योग क्या है? जानिये अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है?

योग क्या है? जानिये अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है? : हमारा बिगड़ता स्वास्थ्य आज हमारे लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. निरंतर भागदौड़ भरी ज़िन्दगी, तनाव, बढ़ते प्रदुषण, खान – पान की गलत आदतें आदि के कारण हमारा शरीर कई प्रकार के रोगों का घर बनता जा रहा है.

जिसप्रकार दिनों-दिन लोगों की जीवनशैली में बदलाव आता जा रहा है ऐसे समय में जरुरत है कि हमें उचित प्रकार से जीवन जीने की कला सीखना होगा, और यह सब योग को अपनाकर संभव हो सकता है.

जी हाँ! योग हमें अकल्पनीय लाभ पहुंचाता है, यह जीवन जीने की कला है. अब प्रश्न यह उठता है कि आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं? आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहते हैं, दीर्घायु होना चाहते हैं, आध्यात्मिक और आत्मिक विकास चाहते हैं, अपने जीवन में ऊर्जा और उत्साह भरना चाहते हैं, आदि आपके सभी प्रयोजनों की पूर्ति करने में योग सक्षम है.

संक्षेप में यदि कहा जाये तो आज योग वास्तव में समय की मांग है. जो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं है, भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं है वह ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में असफल होगा ही. लेकिन वह व्यक्ति कुछ भी कर सकता है जो शरीर, मन, और भावनाओं को संतुलित करने की कला सीख लिया हो, और यह सब संभव है योग से.

आपको भी पता होगा कि आज विश्वस्तर पर अनेकों लोगों द्वारा योग का अभ्यास किया जा रहा है. आपने कभी सोंचा है कि क्यों लोग ऐसा करते हैं? योग एक विज्ञान है, प्रायोगिक विज्ञान जो जीवन जीने की कला है. योग वास्तव में एक प्राचीन कला है लेकिन इस कला की जरुरत अभी के समय में सबसे ज्यादा है जब लोग शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्णतः फिट नहीं है.

देर से ही सही किन्तु आज विश्व समुदाय योग के प्रति जागरूक होता जा रहा है. ज्ञात हो कि प्रतिवर्ष 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) इसके महत्त्व को समझते हुए ही मनाया जाता है.

योग के रूप में भारत की एक प्राचीन परम्परा विश्व प्रसारित होकर लोगों को अकल्पनीय लाभ पहुंचा रहा है. भले ही कुछ लोग योग आसनों को केवल एक व्ययायाम के रूप में करना पसंद कर रहे हैं फिर भी यह एक सकारात्मक पहल है.

योग कोई धर्म नहीं है यह जीवन जीने की वह कला है जो किसी व्यक्ति को रोगमुक्त कर उसे अपने मन को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान करता है. यह वह मार्ग है जिसे अपनाकर हम सभी तरह के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं.

योग क्या है?

हमारे भारतीय दर्शन में योग का महत्वपूर्ण स्थान है. सामान्य अर्थों में योग का अर्थ जोड़ना होता है जोकि संस्कृत के युज धातु से बना है. वास्तव में योग वह साधन है जिसके द्वारा शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन स्थापित किया जाता है.

शरीर, मन और भावनाओं में सामंजस्य स्थापित करने के साधन के रूप में योग काफी महत्वपूर्ण है. योग शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है. योग का उद्देश्य काफी व्यापक है अर्थात हमारे जीवन का समग्र विकास करना है.

उद्देश्य की दृष्टि से देखें तो योग का उद्देश्य शरीर शुद्धि, चित्त शुद्धि, चरित्र निर्माण, अपने ध्यान को केंद्रित करना, आध्यात्मिक विकास करना, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करना आदि है.

किन्तु आज के समय में बहुत से लोग केवल इसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, सौंदर्य प्राप्ति करने तक ही सिमित कर चुके हैं जबकि यह सब इसके गौण उद्देश्य हैं.

गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने कहा है “योग : कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात योग से कर्मों में कुश्लाता आती है. यहाँ कर्मों में कुशलता से तात्पर्य यह है कि हमें ऐसा कर्म करना चाहिए जो बंधनरहित हो, हमारे कर्म बंधन का कारण न बनें, कर्म योग में प्रतिष्ठित होने का अर्थ है अनासक्त भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना.

कुछ विद्वानों के मतानुसार जीवात्मा और परमात्मा को मिल जाना ही योग कहलाता है. महर्षि व्यास के अनुसार योग समाधि है अर्थात समाधि द्वारा ब्रह्म का साक्षात्कार करना योग है.

