Types of Mutual Funds in Hindi : Mutual Fund के बारे में आपने तो सुना ही होगा और पिछले कुछ वर्षों से यह काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प के तौर पर लोगों को आकर्षित किया है. इसके पीछे कारण है, एक तो यह निवेश का आसान तरीका है साथ ही निवेश के उद्देश्यों के आधार पर कई प्रकार के म्यूचुअल फंड लोगों के लिए मौजूद हैं. लोग अपनी सुविधा, आवश्यकता, जोखिम वहन करने की क्षमता के अनुसार सही फण्ड का चुनाव कर सकते हैं.
आज म्यूचुअल फंड के निवेशकों के पास विकल्प मौजूद है कि वह अपनी निवेश आवश्यकताओं के अनुसार सही फण्ड का चुनाव कर सके. ज्ञात हो कि निवेश के उद्देश्यों के आधार पर विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं किन्तु यदि आपके पास जानकारी का अभाव है तो आप अपने लिए सही फण्ड का चुनाव करने के लिए असमर्थ होते हैं.
म्यूचुअल फंड कई प्रकार के होते हैं फलस्वरूप यह विविधता लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर देती है कि कौन का फण्ड का चुनाव करना उनके लिए बेहतर साबित हो सकता है. किन्तु जिनके पास इस विषय पर अच्छी जानकारी होती है वैसे लोग अपनी जरुरत के अनुसार अपने लिए किसी उपयुक्त फण्ड का चुनाव कर लेते हैं.
यदि आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश पर विचार कर रहे हैं तो आपको विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड और उनसे प्राप्त होने वाले लाभ, जोखिम का स्तर आदि महत्वपूर्ण बातों की समझ भी होनी चाहिए. आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण उसके विशेषताओं के आधार पर किया जाता है. चलिए जानते हैं कि विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड कौन – कौन से होते हैं और उनकी विशेषताएं क्या – क्या हैं.
ज्ञात हो कि Securities and Exchange Board of India (SEBI) के साथ पंजीकृत mutual fund ही जनता से धन एकत्र कर सकता है.
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Types of Mutual Funds in Hindi
जैसा कि आपको पता चल चूका है कि म्यूचुअल फंड कई प्रकार के होते हैं और इनके विभिन्न प्रकार आपके निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं. इसमें निवेश उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जो बाजार में बिल्कुल नए हैं और उन्हें परेशानी मुक्त निवेश का तरीका चाहिए, जिसमें लचीलापन हो साथ ही जिसका क्षेत्र भी व्यापक हो तो ऐसे लोगों के लिए Mutual Fund सही साबित हो सकता है. हमारे देश भारत में यह एक लोकप्रिय निवेश विकल्प के तौर पर अपना स्थान बना चूका है.
वास्तव में Mutual Fund के कई श्रेणियां हैं और यदि आपके पास इन विभिन्न प्रकार की म्युचुअल फंड के बारे में पर्याप्त जानकारी न हो तो हो सकता है आप अपने लिए सही फण्ड का चुनाव करने में असमर्थ हों, तो आइये, देखते हैं कि इसके कौन – कौन से प्रकार हैं –
भारत में कई प्रकार के म्यूचुअल फंड योजनायें हैं जो निवेश की प्रकृति, संरचना, योजना की श्रेणी आदि के आधार पर मौजूद हैं. इन्हें मुख्य रूप से हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं –
- Asset class के आधार पर और
- Structure के आधार पर
Asset class के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
Asset class के आधार पर म्यूचुअल फंड को निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-
- Equity Scheme
- Debt Scheme
- Hybrid Scheme
Equity Scheme
Equity Schemes – Equity fund वास्तव में उच्च जोखिम वाले फण्ड माने जाते हैं, लेकिन यह फण्ड निवेशकों को उच्च रिटर्न भी प्रदान करते हैं. बाज़ार की सच्चाई यही है कि जहाँ आप उच्च रिटर्न प्राप्त करने की चाह रखते हैं वहां आपको जोखिम भी ज्यादा उठाना पड़ेगा. यह mutual fund का सबसे लोकप्रिय फण्ड माना जाता है और यह वैसे निवेशकों को आकर्षित करता है जो ज्यादा जोखिम उठाकर उच्च रिटर्न प्राप्त करने की चाह रखते हैं.
अपने नाम के ही अनुरूप इस फण्ड के अंतर्गत निवेश equity या stock में होता है अर्थात इस स्कीम के तहत निवेशकों द्वारा जमा धनराशि को कंपनियों के shares में लगाया जाता है. निवेश, चूँकि इक्विटी उत्पादों में होता है जिसके कारण तुलनात्मक रूप से इसमें जोखिम थोड़ा बढ़ जाता है. Market capitalization के आधार पर Equity fund को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –
- Large-Cap equity fund
- Mid-Cap equity fund
- Small-Cap equity fund
Debt Scheme
Debt Schemes – निवेशकों के लिए बाजार में कई प्रकार के म्यूचुअल फंड उपलब्ध हैं उनमें से एक है Debt Mutual Fund. इसमें निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न प्राप्त होती है अर्थात यह निश्चित आय वाले फण्ड माने जाते हैं. जब आप इस स्कीम के तहत फण्ड खरीदते हैं तो वास्तव में आप इसे जारी करनेवाली संस्था को ऋण देते हैं अर्थात इस स्कीम के माध्यम से कम्पनियाँ अथवा सरकार निवेशकों से पैसे उधार लेती है और बदले में उन्हें निश्चित ब्याज दर के साथ रिटर्न देती है.
