जानिये जल हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है?
जल प्रकृति का वरदान (Water information in Hindi)
जल – जल एक रसायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है – ये तो है विज्ञान की बातें और आज मै विज्ञान की बातें नहीं करनेवाला हूँ, जब संसार जल संकट से जूझ रहा हो तो जरुरी है लोगों की चेतना को जगाना।
चेतना, उस चेतना को जगाना जब लोगों को गहराई से मालून हो की जल जीवन का आधार है , जल ही जीवन है। आज का हमारा विषय है ‘Water information in hindi – Jal hi jeevan hai.’
बचपन से हम किस्सों – कहानियों और कविताओं में पानी के बारे में पढ़ते आ रहे हैं, सुनते आ रहे हैं, मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि हम पानी से भलीभांति परिचित हैं। साथ ही साथ हम इसके उपयोगिता से भी अवगत हैं।
फिर भी हम इसके संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं किन्तु हम दूसरों से अपेक्षा जरूर रखते हैं।
क्या आपको पता है की दूषित जल से होनेवाले रोगों के कारण प्रत्येक वर्ष लाखों मौतें होती है? याद रखें “जिस अमूल्य पानी की बूंदों को हम यूँ ही बहा देते हैं उन्ही बूंदों के लिए लाखों लोग तरसते हैं।”
आपके द्वारा बढ़ाया गया एक कदम आपके पीछे हज़ारों क़दमों को चलने के लिए मजबूर कर देगा, यदि आप संसार में बदलाव देखना चाहते हैं तो अपेक्षा रखने के बजाय पहल खुद से करें – पहल जल संरक्षण की, पहल भविष्य संरक्षण की।
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विश्व जल दिवस कब मनाया जाता है?
जल है तो कल है – इसे बचाएं (Water information in Hindi)
जैसा की हम सब जानते ही हैं कि जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है, इसके हमारे जीवन में उपयोगिता और जरुरतों को मध्यनजर रखते हुए विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य स्वच्छ जल की उपलब्धता तथा इसके संरक्षण की ओर ध्यान केंद्रित करना है।
इसकी उपयोगिता व्यापक है, यदि आप आनेवाला भविष्य को जीवन प्रदान करना चाहते हैं तो आज से ही जल संरक्षण के प्रति सचेत हो जाएँ।
जल हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना जरुरी है?
हमारे शरीर में पानी की कमी होना बहुत ही नुकसानदायक है। स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत सारे बीमारियों से मुक्त रहने के लिए हमें प्रतिदिन प्रयाप्त मात्रा में पानी पीना चाहिये।
स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को दिन भर में प्रतिदिन 10 से 12 गिलास पानी (शुद्ध पानी) आवश्यक रूप से पीना चाहिये। पानी की शुद्धता पर हमें विशेष ध्यान रखना होगा क्यूंकि दूषित भोजन हमारे लिए उतना नुकसानदायक नहीं होता जितना दूषित जल होता है।
हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए पानी महत्वपूर्ण है। पेट सम्बंधित समस्याओं से बचने के लिए सुबह खाली पेट पानी पिने की आदत अवश्य डालें। याद रखें हमारे शरीर का अधिकतम हिस्सों में पानी है।
पानी का उपयोग पीने और नहाने के आलावा विभिन्न प्रकार के घरेलू कार्य, कृषि कार्य, उद्योगिक गतिविधियां, व्यावसायिक गतिविधियां, शक्ति का उत्पादन, परिवहन, मछलीपालन, मवेशियों आदि के लिए किया जाता है।
दूषित जल से होनेवाली बीमारियां
पेट से जुडी अधिकांश बीमारियां दूषित जल के कारण होती है तथा हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। दूषित जल से होनेवाले प्रमुख रोग – डायरिया, हैजा, आँतों के रोग, पीलिया, टाइफाइड, फ्लोरोसिस रोग, पेचिश इत्यादि हैं।
शुद्ध जलापूर्ति के लिए बहुत सारे योजना आते – जाते रहते हैं किन्तु मेरा मानना है की इसे जनांदोलन में बदले बिना सफलता मुश्किल है। साधन संपन्न लोग तो अपने लिए शुद्ध जल उपलब्ध कर लेते हैं किन्तु याद रखें लाखों ऐसे मजबूर लोग हैं जो दूषित जल पीने के लिए विवश है।
जल प्रदूषण (Water Information in Hindi)
जल प्रदूषण संपूर्ण जैविक तंत्र के लिए विनाशकारी है। जल प्रदूषण किसी एक जगह की नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। यदि समय रहते जल प्रदूषण को नयंत्रित नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हमें भुगतने पड़ सकते हैं।
जल प्रदूषण के कारण
उपयोग के पश्चात जल दूषित हो जाता है। और वही दूषित जल जब किसी जलस्रोत से मिलता है तो उसे भी दूषित कर देता है। जैसे किसी उद्योगिक क्रिया के दौरान दूषित जल पाइप के माध्यम से सीधे जलस्रोत में छोड़ा जाता है तो वह उसे भी दूषित कर देता है।
हमें अक्सर देखने को मिल जाता है कि किसी गंदे नाले को लोग सीधे नदियों और तालाबों की ओर मोड़ देते हैं। जहाजों से होने वाला तेल का रिसाव, एसिड रेन, कृषि रसायन इत्यादि के कारण भी जल प्रदूषित हो जाते हैं।
जल प्रदूषण के मामले में हमारे देश भारत का हालत गंभीर हैं। गंगा और यमुना जैसे प्रमुख नदियों को अधिकतम प्रदूषित नदियों में गिना जाता है। जल प्रदूषण का प्रमुख कारण यह भी है की अनियंत्रित दर से शहरीकरण की वृद्धि फलस्वरूप जलापूर्ति में भी कमी पायी जा रही है।
मानवीय कृत्यों के द्वारा जल प्रदूषण तो होता ही है किन्तु इसके प्राकृतिक कारण भी होते हैं जैसे ज्वालामुखी। इसके आलावा वर्षा का जल जो बहुत सारे जल को प्रदूषित करने वाले तत्वों को अपने साथ बहाकर किसी जलस्रोत की ओर ले जाता है।
क्या आप जानते हैं कि जल में स्वतः शुद्धिकरण की क्षमता होती है और जब शुद्धिकरण की क्षमता से अधिक मात्रा में प्रदूषक जल में पहुँचते है तो जल प्रदूषित हो जाता है।
इन्हें भी देखें – आयुर्वेद क्या है?
