What is Balance sheet in Hindi? बैलेंस शीट क्या है? यदि आप एक commerce का student हैं, एक निवेशक हैं या कोई ऐसे क्षेत्र से जुड़े हैं जहाँ पर financial position दर्शाने की जरुरत होती है तो आपको balance sheet को जानना और पढना आना चाहिए.
Balance sheet को देखकर पूरी कंपनी की सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है.
आज का ये लेख Balance sheet की पूरी जानकारी से सम्बंधित है. यह लेख उन पाठकों के लिए उपयोगी है जो इसे विस्तारपूर्वक समझना चाहते हैं तथा यह उन पाठकों के लिए भी उपयोगी है जो ऐस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं जहाँ पर बैलेंस शीट की जरूरत होती है.
Balance Sheet एक ऐसा विषय है जो किसी Business की Financial Position बताता है और यदि आप एक व्यवसायी हैं तो आप अपनी कंपनी या व्यवसाय की वित्तीय स्तिथि जरूर जानना चाहेंगे.
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Balance sheet क्या है?
किसी व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को प्रकट करने के लिए balance sheet बनाया जाता है. यह किसी व्यापार की आर्थिक स्तिथि का विवरण होता है.
इसे हिंदी में तुलन पत्र या चिटठा भी कहा जाता है. किसी निश्चित समय पर एक व्यापार या संगठन की संपत्ति, देनदारियों (Liabilities) और पूँजी (Share Capital) के विवरण को balance sheet कहते हैं.
किसी कंपनी की growth को balance sheet के जरिये आसानी से जांचा जा सकता है. यह किसी कंपनी या संगठन का Financial statement (वित्तीय विवरण) होता है.
Profit and loss अकाउंट बनाने के बाद balance sheet तैयार होता है. आमतौर पर यह वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है.
यदि आप एक निवेशक हैं और share market में निवेश करने जा रहे हैं तो आप stock exchange में listed कंपनियों के balance sheet का अध्ययन कर सकते हैं.
इसप्रकार आप इन कंपनियों की सेहत की जांच कर सकते हैं, जांचोपरांत निवेश करने से आपको इसका लाभ मिलेगा और आप एक मजबूत कंपनी में निवेश कर पायेंगे.
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Balance sheet कैसे बनाया जाता है?
Balance sheet में दो पक्ष होते हैं बाएं पक्ष और दायें पक्ष. बायें पक्ष को पूंजी व दायित्व (Capital and Liabilities) पक्ष कहा जाता है और दायें पक्ष को सम्पत्ति व जायदाद (Assets and Properties) पक्ष कहा जाता है. इसे निम्नलिखित example के द्वारा समझा जा सकता है:

एक बात आपको हमेशा याद रखना है कि (A) पूंजी व दायित्व (Capital and Liabilities) पक्ष में मुख्य रूप से पाँच शीर्षक के अंतर्गत मदों को दिखाया जाता है. ये पाँच शीर्षक निम्नलिखित हैं:
Capital and Liabilities Side
1. Share Capital: जब कोई कंपनी जनता के बीच अपने शेयर को निर्गमित करती है या अपने शेयर्स के स्वामित्व को जनता को देने का प्रस्ताव रखती है, इसप्रकार जनता के द्वारा प्राप्त किये गये पूँजी को share capital कहा जाता है.
अर्थात share capital वह राशि है जो कम्पनियाँ अपने शेयर्स बेंचकर जुटाती है. वैसे कम्पनियाँ दो प्रकार के शेयर्स जारी करती है ये दोनों प्रकार share capital के ही अंतर्गत आते हैं: (a) Preferred Share Capital और दूसरा (b) Equity Share Capital.
2. Reserve and Surplus: Accounting में reserve एक तरह का provision है. किसी भी व्यापार के अन्दर वर्तमान में या भविष्य में कुछ अज्ञात व्यय हो सकते हैं और इसीप्रकार के अज्ञात व्यय को पूरा करने के लिए किसी व्यवसायिक फर्म को reserve रखना पड़ता है.
Reserves शेयरधारकों के बीच लाभांश के रूप में वितरित नहीं किए जा सकते हैं. Surplus लाभ और हानि खाता का credit balance होता है. Reserve and Surplus amount और Retained earnings दोनों एक ही होते हैं.
जब किसी व्यवसाय के अन्दर yearly calculation किया जाता है और उसमें से जो profit gain होता है और जब वो profit से कुछ राशि कंपनी में वापस निवेश कर दिए जाते हैं. ये निवेश अलग – अलग category में हो सकता है जैसे general reserves, capital reserve, Share forfeiture, आदि अलग -अलग fund बना दिए जाते हैं. ये सभी balance sheet में under capital account में आते हैं.
3. Secured Loans: इसके अंतर्गत bank loan, mortgage loan, bonds, debentures आदि liabilities को दिखाया जाता है.
4. Current Liabilities: यह ऐसी दायित्व है जिसका भुगतान एक वित्तीय वर्ष या इससे कम अवधि में करना होता है जैसे bank overdraft, short term loan, creditor, outstanding expenses आदि.
5. Provisions: इसे हिंदी में प्रावधान कहा जाता है. Accounting में इसे विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है. यहाँ पर मैं आपको संक्षेप में समझा देता हूँ कि इसका तात्पर्य कोई कंपनी अपने मुनाफे में से एक अपेक्षित liability या भविष्य में assets के मूल्य में कमी को cover करने के लिए निर्धारित की गयी राशि है.
यह राशि अज्ञात (unknown) हो सकती है. जैसे provision of repair, provision for taxation, provision for bad debts आदि.
(B) Assets and Properties पक्ष में निम्नलिखित शीर्षकों को दिखाया जाता है –
Assets and Properties Side
1. Fixed Assets: इसे हिंदी में अचल संपत्ति के नाम से जाना जाता है. यह ऐसी संपत्ति होती है जो किसी कंपनी या organisation को long term profit प्रदान करते हैं इसीकारण इसे long term assets और non current assets के नाम से भी जाना जाता है.
यह लम्बे समय तक रखी जानेवाली संपत्ति है. जैसे plant and machinery, land and building, goodwill, patent right, trade marks, furniture and fixtures आदि.
2. Current Assets: वैसी संपत्ति जो कि एक financial year या उससे भी कम अवधि में रुपयों में convert किया जा सके current assets कहलाती है. इसे हिंदी में चालू संपत्ति के नाम से जाना जाता है. जैसे bank, cash, debtors, prepaid expense, stock, investment आदि.
3. Miscellaneous Expenditure: कुछ खर्चों एवं हानियों को तत्काल संपत्ति के रूप में दिखाया जाता है जैसे expense on issue of shares, Discount On Issue Of Debentures आदि.
Final words : बैलेंस शीट क्या है?
दोस्तों आज के लेख के जरिये हमने balance sheet के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूँ कि आपको ये पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. इस लेख से सम्बंधित यदि आपके पास कोई महत्वपूर्ण सुझाव हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं.
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