैं कि वर्ष 2023 में रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाएगा –

Raksha Bandhan 2024 Date (2024 में रक्षाबंधन कब है?)

जैसा की हम सभी जानते हैं कि भाई-बहन के प्यार का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन हर साल सावन पूर्णिमा की तिथि पर मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार साल 2024 में रक्षाबंधन 19 अगस्त, को मनाया जाएगा.

Final Words,

राखी या रक्षासूत्र बहन अपने भाई के कलाई में रक्षाबंधन के पावन अवसर में बांधती है. इस अवसर पर हमारे आस-पास के बाज़ारों में कई प्रकार की राखियां बेची जाती है.

इन राखियों को रेशम के धागे और कई प्रकार के सजावटी वस्तुओं को मिलाकर तैयार किया जाता है जो बहुत आकर्षक लगता है. कुछ महंगी राखियां भी होती है जिसे सोने और चांदी जैसे मूल्यवान धातुओं का उपयोग करके बनाया जाता है.

रक्षाबंधन का त्यौहार सामाजिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है. कई जगहों पर तो पर्यावरण की रक्षा हेतु पेड़ों को भी राखी बांधकर लोग उसकी रक्षा का प्रण लेते हैं. भाई बहनों के प्रेम के प्रतिक के तौर पर यह त्यौहार भारत देश के साथ – साथ नेपाल में भी पुरे हर्ष के साथ मनाया जाता है.

अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहनों के बीच अटूट प्रेम का पर्व है और इस पर्व की सुंदरता के बीच व्यापार को नहीं आने देना चाहिए. कोई भी बहन इस सोंच के साथ अपने भाई को राखी न बाँधे कि इसके बदले उसे पैसे या अच्छे – अच्छे गिफ्ट मिलेंगे, ध्यान रहे पैसे या गिफ्ट तो स्वेच्छा और सामर्थ्य के अनुसार दी जानेवाली चीज है इसपर प्यार कतई नहीं टिका हुआ है.

भाई को भी बहन द्वारा बाँधे गये राखी का मान जरूर रखना चाहिए. उसे जरुरत के समय बहन को यथाशक्ति जरूर मदद करनी चाहिए. इस पावन मौके में किसी बहन के लिए तो सबसे बड़ा उपहार उसके भाई का उसके प्रति स्नेह है जो आजीवन रहना चाहिए.

हमारे देश भारत में किसी भी प्रकार के रिश्ते का काफी महत्व होता है चाहे वह रिश्ता भाई बहन का हो, पिता पुत्र का हो, पति पत्नी का हो, गुरु शिष्य का हो, मित्र का हो या अन्य कोई हो इसकी मजबूती को कभी टूटने नहीं देना चाहिए. रिश्तो की मजबूती वाकई काफी खूबसूरत होता है और रक्षाबंधन का त्यौहार इसीप्रकार के रिश्ते को मजबूत करने का एक आधार है.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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