ज्ञात हो कि इस स्कीम के तहत निवेशकों का पैसा fixed income securities में निवेश होता है जैसे -Corporate Bonds, Treasury bills, Government Securities आदि. इसे निश्चित रिटर्न प्रदान करनेवाला न्यूनतम जोखिम के साथ एक प्रकार का सुरक्षित निवेश माना जाता है. न्यूनतम जोखिम के साथ नियमित आय की चाह रखनेवाले लोगों के लिए यह एक बढ़िया विकल्प हो सकता है.
Hybrid Scheme
Hybrid Scheme – एक संतुलित पोर्टफोलियो की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए हाइब्रिड स्कीम एक अच्छा सौदा साबित हो सकता है. क्योंकि इस स्कीम का उद्देश्य निवेशकों का ग्रोथ बढ़ाने के साथ – साथ उन्हें नियमित आय प्रदान करना है. इस स्कीम के तहत निवेश Equity और Debt (fixed income securities) दोनों में निश्चित अनुपात के अनुसार होता है.
हाइब्रिड फण्ड को बैलेंस्ड फण्ड भी कहा जाता है. इस स्कीम के तहत निवेश सम्बन्धी जोखिमों को कम करके निवेशकों को लाभ पहुँचाने के लिए जोखिम और रिटर्न को संतुलित किया जाता है. हालाँकि हाइब्रिड स्कीम Debt Mutual Fund के मुकाबले ज्यादा रिस्की होता है किन्तु इक्विटी फंड की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है. आगे इसे अलग – अलग कई वर्गों में बांटा जा सकता है जैसे – Monthly Income Plans, Debt-oriented balanced funds, Equity-oriented hybrid funds आदि.
निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हाइब्रिड फण्ड पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं है हालाँकि यह इक्विटी फंड की तुलना में कम जोखिम भरा हो सकता है. यह स्कीम भी बाज़ार के उतार – चढ़ाव के आधीन है और इसके प्रदर्शन भी बाज़ार के गतिविधि के अनुरूप प्रभावित हो सकते हैं.
Asset class के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार तो अब आप समझ चुके हैं किन्तु इसे संरचना के आधार पर भी विभाजित किया जा सकता है. आइये देखते हैं संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड के कौन – कौन से प्रकार हैं –
संरचना (Structure) के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड के निम्न प्रकार होते हैं –
- Open-Ended Fund
- Close-Ended Fund
- Interval Fund
Open-Ended Fund
Open-Ended Fund – यह फण्ड वैसे निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है जो तरलता के साथ निवेश चाहते हैं क्योंकि इसके तहत उन्हें किसी विशिष्ट परिपक्वता अवधि के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता है. इसमें निश्चित परिपक्वता तिथि नहीं होने के फलस्वरूप यह योजना निवेशकों को किसी भी समय यूनिट खरीदने या बेचने की अनुमति प्रदान करती है. इसमें यूनिटों को मौजूदा NAV पर सरलता से ख़रीदा/बेचा जा सकता है. उनके लिए कोई परिपक्वता अवधि निश्चित नहीं होती है. आपको बता दें कि अधिकांश म्युचुअल फंड योजनायें ओपन एंडेड प्रकृति के ही होते हैं.
Close-Ended Fund
Close-Ended Fund – वास्तव में निवेशकों को किसी भी समय यूनिट खरीदने या बेचने की अनुमति प्रदान नहीं करती है. इसमें यूनिट्स को प्रारंभिक लॉन्च अवधि के दौरान ही ख़रीदे जा सकते हैं. प्रारंभिक लॉन्च अवधि को हम New Fund Offer (NFO) के नाम से जानते हैं और इसी प्रारंभिक ऑफर के दौरान ही कोई निवेशक इसमें निवेश कर सकता है.
वास्तव में यह ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड के विपरीत होता है जिसमें निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है अर्थात फण्ड का टाइम पीरियड पूरा होने के पश्चात ही इसे बेचा जा सकता है. ज्ञात हो की इस स्कीम के तहत यदि ऑफर बंद हो जाता है तो ऐसी स्तिथि में किसी भी नए निवेशक को इसमें निवेश हेतु अनुमति नहीं मिलती है.
Close-Ended Fund के अंतर्गत निश्चित संख्या में units जारी की जाती है और ऐसी श्रेणी में फंड्स की संख्या भी कम होती है. ऐसी योजना में भले ही तरलता की कमी हो किन्तु इसमें निवेशकों को स्थिरता प्राप्त होती है.
Interval Fund
Interval Fund – इस फण्ड में कुछ अनोखा नहीं होता है बल्कि आप इसे Open-Ended और Close-Ended Fund का संयोजन (combination) कह सकते हैं अर्थात इसमें दोनों फण्डों की विशेषताएं पायी जाती है. इसमें खरीद बिक्री की अनुमति केवल फंड हाउस द्वारा तय किये गये विशिष्ट अंतराल पर ही होती है. बाकी समय के लिए यह फण्ड बंद रहता है. अल्पकालिक अवधि में निवेश लक्ष्य की प्राप्ति की चाह रखनेवाले निवेशकों के लिए यह फण्ड सही विकल्प हो सकता है.
म्यूचुअल फंड के अन्य प्रकार
इन सब के अतिरिक्त म्यूचुअल फंड को अन्य आधारों पर भी विभाजित किया जा सकता है जैसे International Fund, Real Estate Fund या निवेश उद्देश्य के आधार पर म्यूचुअल फंड्स जैसे -Pension Fund, Growth fund, Liquid fund, Tax-Saving Funds (ELSS) या जोखिम के आधार पर भी कम जोखिम, मध्यम जोखिम, उच्च जोखिम आधारित म्युचुअल फंड होते हैं.
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