Medicinal Plants and Herbs Names in Hindi – 10 असरदार औषधीय पौधे और उनकी खूबियाँ

आज भले ही विज्ञान नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन हमारी सबसे बुनियादी ज़रूरतें – शुद्ध हवा, साफ़ पानी और पौष्टिक भोजन – दिन-ब-दिन दूषित होते जा रहे हैं. इसका कारण तकनीक नहीं, बल्कि हम इंसान हैं, जो विकास की दौड़ में प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं.

हम पेड़ तो काटते हैं, लेकिन उन्हें लगाने की फुर्सत नहीं निकालते. जबकि सच्चाई ये है कि पेड़-पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि कई औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं.

इस लेख में हम जानेंगे 10 ऐसे औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों (Herbs) के बारे में जो न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि सदियों से भारतीय आयुर्वेद का हिस्सा रहे हैं.

औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों के नाम (Medicinal Plants and Herbs Names in Hindi)

  1. एलोवेरा (Aloe Vera)
  2. तुलसी (Basil)
  3. चिरायता (Swertia Chirata)
  4. हल्दी (Turmeric)
  5. पुदीना (Mint)
  6. नीम (Neem)
  7. पीपल (Peepal Tree)
  8. आंवला (Amla)
  9. गिलोय (Giloy)
  10. ईसबगोल (Psyllium Husk)

(1) एलोवेरा (Aloevera)

एलोवेरा (Aloe Vera) – त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने से लेकर पाचन सुधारने तक, एक बहुउपयोगी औषधि.

एलोवेरा एक अचूक औषधि से भी बढ़कर काम करती है और इसके बारे में हर कोई थोड़ा बहुत जरूर जानता है. एलोवेरा को कई नामों से जाना जाता है जैसेग्वार पाठा, मुसब्बर, घृतकुमारी आदि. लोग आज भी कई बीमारियों के लिए घरेलु उपचार के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं.  इसका प्रयोग पारम्परिक चिकित्सा, घरेलु उपचार के अलावा लोग अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए भी करते हैं.

ज्ञात हो कि आजकल बाज़ारों में उपलब्ध अधिकांश ब्यूटीप्रोडक्ट्स में एलोवेरा होता है. एलोवेरा का पौधा खेत से लेकर लोग अपने गमलों में भी लगाते हैं. पूरी दुनिया में एलोवेरा के कई प्रकार पाए जाते हैं.

(2) तुलसी (Basil)

तुलसी (Basil) – “Queen of Herbs” के नाम से मशहूर, सर्दी-खांसी में रामबाण.

हिन्दू धर्म में पवित्र माना जानेवाला तुलसी (Basil) का पौधा एक औषधीय पौधा के रूप में विख्यात है. इस पौधे को लोग अपने घरों में लगाते हैं. हिन्दू धर्म के लोग तो इस पौधे को एक देवी के रूप में पूजते हैं इसलिए अधिकांश हिन्दुओं के घरों के आँगन में या गमलों में आपको यह पौधा देखने को मिल जाएगा.

हमारे आयुर्वेद में तुलसी का एक महत्वपूर्ण स्थान है. सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने के साथसाथ यह कई बीमारियों के लिए कारगर ईलाज है. इस पौधे को घर पर रहने से वातावरण शुद्ध होता हैQueen of herbs इसे यूँ ही नहीं कहा जाता है, इसमें कई बीमारियों से लड़ने की अदभुत क्षमता होती है. सामान्य सर्दी जुकाम और खांसी में इसका उपयोग तो आम है. घरेलु नुस्खे के तौर पर आज भी यह कई घरों में उपयोग किया जाता है.

तुलसी का पौधा झाडी के रूप में उगता है अर्थात यह एक झाड़ीनुमा पौधा है. इसके कई प्रजातियां पायी जाती है. हरे रंग और हलकी बैगनी रंग लिए हुए पत्तियों वाली दो प्रधान रूप से पायी जानेवाली तुलसी के प्रजाति हैं. यह तुलसी के दोनों ही प्रकार सामान्यतः हमारे आसपास ही देखे जा सकते हैं.