योग भारतीय संस्कृति की वह शैली है जो हज़ारों वर्षों पुरानी है. पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र, योग से सम्बंधित एक अति प्रसिद्ध ग्रंथ है. वैदित सभ्यता में तो साक्ष्य स्वरुप योग मौजूद है ही साथ ही बौद्ध एवं जैन दर्शन में भी इसका उल्लेख मिलता है.

आध्यात्मिक उन्नति के साथ – साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग का महत्व हमारे भारतीय दर्शन में अत्यधिक है. इसके द्वारा रचनात्मकता का विकास होता है साथ ही दैनिक तनाव से मुक्ति पाने में यह काफी सहायक है.

जैसा कि आप समझ चुके हैं कि योग हमें अकल्पनीय लाभ पहुंचाता है क्योंकि इसका प्रमुख लक्ष्य ही लोगों का स्वास्थ्य में सुधार से लेकर मोक्ष प्राप्ति करने तक है. योग अभ्यास में कई प्रकार की शारीरिक मुद्राएं, श्वास तकनीक, ध्यान आदि शामिल होते हैं.

योग सूत्र के प्रणेता पतंजलि ने योग को लोगों के लिए और भी सुलभ बना दिया है ताकि इसका लाभ अत्यधिक लोगों को प्राप्त हो सके. वह महर्षि पतंजलि ही हैं जिसके कारण आज योग लोगों तक इतनी सरलता और व्यवस्थित तरीके से उपलब्ध है.

योग वास्तव में मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर बल देता है. यह अति सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय है. वर्तमान समय में बहुत से लोग योग को स्‍वास्‍थ्‍य एवं फिटनेस के लिए एक प्रकार का व्‍यायाम के रूप में समझते हैं लेकिन योग का लक्ष्य इससे कहीं और भी बढ़कर है.

हालाँकि कोई योग नियमतः जिस भी उद्देश्य से करे इसके स्वाभाविक परिणामस्वरूप स्वास्थ्य लाभ होगा ही. इसे पूर्ण चिकित्सा पद्धति के रूप में भी माना जाता है.

अपने – अपने सिद्धांतों और पद्धतियों के अनुसार योग के कई शैलियां हैं जैसे अष्टांग योग, हठ योग, कुंडलिनी योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग आदि. महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग अर्थात आठ आयामों वाला मार्ग का विस्तार यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के मिश्रण से किया है.

आसन और प्राणायाम क्या है?

पतंजलि योगसूत्र के अनुसार आसान का अर्थ स्थिरता से सुखपूर्व बैठने का नाम है. वास्तव में योग हमें बैठने की तरीका से लेकर, प्राणायाम, ध्यान सभी सीखाते हैं. यदि कोई उचित तरीके से नियमित आसन करता हैं तो यह अत्यंत ही प्रभावकारी माना जाता है. आसन कई प्रकार से किये जाते हैं जैसे बैठकर, पेट के या पीठ के बल लेटकर खड़े होकर.

इसे करने से शरीर लचीला होता है तथा शरीर के विषैले पदार्थ बाहर आते हैं. स्वस्तिकासन, वीरासन, कुक्कुटासन, गोमुख आसन आदि आसन के प्रकार हैं.

प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है. आपने भी बहुत से लोगों को प्राणायाम करते या इससे जुड़ी बातें अवश्य सुनी होगी. इस योग अभ्यास द्वारा सांस पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

योग क्रिया में सांसों की अहम् भूमिका होती है और प्राणायाम सांसों को नियंत्रित करने की प्रक्रिया है. इसके बाद ध्यान में आसानी से उतरा जा सकता है. प्राणायाम भी कई प्रकार के होते हैं जैसे – कपालभाति, अनुलोम विलोम, उज्जयी प्राणायाम आदि.

योग क्यों करना चाहिए?

योग को अपने दैनिक जीवन में अवश्य ही शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि इसके निरंतर अभ्यास से शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है. एकाग्रता प्राप्त करने के लिए योग काफी लाभदायक है. वर्तमान दौर में जहाँ लोग मानसिक तनाव से सबसे ज्यादा ग्रस्त हैं उनके लिए योग सर्वोत्तम उपाय है.

यदि कोई सौंदर्य प्राप्त करना चाहता है तो योग उनके लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. यह बुढ़ापे को रोकने में काफी प्रभावी है, इससे त्वचा में पर्याप्त ऑक्सीजन संचार होता रहता है फलस्वरूप यौवनपन बना रहता है.

लेकिन जैसा कि मैं आपको बता चूका हूँ कि योग के स्वाभाविक परिणामस्वरूप स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है किन्तु इसका लक्ष्य तो इससे कहीं आगे बढ़कर है. जो व्यक्ति योग में स्थित होता है उसे योगी कहते हैं.

