Teachers Day in Hindi : सबसे पहले आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! वैसे तो शिक्षकों को विशेष सम्मान (जिसके वे वास्तविक अधिकारी हैं) देने के लिए विश्व के कई देशों में शिक्षक दिवस का आयोजन कई रूपों में किया जाता है किन्तु शिक्षक दिवस का महत्व हमारे देश भारत में कुछ और ही है.
भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्रारंभ से ही बालकों के ह्रदय में अपनों से बड़ों के प्रति श्रधा तथा सम्मान का भाव जाग्रत किया जाता है. गुरु और शिष्य के सम्बन्ध तो इस देश में अतुलनिय और परम पवित्र है. गुरु शिष्य परम्परा इस देश की संस्कृति का हिस्सा है.
कहते हैं जीवन में प्रथम गुरु हमारे माता – पिता होते हैं. इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है क्योंकि एक माता – पिता ही हैं जो हमें इस खूबसूरत दुनिया में लाकर सर्वप्रथम हमारी ऊँगली पकड़कर चलना सीखाते हैं. इन्ही का हाथ थामकर हम खड़ा होना सीखते हैं और जीवन यात्रा में अग्रसर होने के लिए तैयार होते हैं.
आईये, आज के इस विशेष लेख में हम शिक्षक दिवस क्यों और कब मनाया जाता है के बारे में विस्तारपूर्वक समझेंगे – Teachers day in Hindi.
“मिटाने को मन का अँधियारा
हे गुरु, तू ही एक सहारा”
Teachers Day कब मनाया जाता है?
जैसा कि हम सभी को ज्ञात है भारतवर्ष में शिक्षक दिवस पुरे उत्साह और हर्सोल्लास के साथ 5 सितम्बर को मनाया जाता है. बड़े ही धूम – धाम के साथ सभी स्कूल – कॉलेजों में इसे मनाया जाता है. इस दिन तरह – तरह के कार्यक्रम आयोजन किये जाते हैं.
वास्तव में शिक्षक दिवस गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन छात्र अपने शिक्षकों को कई प्रकार के उपहार देते हैं, तरह – तरह के नाटक, स्पीच, प्रतियोगिताएं नृत्य – संगीत आदि का आयोजन करते हैं.
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न की ओर हम आगे बढ़ते हैं कि – शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? यह 5 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है?
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षक दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षकों को सम्मान देने के उद्देश्य से 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
“भारत – रत्न” डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक आदर्श शिक्षक, दार्शनिक और महान विचारक थे जिनका जन्म एक ब्राम्हण परिवार में 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी गाँव में हुआ था. वे एक मेधावी छात्र थे जिन्हें पढाई में काफी लगाव था.
उन्होंने अपने जीवन के काफी वर्ष अध्यापन कार्य में लगाये. दुनिया को भारतीय दर्शन से परिचय करवाने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र में एम० ए० की डिग्री हासिल किया था.
वे भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दुसरे राष्ट्रपति के रूप में गौरवमयी पद पर प्रतिष्ठित भी रहे. वे स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित थे और उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात भी किया.
इसी महान शिक्षाविद के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितम्बर को हर वर्ष मनाया जाता है.
जीवन में शिक्षक का महत्व
शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है जो अपने ज्ञान, दूरदर्शिता, धैर्य, प्रेम, अनुभव से अपने विद्यार्थी के जीवन को एक नयी आकार देता है और उसे आनेवाले कल की चुनौतीयों के लिए तैयार करता है.
शिक्षक हमारे समाज का वह आदर्श व्यक्ति होता है जिनके कन्धों पर देश का भविष्य बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. एक सभ्य समाज के निर्माण में शिक्षक का जितना बड़ा योगदान होता है उतना किसी का नहीं.
वे हमारे जीवन के सच्चे मार्गदर्शक हैं जो सिर्फ शिक्षा ही नहीं देते अपितु हमें एक सम्पूर्ण मनुष्य बनने में सहायता करते हैं अर्थात हमारा सर्वांगीण विकास करते हैं. वे हमें एक अनुशासित जीवन जीना सिखाते हैं.
अंत में आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. शिक्षक की महिमा अनंत है जो अपने ज्ञानरुपी प्रकाश से समाज का अन्धकार दूर करते हैं.
हे गुरु! तुम्हारे श्री चरणों में सत – सत नमन
कबीर दास के एक दोहे के साथ इस लेख को मैं संपन्न करना चाहूँगा –
गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ – गढि़ काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।
अर्थात : कबीरदास जी कहते हैं मानो गुरु कुम्हार है और कच्चे घड़े के समान शिष्य है. कुम्हार जिसप्रकार घड़े को सुन्दर बनाने के लिए अन्दर हाथ डालकर बहार से चोट मारते हैं ठीक उसी प्रकार गुरु शिष्य को अनुशासित रखने के लिए बाहर से कठोर किन्तु अंतर से प्रेम भावना रखते हैं ताकि शिष्य को उचित ज्ञान देकर उसका कल्याण कर सकें.