(3) चिरायता (Swertia Chirata)

चिरायता (Swertia Chirata) – कड़वा जरूर है, लेकिन खून साफ करने और स्किन प्रॉब्लम्स के लिए असरदार.

हमारे देश भारत में Swertia Chirata को चिरायता के नाम से पहचाना जाता है. औषधीय गुणों से युक्त इसके बारे में हमारे गांव के बड़ेबूढ़ों को भी काफी कुछ पता होता है. नेपाल के जंगलों में इस पौधे का पाया जाना आम है. यह बहुत ही प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है जिसका उपयोग खासतौर पर त्वचा से संबंधित विकारों में किया जाता है. रक्तविकार और खुजली जैसी समस्याओं के लिए भी इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है.

कई लोग चाहकर भी इसका सेवन नहीं कर पाते हैं क्योंकि इसका स्वाद बहुत ही कड़वा होता है. इसके जरिये कई प्रकार के रोगों का ईलाज किया जाता है. यह हमारे आसपास के बाज़ारों में बड़े ही आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. इसके पौधों की आयु लगभग एक वर्षों की होती है अतः आप कह सकते हैं कि यह एक एकवर्षीय पौधा है.

(4) हल्दी (Turmeric)

हल्दी (Turmeric) – एंटीसेप्टिक गुणों वाली यह पीली चमत्कारी जड़ी हर घर में जरूरी है.

हल्दी के बीना तो खाने का रंग ही फीका पड़ जाता है. भोजन के रूप में इसका उपयोग तो किया ही जाता है, लोग कई प्रकार के घरेलु उपचार और अपना सौंदर्य निखारने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं. इसमें पाया जानेवाला एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण हमें कई प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं.

खाने का रंग और स्वाद हल्दी से बढ़ता ही है इसके अलावा यह कई बीमारियों से हमें बचाती है. आयुर्वेद में भी हल्दी के बारे में विस्तृत उल्लेख मिलता है. हल्दी हमारी इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाती है. लोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए हल्दी मिले दूध भी पीते हैं और वास्तव में यह काफी लाभकारी सिद्ध होता है.
हल्दी का एक ख़ास गुण यह भी है कि यह घावों और चोटों को भी भर सकने में सक्षम है. कई लोग तो इसका उपयोग दर्द निवारक के तौर पर भी करते हैं. कहते हैं कि कहीं यदि चोट लगी है तो उसपर हल्दी को चूने में मिलाकर लगाने से दर्द से राहत मिलता है.

हल्दी का उपयोग लोग अपना सौंदर्य निखारने के लिए भी करते हैं. इसके लिए लोग विभिन्न विधियों को अपनाकर हल्दी का लेप, फेस पैक, उबटन आदि तैयार करते हैं. त्वचा सम्बन्धी कई प्रकार के समस्याओं से निजात पाने में भी यह सहायक है.

(5) पुदीना (Mint)

पुदीना (Mint) – ठंडक देने वाला, पाचन में मददगार और खुशबूदार हर्ब.

पुदीना (Mint) में कई प्रकार के औषधीय गुण पाये जाते हैं और इसका महत्व आयुर्वेद में भी बताया गया है. अपने अनोखे स्वाद के लिए जाना जानेवाला पुदीना हमारे लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक है. इसके स्वाद के कारण ही लोग खासतौर पर पुदीना का चटनी खाना पसंद करते हैं. इसका उपयोग कई चीजों में होता है जैसे toothpaste, mouth freshener, chewing gums, candies आदि में.