योग का लक्ष्य मानव का भौतिक रूप से उत्थान करने के साथ – साथ उसे आध्यात्मिक रूप से भी आगे बढ़ने में मदद करना है.योग को अपनाकर ध्यान में आसानी से उतरा जा सकता है, आत्म अनुभूति प्राप्त किया जा सकता है.

योग हमारे अंदर चैतन्य – चेतना विकसित करने में सक्षम है. इसके द्वारा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक सभी पक्ष बेहतर हो जाते हैं. यह हमें संसार से हमारा सामंजस्य स्थापित करने में मददगार है फलस्वरूप रोजमर्रा के जीवन के उतार – चढ़ाव से हम कम प्रभावित होते हैं.

योगाभ्यास के लाभ

आजकल के लोग योग आसनों का आंकलन आमतौर पर शारीरिक स्तर तक ही करते हैं. कोई वजन कम करने के लिए तो कोई शरीर को मजबूत करने के लिए तो कोई सौंदर्य प्राप्त करने के उद्देश्य से योगासन, प्राणायाम करते हैं.

किन्तु यह सब इसके आंशिक रूप हैं. इसका फायदा आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तो मिलता ही है साथ ही योग – ध्यान आपके अंतर्ज्ञान की शक्ति को भी सुधारता है.

जो लोग नियमित रूप से योग को अपने दैनिक जीवन में अपनाते हैं वे प्रसन्न, संतुष्ट होते हैं और अपने जीवन के हर पक्ष का आनंद उठाते हैं.

आइये योगाभ्यास के महत्वपूर्ण लाभों की सूचि पर एक नजर डालें –

  • पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में मददगार.
  • यह मांसपेशियों को ससक्त बनाता है.
  • शरीर में लचीलापन आता है.
  • तनाव से मुक्त करता है.
  • आत्म – शांति प्राप्त होती है.
  • मन को नियंत्रित करने की शक्ति.
  • हम भावनात्मक रूप से संतुलित होते हैं.
  • हम अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक करने में सक्षम होते हैं.
  • अपने जीवन को बेहतर ढंग से जी सकते हैं.
  • प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है.
  • ताजगी प्रदान करता है.
  • आपको उर्जात्मक बनाता है.
  • यह कई प्रकार के रोग निदान में असरकारक है. (हालाँकि इसे औषधीय विकल्प के तौर पर नहीं लेना चाहिए)
  • इसके आध्यात्मिक लाभ हैं जिसका वर्णन करना इतना आसान नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस विशेष दिवस को मनाकर योग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है.

ज्ञात हो कि प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 27 सिंतबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में की थी.

21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 11 दिसम्बर 2014 को मिली. प्रत्येक वर्ष एक नए थीम के साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाकर योग के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है.

भारत के पहल पर वैश्विक स्तर पर योग के महत्त्व को समझा जा रहा है. बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व के कारण ही दिनों दिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. आज योगासन लाखों लोगों के दिनचर्या का अहम् हिस्सा बन चूका है.

आपको बता दें की योग कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी के अपील के बाद केवल 90 दिनों के अंदर ही 21 जून को योग दिवस मानने के प्रस्ताव को 177 देशों द्वारा पारित कर दिया गया. यह बहुत बड़ी बात है.

अंतिम बात : निष्कर्ष

अब तक आप योग से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण बातों को समझ गये होंगे. यह शारीरिक और मानसिक चिकित्सा की तरह काम करता है. जब आप योग की शुरुआत करने जा रहे हैं तो इसके लिए आप किसी शिक्षक या एक्सपर्ट की सहायता ले सकते हैं. जब आप योग की शुरुआत करते हैं तो आप इसके बहुत सी बातों से अनजान होते हैं और हो सकता है कि आपसे गलतियां होती रहे.

योग करते समय कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना पड़ता है जैसे इसे करने का सही समय, वातावरण, स्वछता, आपके कपडे आरामदायक होना चाहिए. योग करने का लाभ आपको तुरंत नहीं पता चलता है इसके लिए कुछ समय लगता है. आपको निरंतर धैर्य और दृढ़ता के साथ योग करते रहना चाहिए.

योग को कभी भी चिकित्सीय विकल्प के तौर पर न लें. यदि आपको शारीरिक तकलीफ हो तो ऐसी स्तिथि में डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए. और अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि यदि आप निरोग काया, मन की शांति या आध्यात्मिक विकास चाहते हैं तो योग के रास्तों में चलें क्योंकि इसके फायदे आपकी सोंच से परे होंगे.

Lal Anant Nath Shahdeo

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

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