जल प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करें?
आप यह जानते ही होंगे की जल प्रदूषण को रोकने के लिए भी कानून बनाये गए हैं किन्तु इन कानूनों का अनुपालन कहाँ तक हो रहा है यह भी आपसे छिपा नहीं है। कानून हो या न हो किन्तु यह हमारा कर्तव्य है की हम जल को प्रदूषित होने से यथासंभव रोकें।
आइये जानते है की जल प्रदूषण को रोकने में हम अपना क्या योगदान दे सकते हैं –
- सबसे पहला कदम – आप पहल खुद से करें और उसके बाद दूसरों को जागरूक करें।
- पानी के महत्व के बारे में आपने बच्चों को बताएं एवं अन्य लोगों से भी इसकी चर्चा करें। खुद में एहसास होना जरुरी है की पानी अनमोल है, इसका प्रत्येक बूँद जीवनदायक है, इसे व्यर्थ ना बहाएं।
- दैनिक घरेलू गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न कचरों को नदियों में प्रवाहित ना करें और ना ही इधर-उधर फेंकें क्यूंकि आपके द्वारा इधर-उधर फेंका गया कचरा वर्षा का जल के साथ विभिन्न जलश्रोतों तक पहुंचकर उसे प्रदूषित कर देंगे।घरेलू अपशिष्टों का उचित निपटान का व्यवस्था करें।
- अपने आस-पास के नालियों को जलश्रोतों से दूर रखें या दूर रखने का प्रयास करें।
- गंदे पानी को भी उपयोग में लाया जा सकता है जैसे गाड़ियों को धोने में, बागवानी करने में, बर्तन धोने आदि कार्यों में जिससे हम शुद्ध जल को दूषित होने से बचा सकते हैं। उपयोग के पश्चात भी बचे हुए दूषित जल को पुनः प्रयोग में लाने का प्रयास करना चाहिये।
- अपने घर के छत पर वर्षा के जल का भंडारण का उपाय करें।
- अधिकांश पाया जाता है की सार्वजनिक जगहों पर लगे नलों की टोटियां खुली या टूटी हुई रहती है जिसके कारण हज़ारों लीटर पानी व्यर्थ बर्बाद हो जाते हैं इस ओर भी ध्यान देना आवश्यक है।
- वृक्षारोपण पर जोर दें जिसके कारण वाष्पीकरण के फलस्वरूप ससमय वर्षा होगी और भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होगी।
- अपने पास के नदियों, तालाबों, कुओं आदि के साफ़ सफाई पर ध्यान दें, वहां पर कपडे धोकर, जानवरों को नहलाकर, बर्तन धोकर आदि कार्यों से जिसके कारण ये दूषित होते हैं ऐसे कार्य ना करें।
- पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हुए इसके संरक्षण के प्रति सचेत रहें।
हम यदि जागरूक हो जाएँ तो निश्चित ही हम अपनी आनेवाली पीढ़ियों को प्रयाप्त मात्रा में शुद्ध जल दे पायेंगे. पेयजल का संकट से बचने के लिए हमें आज से ही तैयार होना पड़ेगा. गर्मियों के मौसम में हम प्रत्यक्ष या अख़बारों या न्यूज़ चैनलों के जरिये जल संकट के विकराल रूप तो देखते ही हैं, अब हाथ में हाथ धरे देखने का समय नहीं है बल्कि कदम उठाने की जरुरत है.
इस लेख के माध्यम से मैं आप लोगों के लिए एक कविता भी पेश करना चाहता हूँ
जल (कविता)
जल है, तो कल है,
जल बिन सारा परिश्रम विफल है।
जल से ही प्रकृति में हरियाली है,
जल से ही जीवन में खुशहाली है।
जल संकट, तो महासंकट,
बेजान सी प्रकृति में-तब क्या होगा प्रकट?
जल संरक्षण-का हो सबको ज्ञान,
बचाओ वर्तमान, भविष्य के प्राण।
खतरे में है, सारा संसार,
जल संरक्षण का हो सामूहिक विचार।
मानवता को बचाना परम धर्म है,
बताओ तो, इससे अच्छा और कौन सा कर्म है?
आओ दोस्तों हाथ मिलाएं,
मिलजुलकर जल बचाएं।
अंत में एक पंक्ति – स्वस्थ जीवन का एक ही सार, शुद्ध हो हमारा जल भंडार
तो दोस्तों, कैसा लगा आपको यह लेख “Water information in hindi – Jal hi jeevan hai” कमेंट करके हमें जरूर बतायें। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इस पोस्ट को like और share करना न भूलें।