यदि आपको उलटी रही है तो पुदीना का रस पीने से यह समाप्त हो सकती है. इसमें मौजूद मेन्थोल हमें शीतलता प्रदान करता है. यह पाचन क्रिया के लिए भी फायदेमंद है. कई प्रकार के मौखिक विकारों को दूर करने के साथसाथ यह हमारी सांसों को भी तरोताजा कर देता है. नींबू पुदीने का शर्बत भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. खासकर यह गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक प्रदान कर राहत प्रदान करता है.

(6) नीम (Azadirachta indica)

नीम (Neem) – कड़वा दोस्त जो स्किन, बाल और इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद है.

हमारे देश भारत में हज़ारों वर्षों से नीम का प्रयोग किया जा रहा है. इस वृक्ष से तो हम सभी परिचित हैं किन्तु इसके औषधीय गुणों के बारे में बहुत से लोगों के पास ख़ास जानकारी नहीं होती है. ज्ञात हो कि स्वाद में कड़वापन लिए यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है. कई प्रकार के रोगों से निजात दिलाने में यह सक्षम है.

नीम का पत्ता चबाना हमें कई प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. आज भी कई लोग नियमित रूप से नीम का दतुवन उपयोग में लाते हैं. खासतौर पर चर्म रोग, घावों आदि समस्याओं के लिए नीम फायदेमंद साबित होता है. ऐसे कई प्रकार के साबुन, शैम्पू, लोशन बाज़ार में उपलब्ध होते है जिसका निर्माण नीम का उपयोग करके किया जाता है.
यदि कोई व्यक्ति चेचक से ग्रसित है तो गुनगुने पानी में नीम की पत्तियां डालकर नहाने से राहत मिलती है. कई प्रकार के बीमारियों के ईलाज में नीम का उपयोग किया जाता है. इसमें जीवनिरोधक गुण मौजूद होते हैं. खुजली से राहत पाने में यह काफी कारगर साबित होता है. इसके कोमल पत्तों के सेवन से रक्त साफ़ होता है. नीम की छाल का लेप कई तरह के घावों और चर्म रोग के निवारण हेतु कारगर है. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में औषधि और घरेलू उपाय के के तौर पर इसका उपयोग किया जाता है.

नीम के औषधीय लाभ तो है ही इसके साथसाथ यह पर्यावरण संरक्षण और उद्योगों की आवश्यकताओं को भी पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है. हमारे देश में व्यापक रूप से नीम का पेड़ लगाने के लिए कई अभियान भी चलाये जा चुके हैं.

(7) पीपल (Ficus Religiosa)

पीपल (Peepal Tree) – ऑक्सीजन देने वाला चमत्कारी पेड़ और आयुर्वेद का अमूल्य हिस्सा.

पीपल के पेड़ से हम सभी परिचित होते हैं और अक्सर यह पेड़ हमें देखने को मिल जाता है. वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेद में भी इस पेड़ को महत्वपूर्ण माना गया है. हिन्दू धर्म के लोगों के लिए तो यह पेड़ और भी ख़ास है क्योंकि ये लोग इस पेड़ की पूजा भी करते हैं. इसका वृक्ष विशाल होता है और यह हज़ारों वर्षों तक जीवित रहता है. इस पेड़ की छाया हमें ठंढक प्रदान करती है.

पीपल के पेड़ इसलिए भी विशेष माना जाता है कि यह ताजा प्राणवायु (Oxygen) छोड़ता है और कार्बन डाइआक्साईड सोखता है. केवल इतना ही नहीं ऐसे कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ मनुष्य इस पेड़ के जरिये प्राप्त कर सकता है. इस पेड़ का छाल और इसके पत्ते का रस कई प्रकार के औषधिय उपयोग में लाया जाता है. अपने दांतों को मजबूत करने के लिए कई लोग इसका दातुन भी उपयोग में लाते हैं.

अपने वातावरण को शुद्ध रखने के लिए पीपल का पेड़ अवश्य लगायें क्योंकि यह वायु को शुद्ध रखता है और सबसे अहम् बात यह है कि किसी अन्य पेड़ों के मुकाबले यह अधिक ऑक्सीजन वायुमंडल में छोड़ता है. घरेलु इलाज के तौर पर लोग आज भी लोग विभिन्न रूपों में इसका इस्तेमाल करते हैं. इस पेड़ का छाल, पत्ते, फल, इसके पत्ते से निकलने वाला दूध सभी घरेलु इलाज के तौर पर उपयोग में लाये जाते हैं. सेहत से जुड़े लाभ प्रदान करने के साथसाथ यह पेड़ हमारे पर्यावरण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है.

(8) आंवला (Indian gooseberry)

आंवला (Amla) – विटामिन C से भरपूर “अमृतफल” जो बालों, त्वचा और पाचन के लिए उपयोगी है.

आंवला का कोई एक नहीं अनेक फायदे हैं. यह सबसे प्राचीन आयुर्वेदिक औषधियों में से एक है. केवल भारत में ही नहीं अपने गुणों के कारण यह दुनियाभर में लोकप्रिय है. इस फल का उपयोग लोग अपने त्वचा और बालों के लिए तो करते ही हैं साथ ही यह कई बीमारियों के लिए भी औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है.

आंवला जूस लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह अनेक प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता हैं. हमारे आयुर्वेद में तो इसे अमृतफल के नाम से जाना जाता है. आंवला Vitamins, Minerals, और Nutrients से भरपूर होते हैं साथ ही इसमें antibacterial गुण भी होते हैं. बेजान, सफेद और रूखे बालों से छुटकारा पाने में आंवला बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

पाचन शक्ति बढ़ाने, मोतियाबिंद, आँखों की रौशनी बढ़ाने आदि के लिए भी आंवला औषधीय रूप से उपयोग में लाया जाता है. इसका उपयोग जूस, अंचार, इसका चूर्ण बनाकर, तेल, इसका कच्चा फल आदि विभिन्न रूपों में किया जाता है.

(9) गिलोय (Tinospora Cordifolia)

इस कोरोना काल में हमारे देश भारत में यदि कोई आयुर्वेदिक औषधि सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है तो वह गिलोय है. इसका कारण यह है कि इसकी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने की शक्ति. यह हमारे इम्यून सिस्टम को बूस्ट तो करता ही है साथ ही यह कई रोगों से हमें बचाती भी है. गिलोय देखने में जंगली झाड़ की तरह दीखते हैं और इसकी पत्तियां पान के पत्ते की तरह होते हैं.

भारत में औषधी के रूप में गिलोय का उपयोग काफी प्राचीन है और इसका इस्तेमाल आज भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो स्वाद में कड़वा होता है. यह आँखों की रौशनी बढ़ाने में भी कारगर मानी जाती है. गिलोय का जूस नियमित रूप से सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है. पेट से सम्बंधित कई बीमारियों के लिए यह फायदेमंद है. इसका जूस बड़े ही आसानी से बाज़ारों में मिल जाते हैं.

(10) ईसबगोल (Psyllium)

ईसबगोल (Psyllium) शायद आप इसके बारे में जानते होंगे. बहुत से लोग इसका इस्तेमाल खासतौर पर कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए करते हैं. इसमें प्रचूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. यह कई रोगों के लिए कारगर ईलाज माना जाता है. हमारे देश भारत में ईसबगोल की खेती व्यवसायिक स्तर पर की जाती है.

कई लोग रात को सोने से पहले पानी के साथ ईसबगोल का सेवन करते हैं. इसका भूसी का उपयोग तो किया ही जाता है इसके साथसाथ इसके तने, जड़, फूलपत्ती, बीज सभी किसी किसी रूप में उपयोग में लाये जाते हैं. दस्त की समस्या में भी यह काफी कारगर माना जाता है. आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए आज भी ईसबगोल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. कब्ज और गैस की के ईलाज के तौर पर आज भी बहुत से लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. इसका भूसी का उपयोग पानी या दूध में मिलाकर किया जा सकता है.

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